हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी बहुत ही पावन त्यौहार माना जाता है, जिसे संकट हरने वाले भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू चंद्र माह के अनुसार, यह त्यौहार भाद्रपद के चौथे दिन आमतौर पर अगस्त या सितंबर में मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान, लोग 10 दिनों तक घरों और सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करते हैं और 10 दिनों तक उनकी पूजा अर्चना की जाती हैं। इसके बाद, लोग मूर्ति को जल निकायों में विसर्जित करते हैं। चलिए गणेश चतुर्थी 2023 के खास मौके पर जानते है कि गणेश जी की पूजा विधि और इस दिन किए जाने वाले महत्वपूर्ण अनुष्ठान क्या हैं।
इस बार गणेश चतुर्थी 2023 में 19 सितंबर यानि मंगलावर के दिन मनाई जाएगी। इसके अलावा, गणेश पूजा का समय सुबह 11:01 बजे शुरू होकर दोपहर 01:28 बजे तक जारी रहेगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश विसर्जन 28 सितंबर 2023, गुरुवार के दिन किया जाएगा। लेकिन लोगों को गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले चंद्रमा को देखने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान चंद्रमा को देखना शुभ नहीं माना जाता है। साथ ही 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे से रात 08:10 बजे तक और सुबह 09:45 बजे से रात 08:44 बजे तक आकाश की ओर नहीं देखना चाहिए। इसके अलावा, चतुर्थी तिथि 18 सितंबर, 2023 को दोपहर 12:39 बजे शुरू होगी और 19 सितंबर, 2023 को दोपहर 01:43 बजे समाप्त होगी।
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भगवान गणेश को ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना जाता हैं। इसके अलावा, वह जातक की सभी बाधाओं को दूर करते हैं। लोग सफलता और समृद्धि पाने के लिए हर महत्वपूर्ण कार्य, समारोह या अनुष्ठान की शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा करते हैं। गणेश चतुर्थी को महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव माना जाता है, जो सभी लोगों को एकजुट करता हैं। इस त्यौहार को अधिकतर महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में भव्यता और धूमधाम से मनाया जाता हैं। कहा जाता है कि जो भी जातक सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं।
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भगवान गणेश जी की स्थापना चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसलिए गणेश चतुर्थी 2023 के दौरान विधि अनुसार भगवान की पूजा और उनकी स्थापना करनी चाहिएः
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बता दें कि गणेश चतुर्थी के 10 दिनों तक चलने वाले त्यौहार का अंतिम अनुष्ठान गणेश विसर्जन होता है। भक्तों का मानना है कि इस त्यौहार के दौरान भगवान गणेश अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के बाद अपने निवास पर लौट आते हैं। इसलिए गणेश चतुर्थी के अंतिम दिन गणेश विसर्जन किया जाता हैंः
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हिंदू संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। यह मान्यता पीढ़ियों से चली आ रही है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण पर एक बहुमूल्य रत्न चोरी करने का झूठा आरोप लगाया गया और उन्हें सजा दी गई। इसके बाद भगवान को कोढ़ की बीमारी हो गई, जिससे छुटकारा पाने का केवल एक ही तरीका था, भक्ति-भाव के साथ गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति की पूजा करना। हालांकि, इस त्यौहार की रात जब भगवान ने चंद्रमा को देखा, तो उनकी बीमारी और बढ़ गई। यही कारण है कि इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए।
हिंदू ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा भावनाओं और मानसिक स्थिरता से संबंधित है। गणेश चतुर्थी पर इसकी ऊर्जा शक्तिशाली होती है और चंद्रमा को देखने से यह ऊर्जा विचलित हो सकती है, जिससे जातक को मानसिक अस्थिरता और भावनात्मक उथल-पुथल का सामना करना पड़ सकता है। गणेश चतुर्थी हिंदू चंद्र कैलेंडर के चौथे दिन पड़ती है और इस दिन चंद्रमा कमजोर होता है। अत: इस दिन चंद्रमा को देखने से अपशकुन और नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।
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हिंदू ज्योतिष के अनुसार, गणेश चतुर्थी नए उद्यम या परियोजनाओं को शुरू करने का एक शुभ समय माना जाता है। इस प्रकार, इस दौरान नई चीजों की शुरुआत करना सफलता और समृद्धि लाता है। हिंदू ज्योतिष में भगवान गणेश बृहस्पति ग्रह से जुड़े हैं और इस त्यौहार के दौरान भगवान गणेश का आशीर्वाद सौभाग्य, ज्ञान और समृद्धि लाता हैं।
गणेश चतुर्थी चंद्रमा के बढ़ते चरण के दौरान होती है, जो वृद्धि और विकास का समय होता है। इस प्रकार, इस समय अनुष्ठान और प्रार्थना करने से व्यक्तिगत वृद्धि और विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। गणेश चतुर्थी आध्यात्मिक विकास का समय है। इस प्रकार, इस समय के दौरान ध्यान, मंत्र जप और शास्त्रों को पढ़ने से व्यक्तिगत विकास पर गहरा प्रभाव पड़ सकता हैं।
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