जानें मौन का रहस्य और इससे होने वाले लाभ

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मौन एक अदभुत शक्ती है| बहुत से लोग और मैं भी, यह मानता हुं की, मौन ही सारे विपदाओं का निवारण है|जब हम अपने मन को नियंत्रित कर पाते हे|तभी मौन का सत्य अनुभव मिलता है|यदि आप बाहर से मौन दिखा रहे हो|पर अंतर्गत मन में विचारों से विचलित रहते हे|तो आपको यह अनुभव प्राप्त नही होगा|अपने अंतरिम ज्ञान को जानने के लिए, मौन आध्यात्मिकता में पहला Step माना जाता है|मौन से हानी नहीं बल्की सिर्फ लाभ ही लाभ होते है|

इस संसार में जो भी है वह सब कुछ एक ऊर्जा से ही उत्पन्न हुआ है|सभी बातों में किसी ना किसी शक्ती का ही उपयोग होता है| सर Isaac न्यूटन के  नियम अनुसार , ऊर्जा को कभी भी निर्माण और नष्ट नही किया जा सकता, सिर्फ उसे एक रूप से दुसरे रुप में Convert  कर सकते है| पर इस ऊर्जा का स्त्रोत क्या हे? ऐसी कोनसी शक्ती हे जो हर क्षण में, हर स्थान मेें और हर एक घटक में उपलब्ध रहती है?

शक्ती

हिंदू धर्म मान्यता अनुसार मां देवी को ही सृष्टी की ऊर्जा का स्त्रोत कहा गया है|और इसी गुणविशेष की वजह से उन्हे ‘शक्ती’ के नाम से भी जाना जाता है|देवी ही इस जगत के पूर्ण अस्तित्व को शक्ती प्रदान करती है|और मनः शक्ती को उजागर करने में भी वही सहायता करती है|

मौन की वजह से हम हमारे स्त्रोत यानि शक्ती के संपर्क में आते है|इस शांती स्वरूप मौन से विश्राम मिलता है और पुनश्च नवचैतन्य प्राप्त करने की संधी प्राप्त होती है| पर यहा विश्रांती का अर्थ सिर्फ शारीरिक क्रिया कलाप से ही विश्राम नहीं, बल्की मानसिक स्तर पर भी विश्राम मिलता है|हमारे मन में पलती चंचलता की वजह से ही हमारे शक्ती का ऱ्हास होता है|और इसी वजह से हम उस विश्राम के अनुभव से वंचित रहते है|

संपूर्ण विश्व, ऊर्जा से परिपूर्ण भरा हुआ है|ऐसी ऊर्जा जिसका उपयोग कर हम पुनश्च चैतन्यदायी हो सकते हैं| इस विशाल ऊर्जा स्त्रोत का लाभ लेने हेतु हमे केवल आंतरिक स्थूलता से मिलाप करना होता है|जब मन स्थिर हो जाता है| तब हम बाहरी ऊर्जा को ग्रहण कर, विस्तारित होते है| इस वजह से हमारी सजगता बढती है और मनः शांती का लाभ होता है|बेचैनी कम होती हे और मन की कार्यक्षमता बढ जाती है| और मौन के साथ वह अनुभव अधिक समृद्ध होता है|

Silence से हमारी वाणी शुद्ध हो जाती है|और उससे हमारे Skills भी अधिक विकसित होते हैं| मौन रखने से मन शांत होकर पूर्णतः अंतर्मुखी हो जाता है| परिणाम स्वरूप हम अपनी आंतरिक गहराई तक पहुंच पाते है|मौन यानि केवल बोलना बंद कर लेना नहीं होता| बल्की उससे कई अधिक विशाल अर्थ है मौन का|

