हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या को श्राद्ध पक्ष के महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन अधिकतर हिंदू लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनका श्राद्ध करते हैं। आषाढ़ महीने को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें पितरों का श्राद्ध किया जाता है। साथ ही इस दिन लोग दान, पितर श्राद्ध, हवन आदि जैसे धार्मिक काम भी करते हैं। वहीं आषाढ़ अमावस्या 2023 में 18 जून यानि रविवार के दिन मनाई जाएगी।
आषाढ़ अमावस्या के दिन कुछ विशेष पूजाओं का विधान होता है, जो इस दिन की जाती हैं। इस दिन कुछ मंदिरों में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही कई जगह इस दिन मां दुर्गा की पूजा भी की जाती हैं। आप निम्न विधि से आषाढ़ अमावस्या के दिन पूजा कर सकते हैं:
सबसे पहले स्नान करके आपको साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए।
इसके बाद आप पूजा स्थल को साफ करें। इसके लिए आप गंध और धूप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पूजा स्थल साफ करने के बाद आपको भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए, उन्हें पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
आपको मां दुर्गा के मूर्ति को भी अपने पूजा स्थल पर रखना चाहिए और उन्हें भी पुष्प, धूप और दीप से अर्पित करना चाहिए।
इसके बाद विधि-विधान से भगवान की पूजा करें और ध्यान, मंत्र आदि का पाठ करें।
अंत में, भगवान की आरती जरूर करें और उनसे प्रार्थना करें।
आषाढ़ अमावस्या 2023 पर व्रत रखने से होता है यह लाभ
आषाढ़ अमावस्या व्रत करने से भक्तों को निम्न लाभ होते हैं:
पुण्य: आषाढ़ अमावस्या को व्रत रखने से व्यक्ति को पुण्य मिलता है, जो जातक को सफलता और सुख देता हैं।
धन की प्राप्ति: इस व्रत को रखने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है। यह धन की प्राप्ति उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद करती है।
शुभ विवाह: आषाढ़ अमावस्या को व्रत रखने से व्यक्ति के विवाह में कोई बाधा नहीं आती है और उसे एक अच्छा साथी प्राप्त होता हैं। साथ ही इन लोगों को अपने जीवनसाथी से अधिक सम्मान और प्यार भी प्राप्त होता है।
दुःखों व कष्टों से मुक्ति: आषाढ़ अमावस्या के दिन व्रत रखने से व्यक्ति अपने जीवन में दुःखों से मुक्त हो जाता हैं और जातक को शांति की अनुभूति होती है।
स्वस्थ जीवन: इस व्रत को रखने से व्यक्ति को स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। साथ ही यह व्रत जातक को अपनी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है।
हिंदू धर्म के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। चलिए इस व्रत से जुड़ी कथा के बारे में जानते हैंः
एक बार देवलोक में भगवान विष्णु ने यह सुना कि महाराज बलि अपने यज्ञ का आयोजन करना चाहते हैं और उनके लिए वह अपने शत्रुओं को बलिदान करने के लिए तैयार हैं। भगवान विष्णु ने उन्हें रोकने के लिए वामन अवतार धारण किया। वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने महाराज बलि से तीन कदम जमीन मांगी।
महाराज बलि ने उनकी मांग पूरी की। लेकिन तीन पग जमीन में भगवान ने सब कुछ ले लिया था, जिसके बाद राजा ने भगवान के चरणों में अपना सिर रख दिया, तब भगवान के वामन अवतार ने राजा को पाताल लोक में भेज दिया और राजा वहां राज्य करने की अनुमति दी। उसके बाद से आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को विष्णु की पूजा करने का दिन माना जाता है।
आषाढ़ अमावस्या व्रत का पालन करने से व्यक्ति की समस्याओं का समाधान होता है, उसके बुरे कर्मों का नाश होता है और उसे सफलता की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पालन करने से मनुष्य को निरोगता, सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति मिलती है। व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि होती है और वह ईश्वर की कृपा प्राप्त करता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को धन, सुख, समृद्धि और सम्मान की प्राप्ति होती है।
इस दिन किए जाते है ये धार्मिक काम
आषाढ़ अमावस्या के दिन विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम और पूजाएं की जाती हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:
गंगा स्नान: आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से धार्मिक फल मिलता है। लोग इस दिन गंगा नदी के किनारे स्नान करते हैं।
दान-धर्म: इस दिन दान-धर्म करने से धार्मिक फल मिलता है। लोग दूध, घी, शक्कर, अनाज, उड़द दाल आदि दान करते हैं।
पूजा: आषाढ़ अमावस्या के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने, दूध, शहद, बेलपत्र, धतूरे, बिल्वपत्र आदि चढ़ाये जाते हैं।
ध्यान: इस दिन ध्यान करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। ध्यान करने से जातक को शांति और मन स्थिर रहता है।
यज्ञ: आषाढ़ अमावस्या के दिन यज्ञ करना शुभ माना जाता है। यज्ञ करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख आता हैं।
हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है और इस दिन धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन ज्यादातर लोग दान-धर्म, जल संबंधी कार्य, अग्निपूजा, महामृत्युंजय जप आदि करते हैं।
इस दिन लोग उपवास भी रखते हैं और आषाढ़ अमावस्या के दिन नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता हैं। इस दिन स्नान करने से शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है और जातक का तनाव भी कम होता है।
अमावस्या के दिन शास्त्रों से सम्बंधित कार्य भी किए जाते हैं। इस दिन अपने गुरु की वंदना करने से व्यक्ति को धन, संतान और समृद्धि मिलती है।
इस दिन धार्मिक नियमों का पालन करना चाहिए, जैसे आभूषण नहीं पहनना, नए कपड़े न पहनना, नया काम शुरू न करना आदि।
अमावस्या तिथि के दिन जातक को धार्मिक काम करने चाहिए। साथ ही इस दिन किसी भी तरह का अनैतिक काम नहीं करना चाहिए।