आपके सम्पूर्ण जीवन पर असर डालता है केतु ग्रह! जानिए केतु के बारे में रोचक बातें

Ketu Moola Nakshatra
WhatsApp

ज्योतिष में केतु ग्रह को अशुभ माना जाता है परंतु फिर भी वैदिक ज्योतिष में केतु को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हालांकि इस ग्रह द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल की प्राप्ति नहीं होती हैं। केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। स्वभाव से मंगल की भांति ही केतु भी एक क्रूर ग्रह के रूप में जाने जाते हैं।

ज्योतिषी के अनुसार 27 नक्षत्रों में केतु को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी माना गया है।राहु और केतु ग्रहों के कारण ही सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण होता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, कैसे बना केतु ग्रह?

जब भगवान विष्णु की प्रेरणा से देव-दानवों ने क्षीर सागर का मंथन किया तो उसमें से बहुमूल्य रत्नों के अतिरिक्त अमृत की भी प्राप्ति हुई। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके देवों व दैत्यों को मोह लिया और अमृत बांटने का कार्य स्वयं ले लिया तथा पहले देवताओं को अमृत पान कराना आरम्भ कर दिया। स्वरभानु नामक राक्षस को संदेह हो गया और वह देवताओं का वेश धारण करके सूर्यदेव तथा चन्द्रदेव के निकट बैठ गया।

विष्णु जैसे ही स्वरभानु को अमृतपान कराने लगे सूर्य व चन्द्र ने विष्णु को उनके बारे में सूचित कर दिया। क्योंकि वे स्वरभानु को पहचान चुके थे। भगवान विष्णु ने उसी समय सुदर्शन चक्र द्वारा स्वरभानु के मस्तक को धड़ से अलग कर दिया। पर इस से पहले अमृत की कुछ बूंदें राहु के गले में चली गयी थी जिस से वह सर तथा धड दोनों रूपों में जीवित रहा। सर को राहु तथा धड़ को केतु कहा जाता है।

केतु का महत्व

खगोलीय दृष्टि से इस ग्रह का कोई अस्तित्व नहीं हैं हालांकि वैदिक ज्योतिष में ही इस ग्रह की उपस्थिति को बताया गया है। वो भी एक छाया ग्रह के रुप में जो स्थिति व अपने साथ बैठे ग्रह के अनुसार फल देता है। यह ग्रह कुंडली में किस भाव में बैठा है, यह इसके परिणाम पर काफी असर डालता है। कुछ भाव ऐसे भी हैं जिनमें केतु का होना शुभ परिणाम तो कुछ में नकारात्मक परिणाम देता है। इसलिए ज्योतिष में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

मानव जीवन पर प्रभाव

सबसे पहले बात करते हैं शरीर संरचना व गुण – अवगुण की। जातक में केतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। केतु के कारण ही जातक का स्वभाव कठोर एवं क्रूर होता है। जातक आक्रोशित हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह की कोई निश्चित राशि नहीं बताई गई है। इसलिए केतु जिस भी राशि में विराजता है वह उसी के अनुसार जातक को परिणाम देता है।
ऐसा माना जाता है कि केतु एक ऐसा ग्रह है जिसका जबरदस्त प्रभाव समस्त सृष्टि पर और समस्त मानव जीवन पर पड़ता है।

केतु का शुभ फल

शुभ होने पर भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की उन्नति में केतु देवता अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। मेहनती बनाते हैं व लक्ष्य प्राप्ति में सहायता प्रदान करते है तथा अनुशाषित बनाते है। गूढ़ रहस्यों को जानने की योग्यता प्रदान करते हैं। ऐसा जातक समाज में उच्च पदासीन , एक प्रतिष्ठित , साफ़-सुथरी छवि का स्वामी , निडर प्रवृत्ति का,मेहनती, बुद्धिमान व शत्रु विजयी होता है।

केतु का अशुभ फल

अगर यह ग्रह अशुभ होता है तो जातक जल्दी घबराने वाला होता है। समाज में नकारा जाने वाला,बात-बात में चिढ़ने वाला,सुस्त,काहिल,हर काम को देर से करने वाला, साधारण फैसले लेने में भी घबराने वाला होता है। पैरो में कोई समस्या पैदा होने की संभावना बानी रहती है ।

अशुभ फल से बचने के उपाय

  • कन्याओं को रविवार के दिन हलवा और मीठी दही खिलाएं।
  • दो रंग का कंबल किसी गरीब को दान करें।
  • बरफी के चार टुकड़े बहते पानी में बहाएं।
  • हरा रुमाल सदैव अपने जेब में रखें।
  • तिल के लड्डू सुहागिनों खिलाएं और तिल का दान करें।
  • दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिति को केतु के नियमित व्रत रखें।
  • कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन शाम को एक दोने में पके हुए चावल लेकर उस पर मीठी दही डाल लें और काले तिल के कुछ दानों को रख दान करें। यह दोना पीपल के नीचे रखकर केतु दोष शांति के लिए प्रार्थना करें।
  • गाय के घी का दीपक प्रतिदिन शाम को जलाएं।
  • पीपल के वृक्ष के नीचे प्रतिदिन कुत्ते को मीठी रोटी और दही खिलाएं।
  • भैरवजी की उपासना करें। केले के पत्ते पर चावल का भोग लगाएं।

यह भी पढ़ें- दशम भाव- कुंडली के इस भाव से जानें अपने करियर के बारे में

 1,981 

WhatsApp

Posted On - June 7, 2020 | Posted By - Om Kshitij Rai | Read By -

 1,981 

क्या आप एक दूसरे के लिए अनुकूल हैं ?

अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें

आपकी राशि
साथी की राशि

अधिक व्यक्तिगत विस्तृत भविष्यवाणियों के लिए कॉल या चैट पर ज्योतिषी से जुड़ें।

Our Astrologers

1500+ Best Astrologers from India for Online Consultation