कई नागा साधु रत्नों की मालाएं धारण करते हैं। महंगे रत्न जैसे की मूंगा, पुखराज रत्न, माणिक आदि रत्नों की मालाएं भी कुछ नागा साधू धारण करते हैं। उन्हें धन से मोह नहीं होता, लेकिन ये रत्न उनके श्रृंगार का आवश्यक हिस्सा होते हैं।
आज के इस तेजवान युग में हर मनुष्य किसी न किसी वजह से दुःखी रहता है|कोई निर्धनता से दुःखी है, कोई शारीरिक रोगों से पीडित है, किसी को मानसिक परेशानी है तो कोई मेहनत का फल न मिलने से दुःखी रहता है|हर मनुष्य जीवन में तेज गति से आगे बढकर उन्नति के शिखर पर पहुंच जाना चाहता है|इसके लिये जरूरी है की मेहनत के साथ साथ ही जप – यज्ञ,मंत्र -तंत्र और रत्नों का प्रयोग नियम से किया जाना चाहिए| इन सबको करने के बावजुद यदि मनुष्य दुःखी है|तो इसका मतलब है, की सफलता पाने के लिये या तो प्रयोग लगन से नहीं हुआ है| या वह नकली नग धारण किये हुये है| या उसे विधिवत धारण न किया गया है|
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज, ब्रहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है| यह पीले रंग का रत्न बहुत मूल्यवान है|पुखराज रत्न के प्रतिनिधित्व कर्ता गुरू देव हैं। संस्कृत में इसे पितस्फटिक, हिन्दी में पुखराज के नाम से जाना जाता है|
धनु और मीन राशि वालों के लिए पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज धारण करने से प्रसिद्धि मिलती है और मान-सम्मान बढ़ता है। यह रत्न शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता प्रदान करवाता है|पुखराज रत्न धारण करने से बल, बुद्धि , स्वास्थ्य और आय की वृद्धि होती हैं|वैवाहिक सुख , पुत्र संतान और धर्म कर्म से प्रेरक है| यह रत्न मीन , मेष , कर्क , वृश्चिक राशि वालों के लिए भी लाभदायक होता हैं|
ग्रहों का हमेशा मनुष्यों के मन पर प्रभाव दिखता है। यदि विवाह नहीं होता है तब भी, यह रत्न उपयोगी होता है| लग्न कुंडली, नवमेश, ग्रहों की चाल, दशा-महादशा आदि का अध्ययन करके रत्न पहनना उचित रहता है।
अनावश्यक रूप से रत्न धारण करना भी हानिकारक हो सकता है। जैसे की मोती जरुरी न होते भी पहनने की वजह से निराशा हो सकती है।पीला रक्तचाप बढ़ा सकता है ,जबकि पुखराज अहंकार पैदा कर सकता है। आमतौर पर लग्न कुंडली के अनुसार रत्न पहने जा सकते हैं। ग्रह जो शुभ भाव के स्वामी हैं और पाप के प्रभाव को कम करते हैं। शत्रु ग्रह की कार्यक्षमता को कम करने के लिए कुंडली देखकर रत्न पहनना प्रभावी होता है।
पीला पुखराज समस्त ग्रहों के गुरु माने जाने वाले बृहस्पति को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है।इसका रंग हल्के पीले से लेकर गहरे पीले रंग तक होता है।
सफेद पुखराज शुक्र ग्रह को भी बलवान बनाने हेतू भी धारण किया जाता है। धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे सुख-सुविधा, ऐश्र्वर्य, मानसिक प्रसन्नता तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान करता है।
बृहस्पति के रत्न पुखराज के साथ हीरा, पन्ना, नीलम और गोमेद नहीं पहनना चाहिए। गुरु और शुक्र परम शत्रु हैं इसलिए हीरा और पुखराज कभी भी एक हाथ में न पहनें। शुक्र के रत्न हीरा के साथ सूर्य, चंद्र, मंगल और गुरु के रत्न यानी माणिक्य, मोती, मूंगा और पुखराज पहनने से धन हानि होने लगती है।
पुखराज राशि के आधार पर धारण किया जाना चाहिए| हीरा के साथ पुखराज किसी भी स्थिति में धारण नहीं करना चाहिए। गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करे| रत्न को सोने, चांदी, तांबे या पीतल जैसी धातुओं में एक अंगूठी या लॉकेट में धारण करना चाहिए। ग्रह के शुभ दिनों में, शुभ अवसरों पर रत्न पहने जाते हैं। धारण करने से दो दिन पहले रत्न को कच्चे दूध में डाल दें। पुखराज रत्न धारण करने से पहले, पीले वस्त्र को धारण करेपाँच मुखी रुद्राक्ष हो तो उसे पहनकर, गुरु यंत्रको विधि अनुसार स्थापित कर उसकी पूजा करके|
बृहस्पति के बीज मंत्र का जाप करे
|| ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः ||
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