हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में जाना जाता है, जो हर साल ज्येष्ठ माह में मनाया जाता हैं। इस त्यौहार को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे कि वैशाख पूर्णिमा, कामिका पूर्णिमा और अनुष्ठान पूर्णिमा आदि। हिंदू धर्म में इस त्यौहार का महत्व विभिन्न परंपराओं और क्षेत्रों में भिन्न होता है। कुछ लोग इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के रूप में मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह के रूप में मानते हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा का अन्य महत्व यह है कि इस दिन को अनेक परंपराओं में दीपदान के रूप में जाना जाता है। यह दिन बुराई को दूर रखने, सद्भावना और एकता के संदेश को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। साथ ही ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 (Jyeshtha Purnima 2023) में 03 जून, शनिवार के दिन भक्ति-भाव से मनाई जाएगी।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 | 03 जून 2023, शनिवार |
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ | 03 जून 2023 को 11ः16 से |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 04 जून 2023 को 09ः11 तक |
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ज्योतिष शास्त्र में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता हैं। यह पूर्णिमा मासिक अमावस्या के बाद आती है और वैदिक ज्योतिष में इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा को अन्य पूर्णिमा की तुलना मे अधिक महत्व दिया जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक राशि में होते हैं जो बहुत ही शुभ और समृद्धिदायक माना जाता है।
हिंदू धर्म में इस दिन को अपने जीवन में नई शुरुआत के लिए अच्छा माना जाता है। साथ ही इस दिन धार्मिक अनुष्ठान, दान-पुण्य करने से जातक को धन, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त होती हैं। मान्यता है कि इस दिन कोई भी उपाय करने से वह अधिक सफल होता है और संतान, धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा को विशेष रूप से मनाने के लिए व्रत और पूजा की विधि निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है:
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हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत का पालन करने से कई लाभ होते हैं। यह व्रत मन, शरीर और आत्मा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
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एक कथा के अनुसार, एक बार एक राजा ने अपने राज्य में लोगों के लिए भगवान की पूजा का आयोजन किया। इस आयोजन में कई लोगों ने भाग लिया था। एक दिन राजा के पुत्र ने ज्येष्ठ पूर्णिमा के महत्व के बारे में पूछा। उस पर राजा ने बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और इस दिन का व्रत रखने से जातक को भगवान की कृपा मिलती है।
यह सुनकर राजा के पुत्र ने राजा से पूछा कि इस व्रत का पालन करने से क्या लाभ होता हैं? तब राजा ने उसे विस्तार से बताया कि इस व्रत के द्वारा व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है, स्वस्थ शरीर, धन की वृद्धि होती है, पूजन का फल मिलता है और जातक का संयम बढ़ता हैं।
राजा के पुत्र ने फिर सोचा कि वह इस व्रत का पालन करेगा और वह भी अपने राज्य के लोगों को इसके बारे में बताएगा। इस तरह उसने अपने राज्य के लोगों को भी इस व्रत के महत्व के बारे में बताया। राजा के पुत्र ने फल और नींबू आदि से तैयार किए गए प्रसाद को लोगों में बांटा, जिसके कारण लोगों को संतुष्टि प्राप्त हुई।
व्रत के अनुसार, इस दिन देवी ज्येष्ठा की भी पूजा की जाती है, जो मां पार्वती का ही एक दिव्य रूप है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा, इस व्रत को विधि-विधान से करने पर व्यक्ति को बुरे कर्मों से छुटकारा मिल जाता है और उसका मन शुद्ध हो जाता हैं।
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हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन कुछ धार्मिक कार्यक्रम होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
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ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन आप इन नियमों का पालन कर सकते हैं:
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर निम्नलिखित उपाय अलग-अलग राशियों के लिए उपयोगी हो सकते हैं:
ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर निम्न मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ होता है:
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
इस मंत्र का अर्थ है कि पूर्ण ही ईश्वर हैं और सब कुछ ईश्वर का ही रूप है। हमें ईश्वर में ही संयोग लेना चाहिए तथा ईश्वर के विशाल विस्तार को समझना चाहिए। इस मंत्र के जाप से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति ईश्वर के साथ संयोग में रहते हुए अपनी अधिकारों का भी समझने लगते हैं।
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