जातक की कुंडली में ऐसे बहुत से योग बनते हैं, जो उसे शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं। जातक की कुंडली में शुभ योग बनता है, तो जातक के जीवन में सुख-समृद्धि, करियर में बढ़ोतरी, स्वास्थ्य में बढ़ोतरी आदि शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। लेकिन जब किसी जातक की कुंडली में अशुभ योग बनते हैं, तो वह जातक को विपरीत परिणाम देते हैं। अशुभ योगों के कारण जातक के जीवन में लगभग हर क्षेत्र में जातक को परेशानी का अनुभव करना पड़ता है।
लेकिन कई बार जातक की कुंडली में कुछ ऐसे योग भी बनते हैं जिसके कारण जातक धनवान बन जाता है। ऐसे योग राजयोग कहलाते हैं, जिसके कारण जातक राजा के समान जीवन भर राज्य करता है। राहु केतु राजयोग, हमेशा हम राहु केतु के अशुभ प्रभावों के बारे में ही सुनते या पढ़ते आए हैं। लेकिन आपको बता दें कि राहु और केतु मिलकर किसी जातक की कुंडली में राजयोग का निर्माण भी करते हैं।
आपको बता दें कि राहु और केतु अशुभ ग्रह कहे जाते है। ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु जिस जातक की कुंडली में होते हैं उस जातक को अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। लेकिन राहु केतु जातक को शुभ परिणाम भी देते हैं, जिसके कारण जातक की कुंडली में राजयोग बनता है। अब आप सब सोच रहे होंगे कि हमेशा अशुभ फल देने वाले राहु और केतु जातक की कुंडली में राजयोग कैसे बनाते हैं? चलिए जानते हैं कि राहु केतु राजयोग क्या होता है और यह जातक की कुंडली में कैसे बनता है, साथ ही इसका प्रभाव जातक के जीवन पर किस प्रकार पड़ता है-
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आपको बता दें कि किसी जातक की जन्मकुंडली में अन्य ग्रहों के साथ-साथ राहु और केतु का भी काफी महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। यह दोनों ग्रह से जातक को शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु को कठोर, चोरी, दुष्कर्म, त्वचा के रोग आदि का कारक माना जाता है। बता दें कि जिस भी जातक की कुंडली में राहु की दशा अशुभ होती है, तो उस जातक को अपने जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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वहीं अगर किसी जातक की कुंडली में राहु चौथे, पांचवे, 10वें, 11वें स्थान पर बैठा हो, तो यह शुभ परिणाम प्रदान करता है। बता दें कि इन स्थानों पर बैठने के बाद राहु की दशा शुभ हो जाती है और जातक को शुभ परिणाम मिलने शुरू हो जाते हैं।
आपको बता दें कि केतु ग्रह को पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। लेकिन जब यह ग्रह जातक को अशुभ फल देता है, तो वह जातक के लिए काफी कष्टकारी साबित होता है। केतु ग्रह के अशुभ फल के कारण जातक के साथ-साथ उसकी संतान को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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जब किसी जातक की कुंडली के एकादश भाव में केतु विराजमान होता है, तो जातक को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। द्वादश भाव में केतु हो, तो जातक उच्च पद प्राप्त करता है। साथ ही वह अपने शत्रु पर भी विजय पाता है।
आपको बता दें कि राजयोग का मतलब होता है कि राजा के समान राज करना और किसी जातक की कुंडली में राजयोग बनता है, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में काफी सुख-समृद्धि, संपत्ति आदि प्राप्त करता है। साथ ही जन्म कुंडली में केंद्र स्थान को विष्णु का स्थान माना जाता है और त्रिकोण भावों को लक्ष्मी का स्थान माना जाता है।
जब केंद्र व त्रिकोण स्वामियों का कुंडली में संबंध बनता है, तब राजयोग की स्थिति बनती है। वहीं राहु, केतु जातक को अशुभ परिणाम देते हैं। लेकिन राहु और केतु के कारण जातक की कुंडली में राजयोग भी बनता है और इस राजयोग के कारण जातक अपने जीवन में काफी समृद्धि हासिल करता है। इसी के साथ वह अपने जीवन में एक राजा के समान जीवन व्यतीत करता है और उसके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं होती है। ऐसे जातक काफी धनी होते हैं। आपको बता दें कि राहु केतु राजयोग से जातक को अचानक धन लाभ होता है।
साथ ही आपको अधिक जानकारी के लिए किसी अनुभवी ज्योतिष से सलाह लेनी चाहिए।
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