हिन्दू धर्म में श्रावण मास का बहुत महत्व है|चातुर्मास में भी श्रावण महिने का विशेष महत्व है। यह महीना भगवान शंकर को समर्पित है|श्रावण मास में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार ,श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। यह माह व्रत और महत्वपूर्ण परिवर्तनों का माह माना गया है|
आध्यात्मिक दृष्टि से किए जाने वाले सभी कार्य इस माह में सफल हो जाते हैं|भारतीय संस्कृति में पर्व और त्यौहारों की बड़ी सुंदर व्यवस्था की गयी है|हिंदू धर्म में जीव के वास्तविक उन्नति के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है, कि वह हर्षोल्लास के साथ भी उन्नति के शिखर पर पहुँच सकता है|
श्रावण मास में उपवास का महत्व बहुत ज्यादा है| क्योंकि इस महीने में धरती पर सूर्य की किरणें कम पड़ती हैं| जिससे पाचनतंत्र कमजोर हो जाता है।अगर इन दिनों में अधिक भोजन किया जाय तो अपच और अजीर्ण हो सकता है ।जिससे बुखार भी हो सकता है| अतः इन दिनों एक समय भोजन करना चाहिए अथवा उपवास रखना चाहिए|आयुर्वेद तथा आज का विज्ञान ,दोनों एक ही निष्कर्ष देते है| कि, व्रत और उपवासों से जहां अनेक शारीरिक व्याधियां समूल नष्ट हो जाती हैं| वहीं मानसिक व्याधियों के शमन का भी यह एक असाधारण उपाय है|
श्रावण के महिने में उपासना के पीछे, हमारे ऋषियों की बहुत बड़ी दूरदर्शिता है|इस ऋतु में शरीर में वायु का प्रकोप तथा वातावरण में वायू और जल का प्रदूषण बढ़ जाता है|आकाश बादलों से ढका रहने से जीवनीशक्ति भी मंद पडने लगती है|और संक्रामक रोग भी तेज गति से फैलने की संभावना रहती है|
इस महीने में पड़ने वाले सोमवार को बहुत महत्व पूर्ण माना जाता है|इस बार अद्भुत संयोग बना है| क्योंकि, सावन के शुरूआत के पहला दिन सोमवार था और अंतिम दिन, यानि ३ अगस्त, को भी सोमवार ही आ रहा है|श्रावण मास साधना में उन्नति हेतु स्वर्णिम काल है| जो की ६ जुलाई से ३ अगस्त तक है|
श्रावण के महिने में शिव पूजन को विशेष महत्वपूर्ण माना गया है|श्रावण मास मे बेलपत्र शिवजी को अर्पण करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं |
जैसे की इस माह में शिव उपासना का बहुत महत्व है।तो , इस माह में ॐ नमः शिवाय का जप अत्यंत पुण्यदायी होता है। इस मास के सोमवार को व्रत का लाभ लेना चाहिए| मान्यता है कि इन दिनों भगवान शंकर की पूजा करने और व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
श्रावण मास में शिवजी की आराधना करते समय पंचाक्षरी मन्त्र या महामृत्युंजय मंत्र जपना बहुत महत्व रखता है। श्रावण मास में की गई शिवभक्ति, सभी रोग भय, मृत्यु भय का नाश कर मनुष्य को दीर्घायु प्रदान करती है।
श्रावण मास में पूजा पाठ का महत्व बढ़ जाता है। इस मास में लौकिक व आध्यात्मिक लाभ अधिक होता है|इसलिए सभी को इस माह में तप, जप ,अनुष्ठान और व्रत का लाभ अवश्य लेना चाहिए|
मन एकाग्र रहता है, ध्यान केन्द्रित करने में भी सहायता मिलती है।शास्त्रों में श्रावण मास को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से उत्तम माह बताया गया है|कहा जाता हैं, कि इस माह में अपनी साधना बढ़ाने का सबसे अच्छा वक्त मानना चाहिए और भोले शंकर की विशेष रूप से पूजा अर्चना करनी चाहिए|
श्रावण मास में शिवजी की पूजा के उद्देश्य से घर में बेल के पत्ते लाने से, उसके वायु शुद्धिकारक, पवित्रतावर्धक गुणों का तथा सेवन से वात व अजीर्ण नाशक गुणों का भी लाभ जाने अनजाने में मिल जाता है|
इस महिने में भगवान शिव की अपने भक्तों पर विशेष कृपा होती है। शिव को जल अत्यंत पसंद है, सावन में भोलेनाथ के जलाभिषेक का अत्यंत महत्व है।
श्रावण मास में मनुष्य को नियमपूर्वक पवित्र अन्न ग्रहण करना चाहिए|श्रावण मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व है|श्रावण में संकल्प लेकर अपनी सबसे प्रिय वस्तु का त्याग कर देना चाहिए और उस वस्तु का किसी गरीब को दान देना चाहिए|श्रावण मास में भूमि पर शयन का विशेष महत्व है|
श्रावण मास में दूध नही पीना चाहिए|खुले आसमान में नही सोना चाहिए। इसके ओस से बीमारियाँ होती है। इस मौसम में सर्दी खाँसी से बचने के लिए अदरख और तुलसी के रस का सेवन लाभदायी होता है|
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