Ganga Dussehra 2023: कब है गंगा दशहरा 2023? जानें स्नान समय और पूजन विधि

गंगा दशहरा 2023

हिंदू धर्म में गंगा दशहरा एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार को ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और वेस्ट बंगाल, दिल्ली में धूम-धाम से मनाया जाता है। साथ ही गंगा दशहरा 2023 में 30 मई, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन लोग बड़ी संख्या में गंगा स्नान और पूजा-पाठ करते हैं। इस दौरान गंगा नदी के जल में स्नान करने के पीछे मान्यता है कि स्नान करने से जातक के सभी पाप धूल जाते हैं और उसे शुद्धि प्राप्त होती है। गंगा दशहरे का महत्व इस बात से जुड़ा हुआ है कि इस दिन भगवान शिव ने गंगा मां को अपनी जटाओं में संग्रहीत कर लिया था। इस दिन को लोग एक भव्य घटना के रूप में याद करते हैं और गंगा नदी में स्नान करके जातक अपने सभी पापों से छुटकारा पा लेते हैं। 

गंगा दशहरा 2023ः पूजा का शुभ मुहूर्त व तिथि

गंगा दशहरा 202330 मई 2023, मंगलवार
दशमी तिथि प्रारंभ 29 मई 2023 को 11:49 से
दशमी तिथि समाप्त 30 मई 2023 को 13:07 तक 
हस्त नक्षत्र प्रारंभ30 मई 2023 को 04:29 से
हस्त नक्षत्र समाप्त31 मई 2023 को 06:00 तक 
व्यतीपात योग प्रारंभ30 मई 2023 को 20:55 से
व्यतीपात योग समाप्त31 मई 2023 को 20:15 तक

यह भी पढ़ें: इस तरह रखें ज्येष्ठ अमावस्या 2023 पर व्रत, मिलेगा पुण्य

गंगा दशहरे का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में गंगा दशहरा एक प्रमुख त्यौहार है, जो हर साल ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गंगा मां की पूजा और स्नान करने से लोगों को धार्मिक और सामाजिक उपलब्धियों की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने गंगा मां को अपनी जटाओं में संग्रहीत करके उन्हें पृथ्वी पर उतारा था ताकि भूमि पर स्वच्छता और प्रकाश बढ़ सकें। इस दिन लोग गंगा नदी मे स्नान और उनकी पूजा करते हैं। इसके अलावा, यह त्यौहार धर्म, संस्कृति और परंपराओं के महत्व को दर्शाता है और लोगों को अपने जीवन में धार्मिक भावनाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करता हैं।

यह भी पढ़ें: जानें मेष राशि में राहु-बृहस्पति-बुध की युति 2023 प्रत्येक राशि को कैसे प्रभावित करेगी?

गंगा दशहरा 2023 पर इस विधि से करें मां गंगा की पूजा

गंगा दशहरा पर गंगा मां की पूजा विधि इस प्रकार है:

  • स्नान: इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का काफी महत्व होता है, इसलिए लोग दूर-दूर से इस दिन गंगा मां के दर्शन और स्नान करने आते है। अगर आप किसी कारणवश गंगा में स्नान नहीं कर पाते है, तो इस दिन अपने घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर नहाना चाहिए। 
  • पूजा सामग्री: पूजा के लिए फूल, अर्ध्य, दीपक, धूप, नैवेद्य, इत्यादि सामग्री एकत्रित कर लेनी चाहिए।
  • पूजा विधि: अगर आप गंगा स्नान करने के लिए गए है, तो आपको स्नान के बाद वहीं माता गंगा की पूजा करनी चाहिए। अगर आप अपने घर पर गंगा दशहरा मना रहे है, तो अपने मंदिर में मां गंगा की मूर्ति या तस्वीर की पूजा कर सकते हैं। इसके लिए गंगा मां को फूल, अर्ध्य, दीपक, धूप, नैवेद्य आदि समर्पित करते हुए उनकी पूजा करें।
  • अर्ध्य: लोग अर्ध्य देकर गंगा मां का आशीर्वाद लेते हैं। इसके लिए एक थाली में पानी लें और उसमें दूध, घी, शहद, फूल आदि डाल लें। फिर इस जल से गंगा मां को अर्ध्य दें।
  • नैवेद्य: नैवेद्य के लिए लोग गंगा मां को फल, मिठाई और खीर जैसे सात्विक भोजन समर्पित करते हैं।
  • आरतीः अंत मे, माता गंगा की आरती व मंत्र का पाठ करें और उनसे आशीर्वाद मांगे। पूजा समाप्त होने के बाद भक्तों में देवी का प्रसाद जरूर बांटे।

