कुंडली के माध्यम से विवाह की आयु का पता किया जा सकता है। कुंडली एक व्यक्ति के जन्म के समय का एक चार्ट होता है, जिसमें उनकी जन्म तिथि, समय और स्थान के आधार पर नक्षत्रों, ग्रहों और भावों का विवरण होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के माध्यम से जातक और उसके संभव जीवनसाथी की आयु का विश्लेषण करके विवाह की सही आयु निर्धारित की जा सकती है। कुंडली में विवाह संबंधी योगों का भी ध्यान रखा जाता है, जो विवाह आयु का अनुमान लगाने में मदद करते हैं। इसलिए कुंडली का विश्लेषण करके विवाह की सही आयु का अनुमान लगाया जा सकता है, जो उपयुक्त विवाह के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
ज्योतिष में आप किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करके शादी की उम्र की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। विवाह को दर्शाने वाले सप्तम भाव की स्थिति पर भी विचार किया जाता है। सप्तम भाव, लग्न और विवाह से संबंधित ग्रहों, जैसे शुक्र और मंगल के प्रभाव की जांच करके जातक की विवाह आयु प्राप्त की जा सकता है। चलिए जानते है कि आप किस आयु में विवाह करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का विवाहित जीवन के साथ गहरा संबंध होता है। कुंडली में विवाह के समय और उस समय के ग्रहों के स्थान के आधार पर ज्योतिष शास्त्र के विशेषज्ञ विवाह के समय और विवाहित जीवन की भविष्यवाणी करते हैं। कुंडली में विवाह का महत्व उसके लिए होने वाले वैवाहिक संबंधों को दर्शाता है। इसके कारण यह भी दिखाता है कि व्यक्ति का वैवाहिक संबंध कितना स्थिर और लंबे समय तक चलेगा। कुंडली में विवाह के समय और उस समय के ग्रहों के स्थान जातक की शादी की उम्र के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
यह भी पढ़ें- क्या आपकी हथेली पर भी है विष्णु चिन्ह? जानें इसके शुभ प्रभाव
ज्योतिष में विवाह की आयु भविष्यवाणी के लिए कुछ मुख्य ग्रह हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
यह भी पढ़ें- सफलता योग: जानें कुंडली में कौनसे ग्रह बनाते हैं सफल बिजनेस के योग
ज्योतिष में विवाह की उम्र की भविष्यवाणी करने के लिए कुंडली में विवाह से संबंधित विभिन्न भावों का ध्यान रखा जाता है। इन भावों में से विवाह से संबंधित चतुर्थ भाव (सुख स्थान) और सप्तम भाव (विवाह और संबंधित समस्याओं का भाव) काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
चतुर्थ भाव (सुख स्थान) व्यक्ति के वैवाहिक सुख और सुखी जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह भाव विवाह और संबंधित समस्याओं के लिए भी जाना जाता है। इस भाव में स्थित ग्रह विवाह के समय की आयु के बारे में भविष्यवाणी करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस भाव में स्थित शुभ ग्रह विवाह के समय की आयु के बारे में शुभ संकेत देते हैं। जबकि अशुभ ग्रह विवाह की आयु में विवाद और तकलीफ का कारण बनते हैं।
सप्तम भाव (विवाह और संबंधित समस्याओं का भाव) विवाह से संबंधित समस्याओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस भाव में स्थित ग्रह विवाह से संबंधित समस्याओं की भविष्यवाणी करता है। साथ ही ज्योतिष में सप्तम भाव को विवाह और संबंधित समस्याओं का भाव माना जाता हैं। सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति विवाह से संबंधित समस्याओं की भविष्यवाणी करने में महत्वपूर्ण होती है।
सप्तम भाव विवाह से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे संतान, पारिवारिक समूह, दंपति के संबंध और विवादों के लिए भी जाना जाता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति के आधार पर ज्योतिषी व्यक्ति के विवाह और संबंधों के बारे में भविष्यवाणी करते हैं।
इस भाव में स्थित ग्रहों का विश्लेषण करके ज्योतिषी व्यक्ति के विवाह के संभव विवादों और समस्याओं के बारे में भविष्यवाणी करते हैं। सप्तम भाव में शुक्र ग्रह का स्थान विशेष महत्व रखता है। शुक्र ग्रह की स्थिति और योग्यता के आधार पर ज्योतिषी व्यक्ति के विवाह का समय और उम्र निर्धारित करते हैं।
विवाह में देरी के कई ज्योतिष कारण हो सकते हैं। नीचे कुछ ज्योतिष कारण बताए गए हैं:
यह भी पढ़ें: जानें शाम की पूजा में क्यों नहीं बजाई जाती है घंटी और पूजा से जुड़े अन्य नियम
कुंडली के अनुसार पुरुष की विवाह आयु 28 से 30 वर्ष और स्त्री की विवाह आयु 25 से 27 वर्ष होती है। इस आयु के आसपास विवाह का योग बनता है और इस समय जीवनसाथी खोजना सबसे उपयुक्त माना जाता है।
हालांकि, इसमें विविधता हो सकती है और अन्य ग्रहों के प्रभावों के आधार पर आयु में विस्तार या संकुचन किया जा सकता है। यह ग्रहों के स्थिति, कुंडली में पांचवां भाव (प्रेम भाव), सप्तम भाव (विवाह भाव) और दूसरे कुछ भावों के साथ जुड़ा होता है। इसलिए विवाह की आदर्श आयु केवल एक अंश है और इसमें विविधता हो सकती है।
ज्योतिष के अनुसार विवाह करने की योग्य आयु की गणना कुंडली में स्थित सप्तम भाव से की जाती है। सप्तम भाव विवाह, संबंध और साथी के लिए जिम्मेदार होता है और इसमें स्थित ग्रह विवाह से संबंधित मामलों में प्रभावी होते हैं।
ज्योतिष में विवाह की योग्य आयु की गणना के लिए सप्तम भाव में स्थित ग्रहों के प्रभाव को देखा जाता है। यदि सप्तम भाव में स्थित ग्रह विवाह के लिए अनुकूल होते हैं, तो उस समय विवाह की योग्य आयु होती है। जिस ग्रह की अधिकता होती है, उसी ग्रह की आयु को महत्व दिया जाता है।
यह भी पढ़ें: ज्योतिष अनुसार जानें कैसे आपके पैरों की रेखाएं बता सकती हैं आपका भाग्य
विवाह करने से पहले ग्रहों संयोजन का पता लगाना महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे कुंडली मिलान या गुण मिलान भी कहा जाता है। कुछ ग्रह संयोजन इस प्रकार है, जो जातक के विवाह में अहम माने जाते हैं:
विवाह में देरी से निपटने के लिए कुछ ज्योतिष उपाय हैं। ये उपाय विभिन्न ग्रहों के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं:
अधिक के लिए, हमसे Instagram पर जुड़ें। अपना साप्ताहिक राशिफल पढ़ें।
61,725
61,725
अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें