क्या किशोरावस्था में बढ़ रहे क्राइम, नशा, आत्महत्या, सोशल साइट्स एडिक्शन, गलत संगत आदि को रोका जा सकता है?
बच्चों को लेकर आज कई तरह की समस्याएं हम अपने घर, समाज, और आस पास देख रहे हैं। हर तरह के प्रयास सरकार ,समाज, सामाजिक संगठनों ,माता पिता द्वारा किये जा रहे हैं। हलाकि, सफलता कँहा तक है, यह आज भी एक प्रश्न है?
भारतीय ज्योतिष के अनुसार, जन्मपत्रिका में जन्म के समय बैठे ग्रह जन्म से पूर्व ही कई महत्वपूर्ण स्थितियां निश्चित करते हैं। ग्रहों की स्थति के अनुसार, एक बच्चा जिसने अभी जन्म लिया है, उसके जीवन में क्या क्या घटना घटेंगी, कौन से रोग, जीवन, उसका बौद्धिक स्तर, सब कुछ ज्ञात हो सकता हैं। यथा, कितना अच्छा हो कि समय रहते अगर हमें पता चल जाये, तो हम बच्चों को दिशा बदल सकते हैं और उसका भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में यह बात का स्पष्ठ उल्लेख किया है कि आने वाले समय में डिप्रेशन एक बड़ी बीमारी बन कर उभरेगी, जिसके सबसे ज्यादा शिकार किशोर ही होंगे। उसी विषय पर बात करते हुए, डिप्रेशन से ही जुड़ा होता है क्राइम और सुसाइड।
क्या करना चाहिए, इन समस्याओं से मुक्ति के लिए ?
एक अनुमान के अनुसार, दुनिया के लगभग २० फीसदी नौजवान मानसिक और व्यवहार संबंधी समस्याओं से पीडि़त हैं। दुनिया भर के किशोर अवस्था के वर्ग की प्रमुख समस्याओं में तनाव सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आया। इसी के चलते पिछले दो से तीन दशकों में किशोरों में मानसिक रोगों की समस्या बढ़ी है। किशोरों में तनाव ही आगे चलकर युवाओं को आत्महत्या की ओर ढकेलता है।
दुनिया भर के लगभग ७१,००० किशोर हर साल आत्महत्या करते हैं। साथ ही, हैरान करने वाली बात हैं कि इसके कई गुना अधिक किशोर हर साल आत्महत्या की कोशिश करते हैं, पर किसी वजह से असफल रहते हैं। यह कड़वा सच हैं जो कि हाल ही में जारी यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘दुनिया के बच्च्चों की स्थिति’ के जरिए सामने आया है।
यूनिसेफ द्वारा जारी इस रिपोर्ट में दुनिया भर के किशोरों के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सेहत, शिक्षा, सुरक्षा से जुड़ी स्थितियों की तसवीरें और उनकी समीक्षा की गई है, साथ ही, उनके जीवन में आने वाली चुनौतियों, भविष्य में मिलने वाले बेहतर अवसरों, अधिकारों और उनकी जरूरतों पर भी चर्चा की गई है।
इंसान के जीवन में होने वाले मानसिक विकारों में से आधों की शुरुआत १३ साल की आयु से पहले ही हो जाती है। इस बारे में विशेषज्ञों की राय है कि, बचपन में दुर्व्यवहार, परिवार व आस-पास के वातावारण में हिंसा, गरीबी, अशिक्षा, उत्पीड़न, असुरक्षा, सामाजिक बहिष्कार, माता-पिता के तनावपूर्ण आपसी संबंध या किसी दुर्घटना के चलते बच्चों में मानसिक विकार या व्यावहारिक समस्याएं देखने को मिलती हैं।
समय रहते यदि हम अपने व्यवहार, रेहान-सहन और परवरिश में परिवर्तन कर लेते हैं, तो बच्चों के जीवन को बचा सकते है और एक बेहतर दिशा दे सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि किसी बच्चे की जन्मपत्रिका देखकर हमें यह ज्ञात हो जाता हैं कि बच्चे का मन कमजोर है, तो उसके माता पिता, शिक्षक शिक्षा, खेल कूद या अन्य किसी गतिविधियों मे उसकी तुलना दुसरे बच्चों से करने के बजाए उसे प्रोत्साहित करके उसका मनोबल बढ़ा सकते हैं। ज्योतिष विद्या का यही महत्व और उद्देश्य है। साथ ही, इसमें कोई अंधविश्वास की उपस्थिति नहीं है।
कुछ प्रकार, यदि हम ज्योतिष के सकारात्मक पहलू को ध्यान में रख कर चलें तो आप अपने बच्चे के जीवन में मार्गदर्शक हैं और उसके समक्ष भी वैसे ही प्रतीत होंगे।
यथा, डिप्रेशन और नकारात्मकता जो की अंततः नुकसानदेह सोच का ईजाद करती है उससे बच्चो को बचाना आसान हो जाता है।
बच्चों को लेकर आज कई तरह की समस्यायें हम अपने घर और समाज के आस पास देख रहे है बच्चे क्राइम, नशे, आत्महत्या, शिक्षा पूर्ण नहीं कर पाना, गलत संगत इत्यादि स्थितियों में फस कर अपना और अपने परिवार का जीवन बर्बाद तक कर लेते हैं। माता पिता के द्वारा हर तरह के प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन सफलता कँहा तक है? तथापि, इन समस्याओं से मुक्ति के लिए क्या करना चाहिए?
एक बच्चा जब बोल भी नही पाता, जो अपने परिवार, अपने माता पिता को ही अपनी धुरी मानता है, अपनी हर बात बताने के लिए माता पिता के पीछे पीछे घूमता रहता है, आप नहीं भी सुनना चाहते, तो भी वह अपनी बात को बतायेगा ही। फिर अचानक कुछ सालों के बाद, माता-पिता उनके पीछे-पीछे घूमते हैं, अब वो बच्चें की बात सुनना चाहते हैं। लेकिन, अब बच्चा बताना नहीं चाहता, ऐसा क्यों?
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ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा की रोशनी हमारे हृदय, भावना और आत्मा को दर्शाती है। स्पष्ट रूप से देखा जाए तो जन्मकुंडली में चन्द्रमा की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। चन्द्रमा मन का कारक माना जाता है। यथा, हमारे मन पर चन्द्रमा का पूर्ण प्रभाव रहता है। चन्द्र की बढ़ती-घटती कलाओ के अनुसार ही हमारा मन कार्य करता है यानी की चन्द्र की स्थिति के अनुसार ही हमारे मन की स्थिति हो जाती है क्योंकि चन्द्रमा सीधे तौर से प्रत्येक व्यक्ति के मन और भावनाओं को नियंत्रित करते हैं।
इसी प्रकार, यदि चन्द्रमा की जन्मकुंडली में अच्छी स्थिति नहीं है, पीड़ित है, यथार्थ कुंडली के ६,८,१२ भाव में हो, और पापी ग्रह के साथ PAC सम्बन्ध बनाये तो जीवन में उथल पुथल हो सकती है।
चन्द्रमा की स्थिति ख़राब होने से मानसिक रोग, व्यवहार में विचित्र परिवर्तन, बात-बात पर चिड़चिड़ाना, अंतर्मुखी हो जाना, अकेले में बैठे रहना, निर्णय लेने की क्षमताओ में कमी आ जाना, हमेशा मन में एक उलझन सी बने रहना, इन्फेक्शन और सबसे महत्वपूर्ण डिप्रेशन में चले जाना इत्यादि जैसी परिस्थितियों का व्यक्ति को सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा, किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ राहु तथा केतु का प्रबल प्रभाव चन्द्रमा को बुरी तरह से दूषित कर सकता है तथा कुंडली धारक को मानसिक रोगों से पीड़ित भी कर सकता है। साथ ही, चन्द्रमा अगर पीड़ित अवस्था में होता है या किसी ख़राब ग्रह से सम्बन्ध बनाता है सबसे पहले मन की स्थिति पर प्रभाव पड़ता है और जब मन प्रभावित होता है तो सारे कार्य बाधित होते चले जाते है।
चन्द्रमा पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव जातक को अनिद्रा तथा बेचैनी जैसी समस्याओं से भी पीड़ित कर सकता है जिसके कारण जातक को नींद आने में बहुत कठिनाई होती है। ये तो एक ग्रह के सम्बन्ध में थोड़ी चर्चा हुई परन्तु कुंडली में ऐसे बहुत से योग होते है जिनके द्वारा ऐसी समस्याए सामने आती है।
यथा, किशोरावस्था अपराध पर लगाम लगाने के लिए कुंडली विश्लेषण और ग्रह शांति एक निरंकार भूमिका निभा सकते हैं। उदहारण हेतु, जब कभी हम बीमार होते हैं तो डॉक्टर के पास जाना सबसे बेहतर उपाय होता है क्योंकि उन्हें इस विषय की गहन जानकारी होती है। इसी प्रकार, जब ग्रहों की स्थिति ख़राब हो या ग्रह पीड़ित हों तो, किसी विश्वसनीय ज्योतिषी से परामर्श करना एक बेहतर उपाय है। तथापि, ज्योतिष विद्या आज कल बढ़ रहे किशोरावस्था अपराध, बुरी लत, आत्महत्या, डिप्रेशन इत्यादि से निजात दिला सकता है।
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