रत्न से जुडी पाश्चात्त्य और भारतीय मान्यताएं

रत्न

रत्न (Gemstone) औऱ ज्योतिष शास्त्र दोनों के बीच बड़ा ही घनिष्ट संबंध है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक हर एक ग्रह का, एक अलग विशेष रत्न निर्धारित किया गया है| जो मनुष्य के जीवन में उस ग्रह विशेष के संबंधो में दुष्प्रभाव का निवारण करता है। रत्न और उप-रत्नों का निश्चित रूप से मनुष्य के जीवन में बहुत बडा असर पडता है।

संदर्भ

इस विषय में भारतीय और कई पाश्चात्त्य विद्वान दोनों ही एकमत हैं कि रत्न और उप रत्नों के उपयोग से जीवन में आने वाले संकटों से छुटकारा पाया जा सकता है। ग्रहों के दुष्पभाव से बचा जा सकता है पर यह भी एक सच है कि इस विषय में भारतीय और पाश्चात्त्य विचारों में भिन्नता भी पाई जाती है|

रत्न को लेकर यहां दोनों ही संस्कृतीयों की समझ के बारें में बात करेंगे

यहां एक प्रश्न भी उत्पन्न होता है कि जैमस्टोन मनुष्यों के जीवन में किस प्रकार से सहायता करते हैं? इस विषय में साधारणतः यह धारणा है कि, अलग-अलग स्टोन अथवा उप रत्न उनके रंग और तेज को अपने में समाहित करके ही मनुष्य के जीवन में बदलाव लाते हैं।

इसी वजह से कहा जाता है कि राशि रत्नों की अँगुठी बनवाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उसका निचला भाग खुला रहे अथवा उंगली से स्पर्श करता रहे। जिससे कि संबंधित रंग व अदृश्य किरणें जैमस्टोन से गुजर कर शरीर में प्रवेश कर सकें। यदि इस तरह से जैमस्टोन को अंगुली में धारण किया जाता है तो व्यक्ति को कई शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

भारतीय मान्यता

भारतीय ज्योतिष शास्त्र की दृष्टी से रत्न धारण करने की अनेक विधियां उपलब्ध हैं, परंतु सर्वाधिक राशि के आधार पर ही जैमस्टोन धारण करने की मान्यता है जैसे कि, उदाहरणार्थ- किसी व्यक्ती का नाम ईश्वर है, जैसा कि वर्णाक्षर क्रम से ईश्वर की राशि वृषभ हुई। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र ग्रह होता हैं शुक्र ग्रह का प्रतिनिधि रत्न हीरा है अतः ईश्वर नामक व्यक्ती को शुक्र ग्रह के लिये हीरा धारण करना चाहिए।
भारतीय ज्योतिष शास्त्रों में जन्म राशि को महत्त्वपूर्ण माना जाता है, और उसी के आधार पर ही रत्न धारण करना चाहिए पर कुछ लोग नाम – राशि को अधिक महत्व देते हैं। यह लोग प्रचलित नाम के आधार से अपनी राशि को मानते हैं। इसी के उपर अपना रत्न धारण करना पसंद करते हैं।

जैमस्टोन में इतनी शक्ति होती है कि यह व्यक्ति को तेजस्वी बना सकती है, इसके साथ ही कुंडली में मौजूद दोषों को दूर करने के लिए भी ज्योतिषी रत्न धारण करने को कहते हैं। कई लोग केवल दिखावे के लिए भी आजकल जैमस्टोन धारण कर देते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए, ऐसा करके व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।

पाश्चात्त्य मान्यता

पाश्चात्त्य विद्वानों के अनुसार, सूर्य राशि को अधिक महत्व दिया गया है और उसी के आधार पर रत्न धारण करने की मान्यता है। और इस के हिसाब से व्यक्ति की राशि जानकर उसे उस राशि का जैमस्टोन पहनने की सलाह सलाह देते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ती का जन्म 21 मार्च से 19 अप्रैल के मध्य में हुआ है तो उसकी राशि मेष हुई और उसे मूंगा या उसके उप-रत्नों को पहनना चाहिए।

राशि के स्वामी,रत्न और उप रत्न

राशिराशि स्वामी रत्न उपरत्न
मेष-वृश्चिकमंगलमूंगा लाल ओनेक्स , लाल हकीक
वृषभ-तुलाशुक्रहीराओपल(opal), स्फटिक(crystal), सफेद हकीक(white agate)
मिथुन-कन्या बुधपन्नाहरा ओनेक्स, फिरोजा,हरा मरगज, हरा हकीक
कर्कचंद्रमामोती सफेद मूंगा, मून स्टोन, दूधिया हकीक.
सिंहसूर्यमाणिकरतवा हकीक, रक्तमणि.
धनु-मीनबृहस्पतिपीला पुखराजमरगज, सुनहला, येलो सिट्रीन
मकर-कुंभशनिनीलमजामुनिया, नीला कटेला, नीलमणि

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Posted On - May 30, 2020 | Posted By - Gaurav Shelar | Read By -

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