शनि एक ऐसा ग्रह है जिसको लेकर लोगों की अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ लोग शनि को एक ऐसे ग्रह के रुप में देखते हैं जो कभी किसी का भला नहीं करता जबकि कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इसका फल कर्मों के अनुसार होता है। वास्तविकता यही है कि शनि देव कर्मफल दाता हैं जैसे आपके कर्म होंगे शनि देव फल भी आपको वैसा ही देंगे। कुंडली में अलग-अलग राशियों में शनि देव का फल अलग-अलग होता है आज इसी के बारे में अपने इस लेख में हम चर्चा करेंगे।
जिस जातक की कुंडली में शनि देव मेष राशि में होते हैं उन्हें रक्त से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना रहती है। ऐसे लोग अक्सर असंतुष्ट रहते हैं और हर काम को करने में यह उतावलापन दिखाते हैं। इस राशि का स्वामी ग्रह मंगल शनि देव का शत्रु है इसलिए मेष राशि में बैठा शनि किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं माना जाता।
वृषभ राशि का स्वामी ग्रह शुक्र शनि देव का मित्र ग्रह है। शनि के वृषभ राशि में होने से व्यक्ति विवेकवान, बुद्धिवान और सहनशील होता है। ऐसा व्यक्ति विपरीत लिंगियों को आकर्षित करता है और वाद-विवाद की स्थिति में सब लोगों पर भारी साबित होता है।
बुध और शनि आपस में मित्र हैं। मित्र की राशि मिथुन में शनि का होना व्यक्ति के जीवन में खुशियां भरता है। ऐसे व्यक्ति के बहुत से मित्र हो सकते हैं और मित्रों के जरिये ऐसे लोगों को मुनाफा भी प्राप्त होता है।
कर्क चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि है और शनि-चंद्रमा आपस में मित्र नहीं हैं इसलिये कर्क राशि में शनि का होना किसी भी जातक के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता। ऐसा लोगों का शरीर कमजोर हो सकता है और अपने स्वार्थ के लिए यह लोग दूसरों का अहित करने से भी पीछे नहीं हटते।
सिंह राशि पर सूर्य ग्रह का स्वामित्व है। वैसे तो सूर्य और शनि को पिता-पुत्र समझा गया है लेकिन यह दोनों ग्रह आपस में परम शत्रु हैं। शनि का सूर्य की राशि सिंह में स्थित होना अच्छा नहीं माना जाता। जिन भी लोगों की कुंडली में यह संयोग होता है उसे समाजिक स्तर पर मानहानि सहनी पड़ती है और घर के लोगों के साथ भी मतभेद होतेे हैं।
इस राशि का स्वामी ग्रह बुध है और बुध-शनि आपस में दोस्त हैं। अपने मित्र की राशि में शनि की उपस्थिति व्यक्ति को बिजनेस और कार्यक्षेत्र में सफल बनाती है। ऐसे लोग तार्किक होते हैं और गणितीय विषयों में भी इनकी अच्छी पकड़ होती है।
शुक्र-शनि आपसे में मित्र हैं इसलिए तुला राशि में शनि की स्थिति जातक को समाज में प्रतिष्ठा दिलाती है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में पैसों की कमी नहीं होती और ऐसे लोग दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। जीवन में सब सुख सुविधाएं होती हैं।
शनि ग्रह यदि मंगल की स्वामित्व वाली वृश्चिक राशि में विराजमान हो तो जातक को जीवन के कई क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति की एकाग्रता मजबूत नहीं होती हालांकि घर से दूर रहना और घूमना इन लोगों को प्रिय होता है।
बृहस्पति की स्वामित्व वाली धनु राशि में शनि का होना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसे लोग बहुत सहनशील होते हैं और इनमें नेतृत्व करने की भी अच्छी क्षमता मौज
मकर शनि की स्व राशि है, अपनी ही राशि में शनि का विराजमान होना व्यक्ति को मेहनती बनाता है। हालांकि मेहनत के अनुसार ऐसे लोगों को हर बार फल प्राप्त नहीं होते। ऐसे लोग बहुत ईमानदार होते हैं और अपनी बातों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।
यह राशिचक्र की दूसरी राशि है जिसपर शनि ग्रह का स्वामित्व माना गया है। कुंभ राशि में शनि शुभ माना जाता है और यह व्यक्ति को कई सुख-सुविधाएं प्रदान करता है। ऐसे लोग अपने ज्ञान से समाज में अपनी अलग जगह बनाते हैं।
गुरु के स्वामित्व वाली मीन राशि में शनि का होना शुभ होता है। गुरु की छत्रछाया में शनि के होने से व्यक्ति को विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। ऐसे लोग अपनी रचनात्मकता से लोगों को आकर्षित कर पाते हैं।
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