वास्तुदोष निवारण के लाभकारी/सरल/आसन/सुगम उपाय

वास्तु दोष निवारण के लाभकारीसरलआसनसुगम उपाय

सभी प्राणियों के जीवन में वास्तु का बहुत महत्व होता है। तथा जाने व अनजाने में वास्तु की उपयोगिता का प्रयोग भलीभांति करके अपने जीवन को सुगम बनाने का प्रयास करते रहतें है। प्रकृति द्वारा सभी प्राणियों को भिन्न–भिन्‍न रूपों में ऊर्जायें प्राप्त होती रहती है। इनमें कुछ प्राणियों के जीवन चक्र के अनुकूल होती है तथा कुछ पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। अतः सभी प्राणी इस बात का प्रयास करते रहते है कि अनुकूल ऊर्जाओं का अधिक से अधिक लाभ लें तथा प्रतिकूल ऊर्जा से बचें।

शहरी जीवन और तड़क–भड़क की जिन्दगी में हम नियमों को ताक में रखकर मनमाने ढंग से घर या मकान का निर्माण कर लेते हैं। जब भारी लागत लगाने के बावजूद भी घर के सदस्यों का सुख चैन गायब हो जाता है, तब हमें यह आभास होता है कि मकान बनाते समय कहां पर चूक हुई है।
जाने अनजाने में अपना मकान बनाते समय भूल या परिस्थितिवश कुछ वास्तुदोष रह जाते हैं। इन दोषों के निवारण के लिए यदि आप बताए जा रहे उपाय कर लें, तो बिना तोड़–फोड़ के ही वास्तुजनित दोषों से निजात पा सकते हैं।

वास्तु में है दिशाओं का महत्वपूर्ण योगदान

वास्तु पूजन के पश्चात् भी कभी–कभी मिट्टी में किन्हीं कारणों से कुछ दोष रह जाते हैं जिनका निवारण कराना आवश्यक है। आम धारणा है कि दक्षिण व पश्चिम दिशाएँ अच्छा असर नहीं डालती हैं या अशुभ प्रभाव रखती हैं। मगर सच्चाई कुछ और है। हर एक दिशा में खास अंश होते हैं, जो अच्छा प्रभाव डालते हैं। जैसे 135 से 180 अंश दक्षिण दिशा में, 270 से 310 अंश पश्चिम दिशा में अच्छा प्रभाव रखते हैं। अतः दिशाओं के प्रति पूर्वाग्रह न रखते हुए उनके शुभ अंशा से लाभ उठाने की संभावनाओं का ज्ञान जरूरी है।

सबसे पहले उठकर हमें इस ब्रह्मांड के संचालक परमपिता परमेश्वर का कुछ पल ध्यान करना चाहिए। उसके बाद जो स्वर चल रहा है, उसी हिस्से की हथेली को देखें, कुछ देर तक चेहरे का उस हथेली से स्पर्श करें, उसे सहलाएं। उसके बाद जमीन पर आप उसी पैर को पहले रखें, जिसकी तरफ का स्वर चल रहा हो। इससे चेहरे पर चमक सदैव बनी रहेगी।

