वास्तुशास्त्र के इन 5 नियमों से रखें खुद को और अपने परिवार को हमेशा स्वस्थ

वास्तुशास्त्र

अक्सर कहा जाता है की “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।” इसके लिए हमें अपने जीवन शैली और रहन-सहन में सुधार लाना चाहिए परंतु एक और पहलू भी है जो हमारे और हमारे परिवार के स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है,और वह है हमारे घर का वास्तु! अगर हमारे घर का वास्तु सही नहीं रहता तो इससे परिवार में अक्सर लोग बीमार पड़ते हैं और परिवार अस्वस्थ रहता है।

अपने घर में वास्तुशास्त्र के कुछ नियमों का पालन करके हम अपना और अपने परिवार का स्वास्थ्य सुधार सकते हैं। आज हम आपको बताएंगे वास्तु से जुड़े ऐसे 5 नियम जो आपको और आपके परिवार को स्वस्थ रखेंगे।

कब और कैसे करे शयन?

शयन के समय का भी एक वैज्ञानिक आधार होता है। देर रात को सोना सही नहीं माना जाता है।पुराणों में बताया गया है कि सूर्य डूबने से पहले भोजन करना चाहिए, 9 से 10 बजे के मध्य सोना और प्रातः 4 बजे उठना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।साएंकाल 6 से 7 बजे के मध्य सूर्य पूर्व दिशा से 180 अंश पर होता है।

आधी रात को पूर्व दिशा से 270, रात के 2 बजे 300, प्रातः 4 बजे 330 और प्रातः 6 बजे पुनः 360 अथवा 0 अंश पर आता है। इस प्रकार सूर्य प्रातः 4 बजे तक हमारे मस्तिष्क को कम मात्रा में प्रभावित करता है।इसीकारण प्रातः 4 बजे उठने का नियम प्राचीन काल से भारतीयों में प्रचलित है।इसलिए सोने का सबसे उत्तम समय रात 9 बजे से प्रातः 4 बजे तक माना गया है।

ब्राह्मे मुहूर्ते बुध्येत, स्वास्थ्यरक्षार्थ मानुषः।।
तत्र दुःखस्त शान्त्यर्थ स्मरेद्धि मधुसूदनम्.।।

स्वस्थ रहने की दृष्टि से ब्राह्म मुहूर्त में उठना उत्तम है।ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर दुख से मुक्ति के लिए भगवान का ध्यान करके अपनी दिनचर्या आरंभ करनी चाहिए।

घर के केंद्र को रखें खाली

वास्तुशास्त्र के अनुसार आपको घर का मध्य भाग यथा संभव खाली रखना चाहिए। अत्यधिक सामान को जब हम इस भाग में रखते हैं तो घर में प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा बाधित होती है और घर के वातावरण में निराशा, नकारात्मकता और थकान भरने लगती है। अगर यहां सामान रखना ही हो तो कम सामान रखें और हर समय इस स्थान को स्वच्छ रखने का प्रयास करें।

मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में माना जाता है शुभ

वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व सूर्योदय की दिशा होने की वजह से इस तरफ से सकारात्मक ऊर्जा से भरी किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। घर के मालिक की लंबी उम्र और संतान सुख के लिए घर के मुख्य दरवाजे और खिड़की सिर्फ पूर्व या उत्तर दिशा में होना शुभ माना जाता है।

रसोईघर के करीब नहीं होना चाहिए बाथरूम।

ज्यादातर बीमारियां इंसान को रसोई घर से लगती हैं। घर खरीदते या बनवाते समय, इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि कहीं घर में रसोईघर और बाथरूम आस-पास तो नहीं हैं। वास्तु में ऐसा होना, बीमारियां का आमंत्रण बताया गया है।

शयनकक्ष पर अवश्य दें ध्यान

शयनकक्ष घर का एक ऐसा स्थान होता है जहाँ व्यक्ति आराम करता है और अपना अधिकतर समय बिताना चाहता है। कई बार हम ऐसा महसूस करते हैं कि अपने शयनकक्ष में हमें अच्छी नींद नहीं आती है या सुबह उठने पर भी हमारी नींद पूरी नही होती और दिनभर थकान बानी रहती है। तो इसका अर्थ साफ़ है कि शयनकक्ष में नकारात्मक ऊर्जा हावी हो रही है जो जल्द ही आपको बीमार कर सकती है इसलिए शयनकक्ष कभी भी पूरी तरह से बंद नहीं होना चाहिए।

सुबह की ताज़ी हवा आने के लिए कमरे में उपयुक्त खिड़की होनी चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष में जूठे बर्तन बहुत अधिक समय तक नहीं रखने चाहिए। साथ ही साथ और महत्वपूर्ण बात कि अगर आप शयनकक्ष में कोई तस्वीर लगा रहे हैं तो नकारात्मक तस्वीर का तो प्रयोग बिलकुल भी ना करें।

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Posted On - June 5, 2020 | Posted By - Om Kshitij Rai | Read By -

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