सूर्य को जल अर्पण करने के पीछे ज्योतिषीय महत्व एवं मूल्य

सूर्य को जल अर्पण

भारत देश, सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों की भूमि है, जहाँ लाखों लोग सूर्योदय से पहले ही अपनी नींद त्याग देते हैं। वह मंत्रों का जाप करते हैं और भगवान सूर्य को जल अर्पित हैं। सूर्य को जल अर्पण करना हिंदू धर्म का एक अभिन्न अंग है। हिंदुओं के साथ-साथ अन्य समुदायों के लोग भी बड़ी संख्या में सूर्य की पूजा करते हैं। भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं और वह ऊर्जा के सबसे शक्तिशाली स्रोत भी हैं। मौसम के परिवर्तन से लेकर जीवन-स्रोत की चक्र तक सूर्य देव पृथ्वी पर सब कुछ नियंत्रित करता है। सूर्य को जल अर्पण से भगवान सूर्य का आशीर्वाद के साथ सुख समृद्धि भी प्राप्त होते हैं।

शास्त्रों के अनुसार प्रभु सूर्य को आकाशगंगा के सभी तारों का पिता माना जाता है। इसलिए, हिंदू धर्म के साथ-साथ वैदिक ज्योतिष में भी इनका महत्व सर्वोपरि है। महत्व को नमन करते हुए, भक्तजन सूर्य देव को कृतज्ञता प्रदान करने के लिए अनेक प्रकार के अनुष्ठान और सूर्य को जल अर्पण करते हैं।

सूर्य को जल अर्पण करना इन सभी अनुष्ठानों में सबसे सामान्य अनुष्ठान है। हिन्दी भाषा में इस प्रथा को अर्घ्य देना कहते हैं। यह काम समय का अनुष्ठान लोगों के जीवन में उल्लेखनीय परिणाम लाता है।

सूर्य को जल अर्पण या अर्घ्य देना

हिंदू धर्म में, सूर्य को जल अर्पण भोर होते समय ही फलदायक होता है। जैसे भगवान सूर्य हर सुबह सकारात्मकता ऊर्जा और हमारे जीवन में प्रकाश लेट हैं लाते हैं, अर्घ्य देना आभार व्यक्त करने का प्राचीन तरीका है। प्राचीन काल में, लोग तालाबों और नदियों में स्नान करते समय सूर्य देव को अर्घ्य देते थे। हालाँकि, यह अनुष्ठान आधुनिकरण और शहर पर शहर बढ़ने के बाद बदल गया है।

यह भी पढ़ें: 2022 में विवाह के सभी शुभ मुहूर्तों की सूची

अर्घ्य देने के पीछे ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष में मनुष्य के वर्तमान और भविष्य के निर्माण में सूर्य देव एक अहम भूमिका निभाते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव मनुष्य के जीवन में गर्व, आत्मविश्वास, सम्मान, पिता, बड़ी हस्ती, अधिकार और पदनाम का भी प्रतीक है। जन्म कुंडली में एक मजबूत और अच्छी तरह से स्थित सूर्य के साथ, एक व्यक्ति को आत्मविश्वास और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

हालांकि, कमजोर सूर्य के साथ, व्यक्ति को कम आत्म अभिव्यक्ति और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। अक्सर उन्हें अपने पिता के साथ खटास भरे रिश्ते से गुजरना पड़ता है। इसलिए विशेषज्ञ ज्योतिषी उन्हें सूर्य को मजबूत एवं फलदायक उपाय लेने की सलाह देते हैं। सूर्य को जल अर्पण करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और ग्रहदशा को मजबूत करने में सहायक होते है।

ग्रह सूर्य को उग्र और साहसी प्रवृत्ति का ज्योतिष शास्त्र में उल्लेख है। इसलिए इन्हे जल चढ़ाने से व्यक्ति में सूर्य के गुण समाहित होते हैं। यह अनुष्ठान है एक ऐसा अनुष्ठान है जो किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की स्थिति को मजबूत कर सकता है। साथ ही, यह छोटा सा अनुष्ठान लोगों में के प्रति जागरूकता पैदा करता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी दशा अवधि के दौरान इस अनुष्ठान का पालन करता है, तो उसके जीवन में सूर्य के सभी विनाशकारी प्रभाव समाप्त हो जाएंगे।

सूर्य ग्रह का शनि ग्रह से संबंध

सूर्य ग्रह का शनि ग्रह से संबंध सर्वविदित है। सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में शनि के अशुभ फल समाप्त हो जाते हैं। चूंकि यह उपाय शनि को स्थिर करता है और व्यक्ति को शनि में मौजूद गुणों की आवश्यकता होती है। इससे यह लोग समय के पाबंद, अनुशासित और मेहनती बन जाते हैं। ज्योतिष में जल चंद्रमा का प्रतीक है। इस प्रकार, सूर्य को जल चढ़ाने से वह सभी शुभ योग सक्रिय हो जाते हैं जो सूर्य और चंद्रमा एक साथ एक रुपरेखा समाहित होते हैं।

अंग्रेजी में पढ़ने के लिए: Sun And Moon Conjunction In 8th House: Impact On Love, Career And More

वेद में महत्व

वेदों में बड़ी मात्रा में जो सूर्य को अर्घ्य देने के महत्व को लिखा गया है। शास्त्रों के अनुसार कोई व्यक्ति जो पानी की बूंदे शाम को सूर्य को अर्पित करता है, वह आगे चलकर पत्थरों में बदल जाता है या उस पर अशुभ समय आता है। वह इसलिए क्योंकि वह जल राक्षसों पर गिरते हैं। साथ ही लोगों के लिए राक्षस, रोग के रूप में भी हानि पहुँचा सकते हैं। उदाहरण के लिए, टीबी, टाइफाइड, आदि।

यह भी पढ़ें: सकारात्मक रहने और निराशाओं से बचने के कुछ खास तरीके

सूर्य को जल चढ़ाने का वैज्ञानिक महत्व

सौर पराबैंगनी विकिरण(UV Radiation) का उपयोग प्राचीन काल से ही विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसका एक वैज्ञानिक तथ्य यह है कि त्वचा की विभिन्न परतों में अणुओं के साथ विकिरण का संचार करता है और अवशोषित करता है।

पानी की प्रत्येक बूंद जो एक व्यक्ति सूर्य को प्रदान करता है, एक माध्यम के रूप में कार्य करता है जिसके माध्यम से सूर्य देव की किरणें उनके शरीर में प्रवेश करती है। और सूरज की रोशनी किसी व्यक्ति के शरीर में पहुंचने पर घुल जाती है और फिर सप्तरंग बनाती है। यह रंग मनुष्य के सात चक्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह उन्हें कई बैक्टीरिया से बचाता है और आंखों की रोशनी में सुधार लता है। अर्घ्य देने से व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

अधिक के लिए, हमसे इंस्टाग्राम पर जुड़ें। अपना  साप्ताहिक राशिफल  पढ़ें।

 4,239 

Posted On - September 10, 2021 | Posted By - Shantanoo Mishra | Read By -

 4,239 

क्या आप एक दूसरे के लिए अनुकूल हैं ?

अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें

आपकी राशि
साथी की राशि

अधिक व्यक्तिगत विस्तृत भविष्यवाणियों के लिए कॉल या चैट पर ज्योतिषी से जुड़ें।

Our Astrologers

1500+ Best Astrologers from India for Online Consultation