कैसे दूर करें वास्तु दोष

  • सुबह जब उठते हैं तो शरीर के एक हिस्से में सबसे अधिक चुंबकीय और विद्युतीय शक्ति होती है, इसलिए शरीर के उस हिस्से का पृथ्वी से स्पर्श करा कर पंच तत्वों की शक्तियों को संतुलित किया जाता है।
  • यदि आपके मकान के सामने किसी प्रकार का वेध यानी खंभा, बड़ा पेड़ या बहुमंजिला इमारत हो तो इसकी वजह से आपका स्वास्थ्य या आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। यदि वेघ दोष हो तो निम्न उपाय करना कारगर होगा।
  • यदि अपने मकान के सामने लैम्प पोस्ट लगा लें। यदि यह संभव नहीं हो, तो घर के आगे अशोक का वृक्ष और सुगंधित फूलों के पेड़ के गमले लगा दें। तुलसी का पौधा स्वास्थ्य के लिए शुभ होता है।
  • घर में अखण्ड रूप से श्री रामचरित मानस के नौ पाठ करने से वास्तुजनित दोष दूर हो जाता है.
  • घर में नौ दिन तक अखण्ड भगवन्नाम–कीर्तन करने से वास्तुजनित दोष का निवारण हो जाता है.
  • मुख्य द्वार के ऊपर सिन्दूर से स्वस्तिक का चिन्ह बनाये.यह चिन्ह नौ अंगुल लम्बा तथा नौ अंगुल चौड़ा होना चाहिये.
  • घर के दरवाजे पर घोड़े की नाल (लोहे की) लगायें। यह अपने आप गिरी होनी चाहिए
  • घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए मुख्य द्वार पर एक ओर केले का वृक्ष दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में लगायें।
  • दो फीट गहरा गङ्ढा खोदकर स्थापित किया जाता है।
  • यदि प्लाट खरीदे हुये बहुत समय हो गया हो और मकान बनने का योग न आ रहा हो तो उस प्लाट में अनार का पौधा पुष्प नक्षत्र में लगायें।
  • फैक्ट्री–कारखाने के उद्धाटन के समय चांदी का सर्प पूर्व दिशा में जमीन में स्थापित करें।
  • यदि कोई बहुमंजिली इमारत आपके सामने हो, तो फेंगशुई के अनुसार अष्ट कोणीय दर्पण, क्रिस्टल बाल तथा दिशा सूचक यंत्र लगा सकते हैं।
  • घर में टूटे–फूटे बर्तन या टूटी खाट नहीं रखनी चाहिए। टूटे–फूटे बर्तन और टूटी खाट रखने से धन की हानि होती है।
  • बड़ा गोल आईना मकान की छत पर ऎसे लगाएं कि मकान की संपूर्ण छाया उसमें दिखाई देती रहे।
  • यदि मकान के पास में फैक्टरी का धुआं निकलता हो, तो एग्जास्ट पंखा या वृक्ष लगा लें।
  • यदि मकान में बीम ऎसी जगह हो जिसके कारण आप मानसिक तनाव महसूस करते हो तो बीम से उत्पन्न होने वाले दोषों से बचाव के लिए यह उपाय अपना सकते है।
  • शयनकक्ष में बीम हो, तो इसके नीचे अपना बैड या डाइनिंग टेबल नहीं लगाएं। यदि ऑफिस हो तो मेज व कुर्सियां नहीं रखें।
  • बीम के दोनों ओर बांसुरी लगा दें। इससे वास्तुदोष निवारण हो जाता है।पवन घंटी बीम के नीचे लटका दें या बीम को सीलिंग टायलस से ढक दें।बीम के दोनों ओर हरे रंग की गणपति प्रतिमा लगा दें। यह वास्तु दोषनाशक मानी जाती है।
  • यदि मकान का कोई कोना आपके मुख्य द्वार के सामने आए, तो स्पॉट लाइट लगाएं। जिससे प्रकाश आपके घर की ओर रहे तथा सीधा ऊंचा वृक्ष बीच में लगा दें।
  • शयनकक्ष में घी का दीपक व अगरबत्ती करें जिससे मन प्रसन्न रहे। इस बात का घ्यान रखें कि झाड़ू शयनकक्ष में नहीं रखें।
  • यदि मकान में दिशा संबंघी कोई दोष हो तो इससे बचने के लिए ये उपाय करने से लाभ मिलना संभव है।
  • मकान में मुख्य द्वार पर देहरी बना लें। इससे बुरे व अन्य दोष घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं।
  • ईशान कोण के दोष के लिए इस दिशा में पानी से भरा मटका रखें। इस कोण को साफ–सुथरा रखे।
  • अग्नि कोण दोष निवारण के लिए कोने में एक लाल रंग का बल्ब लगा दें जो दिन–रात जलता रहे।
  • वायव्य कोण दोष निवारण के लिए इस ओर की खिड़कियां खुली रखें, ताकि वायु आ सके। एजॉस्ट पंखा भी लगा सकते हैं।
  • रसोई घर गलत स्थान पर हो तो अग्निकोण में एक बल्ब लगा दें और सुबह–शाम अनिवार्य रूप से जलाये।
  • द्वार दोष और वेध दोष दूर करने के लिए शंख, सीप, समुद्र झाग, कौड़ी लाल कपड़े में या मोली में बांधकर दरवाजे पर लटकायें।
  • बीम के दोष को शांत करने के लिए बीम को सीलिंग टायल्स से ढंक दें। बीम के दोनों ओर बांस की बांसुरी लगायें।
  • नैऋत्य कोण दोष निवारण के लिए इस कोने को भारी बनाएं। स्टोर बनाना यहां शुभ होता है।
  • शयनकक्ष में दर्पण का प्रतिबिंब पलंग पर न पड़ने दें, साथ ही, डबल बेड पर एक ही गद्दा रखें, इससे सुधर आएगा।
  • पति–पत्नी में प्रेम के लिए प्रेमी परिंदे का चित्र या मेडरिन बतख का जोड़ा रखें अथवा सपरिवार प्रसन्नचित मुद्रा वाला चित्र लगाएं।
  • खाने की टेबल को प्रतिबिंबित करने वाला आईना व्यक्ति के भाग्य और सद्भाव में वृद्धि करता है, इसे लगाएं।
  • संभव हो तो गाय का पालें इससे वास्तु दोष दूर होता है।
  • घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिये।

वास्तु दोष का आपकी रसोई से संबंध

रसोई की सबसे बेहतरीन जगह दक्षिण–पूर्व है। इसके अथवा दूसरा विकल्प उत्तर–पश्चिम दिशा है। यदि दाम्पत्य जीवन के तालमेल में कमी के संकेत मिल रहे हों तो रसोई और शयन कक्ष की वास्तु योजना पर खास तौर पर ध्यान देना चाहिए।

रसोई की दीवारों का पेंट आदि का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है। रसोई घर में पूजाघर या देवताओं की मूर्ति जैसी चीजें न रखें।..रसोई में कुकिंग रेंज पूर्व में ऐसे रखें कि खाना बनाने वाले के सामने पूर्व दिशा पड़े। फूज्ड प्रोसेसर, माइक्रोवन, फ्रिज इत्यादि की व्यवस्था दक्षिण–पूर्व में होनी चाहिए।

