अगर विधाता हैं, तो नियति क्यों है? अगर नियति है, तो विधाता का क्या काम? इसका जवाब है कर्मफल। जैसे कर्म होते हैं, वैसी नियति होती है और कर्म को देखने वाला वो विधाता होता है। इसलिए उन दोनों का होना ज़रूरी है।कर्मफल का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी पढ़ कर, लोग कर्मफल के इच्छुक हो सकते हैं। ऐसे ही कर्म और फल के सूचक, न्यायाधीश शनि देव की कथाएं और मान्यताएं सब यही बताती हैं कि वह भी न्याय को कर्म और फल की नजर से देखते हैं। मान्यता है कि, उनके आशीर्वाद से जीवन सरल लगने लगता है। परंतु अगर आपके जिंदगी में उनका पदार्पण अशोभनीय कृत्यों को मद्दे नजर रखते हुआ, तो जीवन कैसे कटेगा, यह कोई नहीं जानता। हिंदू मान्यता के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती चढ़ना यही है।
ज्योतिष भी शनि की साढ़ेसाती आने पर बताते हैं कि जीवन में कष्ट आने वाले हैं। शनि देव तो न्यायाधीश कहलाते हैं। कई बार लोग ऐसे रास्ते अपनाते हैं, जिससे शनिदेव के न्याय के पात्र बन सके। आज हम आपको बताते हैं, ऐसे पांच उपाय जिससे आपके ग्रह- नक्षत्र शनि के आशीर्वाद से सुख पूर्वक रहेंगे, ना ही उनके प्रकोप से डरेंगे और आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे-
शाम को जब सूर्यास्त हो जाए, और हर जगह अंधेरा छा जाए, तो उसे कुछ समय के लिए अपने जीवन के अंधकार के रूप में समझ लें। फिर एक पीपल के पेड़ के पास जाएं और वहां सरसो के तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाकर, शांति से बैठ जाएं। अब आप शनि चालीसा पढ़ लें और उस पेड़ की चारों ओर सात परिक्रमा करें। ऐसा हर शनिवार करें। शनि देव प्रसन्न होते हैं।
शनिवार को काला तिल, चीनी और आटे के मिश्रण को काली चीटियों को खिला दे। ध्यान रखें, यह खाना लाल चीटियां नहीं खा सकती। शनि देव आपकी सभी प्रार्थनाओं को अच्छे से सुनते हैं। इसके साथ ही आप शनिवार की शाम को अपनी बीच वाली उंगली में घोड़े के नाखून से बनी अंगूठी को पहने। इस अंगूठी को 23000 बार शनि मंत्र के उच्चारण के बाद ही धारण करें।
इसका अर्थ क्या है शनि देव के मंत्र के उच्चारण से उन्हें याद कर, खुश करना संभव है। शनि देव के कुल 10 नाम है। इन नामों को 108 बार जपने से वे आपके दुखों को खुशी में बदल देंगे। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करने से भी आपको लाभ मिल सकता है। शनि का यह उपाय करके कुंडली में भी शनि की स्थिति का अच्छा फल मिल सकता है।
शनिदेव को खुश करने के लिए, हनुमान जी की पूजा एक बहुत ही बढ़िया उपाय है। हनुमान चालीसा रोज पढ़ें, परंतु यदि आप ऐसा ना कर सके तो हर शनिवार हनुमान की पूजा करने के उनके चालीसा का अध्ययन करें। याद रखें, की अगर आप हनुमान पूजन में लीन तब तक ही रहते हैं जबतक संकट दूर ना हो तो, तो पूजा सच्ची नहीं लगती। एक फल की इच्छा करने वाली प्रार्थना निरर्थक है। इसलिए सच्चे दिल से पूजा करिए और यह करते वक़्त उन पर आप जो सिंदूर चढ़ाएंगे उसे चमेली के तेल में मिलाकर ही चढ़ाएं। और साथ ही उनके चरणों में लाल गुलाब का ही अर्पण करें।
धारयति इति धर्मः। धर्म वही जो हम धारण करते हैं। इसलिए दान के धर्म को अपनाइए और फिर आपका धर्म और उसका पुण्य, सब मिलेगा। दान देना एक धर्म बनाइए और फिर देखिए बदलाव। लोगों को भिक्षा या दान शनि देव को पसंद है। इस संदर्भ में बात करे तो बीमार लोगों को भोजन, जूतें, लोहे या कपड़े, उड़द की दाल भी दे सकते हैं।
ऊपर दिये गये उपायों को यदि आप रोजाना करते हैं तो आपको शुभ फलों की प्राप्ति अवश्य होगी। इसके साथ ही इन उपायों को करने से आपके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार होगा। इसके साथ ही आप भगवान शिव की पूजा करके भी शनि देव को प्रसन्न कर सकते हैं।
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