ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का काफी महत्व होता है। क्योंकि इन्हीं ग्रहों के कारण व्यक्ति के जीवन में खुशियां और परेशानियां आती हैं। अगर ग्रह व्यक्ति की जन्म कुंडली में अच्छी दशा में होते हैं, तो जातक को सुख-सुविधा, धन, अच्छी नौकरी, योग्य जीवनसाथी और भी बहुत सारी चीजें प्राप्त होती हैं। लेकिन अगर व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह ग्रह शुभ दशा में नहीं होते, तो व्यक्ति को विपरीत परिणाम प्राप्त होते हैं। उसी तरह कुंडली में राहु शुभ होना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
आपको बता दें कि राहु को एक दैत्य माना जाता है। माना जाता है कि राहु कुंडली में बुरा प्रभाव डालता है। लेकिन आपको बता दे कि ऐसा तभी होता है, जब राहु किसी भी जातक की कुंडली में सही दशा में ना हो। तभी व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आपको बता दें कि अगर किसी जातक की कुंडली में राहु शुभ होता है, तो वह व्यक्ति धन-संपत्ति, अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी नौकरी, अच्छा जीवनसाथी और भी बहुत सारी चीजें प्राप्त कर सकता है।
साथ ही राहु और केतु ग्रह के कारण ही कालसर्प योग भी बनता है। ऐसा तब होता है, जब राहु और केतु सभी ग्रहों को घेर लेते हैं। जिसके बाद कालसर्प योग बनता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु अच्छी दशा में नहीं होता है, तब व्यक्ति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां, धन से जुड़ी परेशानियां, पारिवारिक जीवन से जुड़ी, करियर से जुड़ी परेशानी, प्रेम जीवन से जुड़ी परेशानी आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आपकी कुंडली में भी राहु की दशा सही नहीं है, तो आप इस दशा को सुधार सकते हैं। चलिए जानते हैं कि कैसे राहु की दशा को सुधारा जा सकता है।
राहु को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। जो जीवन में बहुत सारी परेशानियां लेकर आता है। जिस भी कुंडली में राहु युति करता है, उस कुंडली में राहु अशुभ प्रभाव प्रदान करता है। इसी के साथ उस जातक को कई सारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। लेकिन अगर राहु जिस जातक की कुंडली में सही दिशा में होता है। तब वह उस व्यक्ति को जीवन की सारी परेशानियों से छुटकारा दिला सकता है। राहु व्यक्ति की कुंडली पर शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव डालता है। जिस भी कुंडली में राहु शुभ होता है, उस व्यक्ति को काफी लाभ प्राप्त होता है।
अपनी कुंडली में राहु की दशा को सही करने के लिए आप गोमेद रत्न को धारण कर सकते हैं। यह रत्न काफी मददगार साबित होता है।
आपको बता दें कि इस रत्न की परत नहीं होती है। वही माना जाता है कि इस रत्न को गोमूत्र में रखने से गोमूत्र का रंग बदल जाता है।
आपको इस रत्न को शनिवार के दिन धारण करना चाहिए। इससे आपको काफी लाभ होगा।
वहीं राहु नक्षत्र आर्द्रा, स्वाती तथा शतभिषा में पंच धातु में बनवाकर आपको अपनी सबसे बड़ी उंगली में इसे अभिमंत्रित करके पहनना चाहिए। इससे आपको काफी लाभ होगा।
आप जो भी रत्न धारण करें, उसके लिए एक बार किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह जरूर करें।