पानी संबंधी कार्य जैसे वाटर फिल्टर, डिशवाशर, बर्तन धोने का सिंक आदि उत्तर–पूर्व वाले भाग में होने चाहिए इससे वास्तु दोष दूर होता है। पूर्व की दीवार में वॉल कैबिनेट न हों तो बेहतर है यदि जरूरी हो तो यहाँ भारी सामान न रखें।

खाने–पीने का सामान उत्तर–पश्चिम दिशा में या रसोईघर के उत्तर–पश्चिम भाग में स्टोर करें जिस दरवाजे से अधिक आना जाना हो या मुख्य द्वार यदि रसोईघर के ठीक सामने हो साथ ही पति पत्नी के ग्रह–नक्षत्र कलह का इशारा देते हैं तो बेहतर होगा कि दरवाजों की जगह बदलवाएँ वरना उक्त परिस्थितियाँ आग में घी का काम करती हैं।

भवन के बीचों–बीच का हिस्सा ब्रह्म स्थान कहा जाता है। इसे खाली रखा जाना चाहिए। जैसे फर्नीचर या कोई भारी सामान यहाँ पर सेहत व मानसिक शांति को प्रभावित करते हैं। ब्रह्मस्थान वाले क्षेत्र में छत में भारी झाड़ फानूस भी नहीं लटकाएँ जाएँ। इस हिस्से में पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था का निषेध है, यह आर्थिक नुकसान का संकेतक है। इन उपायों से आप वास्तु दोष से मुक्ति पा सकते हैं।

इन जगहों पर न बनाएं मकान

श्मशान की भूमि पर मकान बनाकर रहना सभी अशुभ मानते हैं। वास्तव में यह सारी पृथ्वी ही श्मशान है। जब कर्ण ने भगवान कृष्ण से निवेदन किया कि मेरा दाह ऐसे स्थान पर करना जहां किसी का आज तक दाह कर्म नहीं किया गया हो तब भगवान को पूरी पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं मिला–

वास्तुशास्त्र में वैध काफी महत्व रखता है। यह बाधा या रूकावट के संकेत देता है। भवन अथवा मुख्य द्वार के सामने अगर पेड़, खंभा, बड़ा पत्थर आदि या जनता द्वारा प्रयोग होने वाले मार्ग का अंत होता है तो उसका विपरीत असर पड़ता है।

जब वेध व भवन के बीचों–बीच ऐसी सड़क हो जिसमें आम रास्ता हो तो वेध का प्रभाव पूरी तरह तो नहीं मगर बहुत कुछ कम हो जाता है। घर पर भी किसी कमरे के दरवाजे के सामने कोई वस्तु मसलन जसे सोने के कमरे के सामने ऐसी सजावटी वस्तुएँ तनाव और चिंताओं के कारण या नींद में बाधक हो सकती है…

खिड़की दरवाजे सोच-समझकर बनवाएं

खिड़की, दरवाजे और मुख्य रूप से मेन–गेट पर काला पेंट हो तो परिवार के सदस्यों के व्यवहार में अशिष्टता, गुस्सा, बदजुबानी आदि बढ़ जाते हैं। घर के जिस भी सदस्य की जन्मपत्रिका में वाणी स्थान व संबंधित ग्रह–नक्षत्र शनि, राहु मंगल और केतु आदि से प्रभावित हों, उस पर उक्त प्रभाव विशेष रूप से दृष्टिगोचर होता हो।

मंगल व केतु का प्रभाव हो तो लाल पेंट कुतर्क, अधिक बहस, झगड़ालू और व्यंगात्मक भाषा इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति की तरफ इशारा करता है। ऐसे हालात में सफेद रंग का प्रयोग लाभदायक होता है।

वास्तुशास्त्र के साथ ज्योतिष का ज्ञान होना आवश्यक है। आजकल ज्योतिष और वास्तुशास्त्र एक आकर्षक व्यवसाय के रूप में उभर कर आ रहे हैं। अधकचरे वास्तुशास्त्री अजीबो–गरीब उपाय बतलाते हैं। अतः वास्तुशास्त्री का चुनाव सावधानी से करिए। लोगों की परेशानियों से आनन–फानन छुटकारा दिलवाने का बढ़–चढ़कर दावा करने वालों से हमेशा सावधान रहें।

यह भी पढ़ें- आपके सम्पूर्ण जीवन पर असर डालता है केतु ग्रह! जानिए केतु के बारे में रोचक बातें

 3,877 

Posted On - June 10, 2020 | Posted By - Suraj925 | Read By -

 3,877 

क्या आप एक दूसरे के लिए अनुकूल हैं ?

अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें

आपकी राशि
साथी की राशि

अधिक व्यक्तिगत विस्तृत भविष्यवाणियों के लिए कॉल या चैट पर ज्योतिषी से जुड़ें।

Our Astrologers

21,000+ Best Astrologers from India for Online Consultation