मौन के प्रकार

प्रथम

जब हम किसी व्यक्ती से बात नहीं करते और मन हमारे आसपास के किसी भी वस्तु में रस नही लेता|तब वह अंतर्मुखी हो जाता है|पूर्णतः से एकरूप होता है|इस प्रकार के मौन में हम, न बताते हुए और किसी भी प्रकार की क्रिया न करके, ऊर्जा का संग्रह करते है|

दूसरा

दुसरे प्रकार में हम विकास स्वरूप आगे जाते है|और सभी प्रकार के भौतिक सुख का उपभोग लेने से बचते है|जब जब हम भौतिक सुख के पीछे भागते है|तब हमारा मन चंचलता से कार्यरत होता है|इस लिये हमे मनःशांती हेतु भौतिक सुख से बचना चाहिए|

तीसरा

तिसरे प्रकार के मौन में हमे किसी चीज की आवश्यकता महसुस नही होती|हम पूर्णतः शांत होकर, अपने ही अंतर्ज्ञान में तृप्त हो जाते है|इस कारण हमारा मन एककेंद्री होकर वह अपने आत्मपरीक्षण हेतु स्थिर होता है|

मानसशास्त्र में Silence का विश्लेषण

हमारे विचारों की चंचलता को रोकने हेतु मौन एक ध्यानप्रक्रिया है|यही मन को शांती प्रदान करने वाला योग है|इससे ही हमारी खुदसे पहचान होती है|हमे जीने के लिये एक नई दीशा मिलती है|हर मनुष्य का उद्दिष्ट आनंद एवं शांती ही होती है|चिरस्थायी स्वरूप शांती! सत्ता, पैसा, भौतिक सुख यह बाते सबको मोहीत करती है|परंतु इसके परिणाम स्वरूप तकलिफे ही ज्यादा मिलती है |इन सबसे मनः शांती नही मिलती बल्की बेचैनी बढ जाती है|

हर रोज मौन रखना और ध्यान करना यह दोनों ही आध्यात्मिक विकास हेतु सहायक है|मानसशास्त्र के अनुसार, हर रोज मनुष्य ६० हजार बार विचार करता है| उनमे से ९० से ९८ प्रतिशत विचार रोजाना की बातों से जुडे हुए रहते है|वह हर एक विचार मेंदू में केमिकल रिलिज करता है|

मनुष्य के Brain में १०० अरब Neurones रहते हैं|हर एक न्युरॉन, शरीर में लगभग १००० संपर्क बनाता हैं|हर संपर्क प्रतिसेकंद २०० बार Effective रहता है|इसवजह से २० हजार करोड खरब Calculations प्रतिसेकंद शुरू रहते है|

जीवन मे मौन के लाभ

यह पुरा सिस्टम जीवन की ऊर्जा से चलता है। इस कारण अगर हम विचारों को यदि कम करना सीख जाए तो वह जीवन हेतु अधिक लाभदायी रहेगा। कुछ मिनटों के मौन से ही शरीर की ऊर्जा में वृध्दी होने में मदद होती है। विचारों में कमी लाने से हमारी सकारात्मकता में सुधार होता है। उन विचारों को नियंत्रित करने के बाद, किसी भी लक्ष्य पर हम जल्दी ध्यान केंद्रित कर पाते है। इसलिये वह विचार ज्यादा शक्तीशाली हो जाता है।

हर विचार एक रचनात्मक शक्ती होती है। इसका मतलब अगर जीवन में कोई बदलाव चाहिए , तो स्वयं में किया हुुआ बदलाव ही महत्त्वपूर्ण होता है। केवल कुछ समय के मौन धारण करने से ही, हमारे मन की आवृत्ति में बदलाव दिखाई देते हैं| मौन में अधिक फ्रीक्वेंसी की तरंगे होने की वजह से यदि कुछ विचार बाहर आते भी है|तो उनसे जीवन में अच्छे ही परिणाम मिलते हैं|और इसी वजह से मौन में कुछ भी साध्य हो सकता है।

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Posted On - June 19, 2020 | Posted By - Gaurav Shelar | Read By -

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