मंत्र जाप कैसे करें: जाने इसकी विधि और सावधानियां

मंत्र जाप

किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करने के लिए मंत्रों का उच्चारण बेहद आवश्यक होता है। बिना मंत्रों के उच्चारण के अनुष्ठान पूर्ण नहीं कहलाता। वैदिक काल से ही धार्मिक अनुष्ठानों को पूरा करने के लिए मंत्र जाप की परंपरा चली आ रही है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जाप करना बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन कई बार मंत्र उच्चारण के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण हम गलतियां कर बैठते हैं। जिसके फलस्वरूप हमें मंत्र जाप का सही फल प्राप्त नहीं हो पाता है। अगर आप भी मंत्र उच्चारण का सही फल प्राप्त करना चाहते हैं, तो चलिए जानते हैं मंत्र उच्चारण की सही विधियां और सावधानियां-

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मंत्र जाप के लिए करमाला विधि 

  • जहां हाथ की अनामिका उंगली के बीच के पूर्व से शुरू करते हुए, कनिष्ठा उंगली के पोरुओं से होकर तर्जनी उंगली के मूल तक के 10 पोरुओं को गिन कर मंत्र जाप करना चाहिए।
  • अनामिका उंगली के बीच के 2 पोरुओं को माला का सुमेरू मानकर पार बिल्कुल ना करें। 
  • वहीं दाएं हाथ पर दस मंत्र की गिनती करने के बाद बाएं हाथ की अनामिका उंगली के बीच के पोरुओं से दहाई की एक संख्या गिननी चाहिए।
  • आपको बता दें कि सीधे हाथ के साथ उल्टे हाथ पर दहाई के दस बार मंत्र गिनते है।
  • इससे 100 मंत्र की संख्या पूरी हो जाती है।
  • इसी के साथ आखिरी आठ मंत्र जाप करें। दाएं हाथ पर ही उसी तरह अनामिका उंगली के मध्य भाग से गिनती शुरू करनी चाहिए। वहीं शेष 8 मंत्र जाप करके पूरे 108 मंत्र यानी एक माला पूरी की जाती है।

मंत्र जाप के लिए मानसिक विधि

  • यह जब किसी भी नियम के लिए बाध्य नहीं होता है- सोते समय, चलते समय, यात्रा में एंव शौच आदि करते वक्त भी  मंत्र जप किया जाता है। मानसिक जप को आप सभी दिशाओं एंव दशाओं में कर सकते है।

माला जप विधि

  • माला जप करने के लिए एक आसन की आवश्यकता होती है।
  • इसके लिए लाल या सफ़ेद आसान होना चाहिए। साथ ही आसन किसी कपड़े का न हो। 
  • सबसे महत्वपूर्ण बात माला जप करते वक़्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  • इसके अलावा आप जब भी जाप करें, तो माला के ऊपर सुमेरु को कभी क्रास न करें।
  • साथी ही सुमेरु के पास पहुंचते ही दुबारा आप को वापस होना चाहिए। 
  • जब कभी आप माला जाप आरम्भ करें, तो माला को शुद्ध जल से अवश्य धोए।
  • साथ ही उसका तिलक करके धूप भी जरूर दिखाए। इसके बाद प्रार्थना करें।

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तीन प्रकार के होते है जाप

  • वाचिक जप- आपको बता दें कि जब सस्वर मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
  • वह वाचिक जाप की श्रेणी में ही आता है।
  • उपांशु जप- जब जुबान और ओष्ठ से इस प्रकार मंत्र उच्चारण किया जाता हैं।
  • जिसमें केवल ओष्ठ ही कंपित होते हुए प्रतीत हो और मंत्र का उच्चारण केवल स्वयं को ही सुनाई देता है। वह जाप उपांशु जप कहा जाता है।
  • मानसिक जाप- यह जाप केवल अंतर्मन से ही किया जाता है।
  • इस तरह जाप करने के लिए सुखासन या पद्मासन में ध्यान मुद्रा लगाना आवश्यक है।

 

जाप करते समय किन नियमों का पालन जरूर करें

  • मंत्र जाप करने से पहले शुद्धि बेहद आवश्यक है।
  • इसलिए दैनिक क्रिया से निवृत्त होने और स्नानादि करने के बाद ही जाप करना चाहिए।
  • जाप करने वाले स्थान को भी पूरी तरह से साफ करना चाहिए।
  • एक साफ सुथरे आसन पर बैठकर ही जाप करना चाहिए।
  • जाप के बाद आसन को इधर-उधर न छोड़े। आपको आसन को एक जगह संभाल कर रख देना चाहिए।
  • मंत्र जाप करने के लिए कुश का आसन अच्छा रहता है। क्योंकि कुश ऊष्मा का सुचालक हैं और मंत्र जाप करते समय ऊर्जा हमारे शरीर में भी समाहित होती है।
  • साधारण जाप के लिए तुलसी की माला उत्तम रहती है। लेकिन यदि किसी विशेष कार्य सिद्धि के लिए जाप किया जाए, तो उक्त देवी-देवता के अनुसार ही माला लेनी चाहिए। जैसे भगवान शिव के लिए रुद्राक्ष, लक्ष्मी जी के लिए स्फटिक या कमलगट्टे की माला अच्छी मानी जाती है।
  • आपको जाप किसी शांत स्थान पर ही करना चाहिए। ताकि जाप में किसी प्रकार की कोई बाधा न पड़े और ध्यान न भटके।
  • आपको जाप प्रातः काल पर करना चाहिए, क्योंकि इस समय का वातावरण शांत, शुद्ध और सकारात्मक रहता है।
  • यदि आप हमेशा जाप करते हैं, तो प्रतिदिन एक ही स्थान और एक निश्चित समय पर भी मंत्र जाप करें।
  • आपको जाप करते समय माला को खुला नहीं रखना चाहिए। माला सदैव गौमुखी के अंदर ढक कर ही रखें।
  • जाप की माला खरीदते समय  उसे भलिभांति देख लें, कि उसमें 108 मनके है या नहीं। और हर मनके के बीच में एक गांठ अवश्य लगी होनी चाहिए। ताकि जाप करने के दौरान संख्या में कोई त्रुटि न हो।
  • आप जिस देवी-देवता का जाप कर रहे हैं, उनकी छवि को मन में रखकर ही जाप करें।

 

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Posted On - December 14, 2021 | Posted By - Jyoti | Read By -

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