किसी भी व्यक्ति की जन्म-तिथि उसके चरित्र और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ प्रदर्शित करती है। जन्म तिथि का उपयोग कर, तारों, और ग्रहों की स्थिति के आधार पर ही ज्योतिषी किसी का नाम-करन करते है। जन्म के स्थान और समय के साथ जब जन्म की तारीख मिलायी जाती है, तब हमें व्यक्ति की संयुक्त कुंडली (नेटल चार्ट) देखने को मिलते है।
ज्योतिष एक विज्ञान है, जो की पृथ्वी पर होने वाली विभिन्न घटनाओ को, खगोलीय पिंडो (सूर्य, चन्द्रमा, तारे और ग्रहों) की गतिविधियों से जोड़ता है। खगोलीय पिंडो की स्थिति, हमें अलग अलग विषयो को समझने में मदद करती है जैसे की भविस्यवाणी, राशिफल, साढ़े-साती, कुंडली और नक्षत्र फल। ये सभी प्रकार की भविष्यवाणियां जन्म-तिथि से मूल्यांकित की जाती है।
जन्म तिथि के आधार पर 12 राशियों को परिभाषित किया गया है। प्रत्येक राशि, एक सम्पूर्ण वर्ष में, विशेष अवधि का प्रतिनिधित्व करती है।
1. मेष राशि: 21 मार्च से 20 अप्रैल
2. वृषभ राशि: 21 अप्रैल से 21 मई
3. मिथुन राशि: 22 मई -21 जून
4. कर्क राशि: 22 जून से 22 जुलाई
5. सिंह राशि: 23 जुलाई से 21 अगस्त
6. कन्या राशि: 22 अगस्त – 23 सितंबर
7. तुला राशि: 24 सितंबर से 23 अक्टूबर
8. वृश्चिक राशि: 24 अक्टूबर – 22 नवंबर
9. धनु राशि: 23 नवंबर – 22 दिसंबर
10. मकर राशि: 23 दिसंबर से 20 जनवरी
11. कुम्भ राशि: 21 जनवरी से 19 फरवरी
12. मीन राशि: 20 फरवरी से 20 मार्च
जन्म तिथि के आधार पर ज्योतिष विभिन्न कारको को देख कर की जाती है। यहाँ पर कुछ विवरण दिए हुए है, जो की एक छवि उल्लेखित करते है।
दशा: “दशा” ग्रहो की समय-अवधि निर्देशित करता है। ग्रहो की समय अवधि निर्देशित करती है की ग्रहों के स्थान बदलने पर राशि में कौन-कौन से अच्छे और बुरे प्रभाव पड़ेंगे।
साढ़े-साती: यह शनि ग्रह की लगभग सात वर्षो की लम्बी अवधि है। इस सम्पूर्ण अवधि से भारतीय काफी ज्यादा चिंतित होते है। शनि( मेहनत और अनुशाषन का ग्रह है), और अपना प्रभाव समय के साथ ही दिखाता है। यह समय उपलब्धि और सफलता का होता है। साढ़े साती के समय जन्म तिथि के आधार पर ही उपाय बताये जाते है।
नक्षत्र फल: नक्षत्र फल आपके व्यक्तित्व, व्यवहार, स्वभाव, अनुकूल-प्रतिकूल पहलुओ, आपकी छमता और कमज़ोरी के बारे में इंगित करते है। साथ में आपको निर्णय लेने और सही विकल्प बनाने में भी मददगार साबित होता है, ताकि आप अधिक उत्पादक और समृद्ध जीवन जी पाए।
वर्षफल: वार्षिक कुंडली। इसका निर्माण एक वर्ष के लिए किया जाता है, जब तक की सूर्य अपनी प्राकृतिक अवस्था में पुनः लौटता है। इसका निर्माण आपकी जन्म तिथि के आधार पर ही किया जाता है। यह सूर्य आधारित है, और सूर्य की स्थिति भी विशेष महत्व रखती है।
वैदिक ज्योतिष ही नहीं, परन्तु कई अलग-अलग ज्योतिषीय पद्धतिया जन्म-तिथि पर ही आधारित होती है।
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