गंगा नदी में डुबकी लगाने से होता है स्वास्थ्य लाभ

मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी में डुबकी लगाने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। ये लाभ विभिन्न स्तरों पर मान्यताओं और विश्वासों के आधार पर बताए जाते हैं।

  • आर्थिक लाभ: यह मान्यता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से आर्थिक समृद्धि होती है। 
  • धर्मिक लाभ: गंगा नदी में स्नान करने का धार्मिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा मां के पावन जल में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: गंगा नदी में स्नान करने से जातक को स्वास्थ्य लाभ होता हैं। गंगा का पानी केमिकल्स से मुक्त और शुद्ध होता है, जिससे स्नान करने से त्वचा की बीमारियों में सुधार होता हैं।

यह भी पढ़ें: जानिए मेष राशि में बृहस्पति गोचर 2023 का सभी राशियों पर प्रभाव

गंगा दशहरे से जुड़ी पावन कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा था, जिसका नाम सागर था और उसकी दो रानियां थी। जहां एक तरफ उसकी एक पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया, वहीं दूसरी तरफ, उसकी दूसरी पत्नी ने 60,000 पुत्रों को जन्म दिया था। बता दें कि एक बार राजा ने अश्वमेध यज्ञ किया। लेकिन जिस घोड़े को यज्ञ के बाद यज्ञ देवता को समर्पित किया था, उस घोड़े को इन्द्रदेव ने चुरा लिया था और इन्द्रदेव ने उस घोड़े को ऋषि कपिला के आश्रम परिसर में छोड़ दिया था। 

इसके बाद राजा के सभी साठ हजार पुत्र उस घोड़े की खोज में निकल पड़े। ऋषि के आश्रम में घोड़ा देखकर उन्हें लगा कि ऋषि ने ही वह घोड़ा चुराया हैं और वह सभी राजकुमार ऋषि से युद्ध करने पर उतारू हो गए। इसके कारण ऋषि को बहुत क्रोध आया और उन्होंने उन सभी राजकुमारों को भस्म होने का श्राप दे दिया। बता दें कि राजा सागर के पोते भगीरथ ने गंगा मां से अपने इन्हीं पूर्वजों की मुक्ति के लिए प्रार्थना की थी, ताकि उनके सभी पूर्वजों को मुक्ति मिल सके।

गंगा का पृथ्वी पर अवतरण

कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद, भगीरथ माता गंगा को प्रसन्न करने में सफल हुए थे। गंगा मां ने प्रसन्न होकर उनसे कहा कि  “मैं आपकी इच्छा के अनुसार धरती पर आने के लिए तैयार हूं। लेकिन मेरे शक्तिशाली ज्वार और प्रवाह को रोकने वाला वहां कोई मौजूद नहीं है और मेरा जल प्रवाह पूरे ग्रह को मिटा सकता है। इतना ही नहीं वह पाताल लोक को भी खत्म कर सकता है। ”

इसके बाद भगीरथ ने गंगा मां से प्रार्थना करते हुए इसका समाधान निकालने के लिए कहा। तब माता गंगा ने उत्तर दिया कि केवल भगवान शिव ही है, जो उन्हें दिशा दे सकते हैं। अगर भगवान शिव गंगा को अपने सिर पर धारण करने के लिए राजी हो जाते हैं, तो चीजें सही होंगी। यह सब सुनकर भगीरथ शिव जी की आराधना में लीन हो गए और तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया।

बता दें कि दशहरा के दिन गंगा माता पृथ्वी की ओर जब प्रवाहित हुई तो, भगवान शिव ने अपने बालों को खोल कर गंगा माता को अपनी जटाओं में बांध लिया था। इसके बाद शिव जी ने अपने बालों की एक जटा ली और वहीं से गंगा माता की उत्पत्ति हुई। इस जगह को अब गंगोत्री के नाम से जाना जाता है, क्योंकि गंगा माता शिव की जटा (बालों) से निकली थी, इसलिए उन्हें जटाशंकरी भी कहा जाता हैं।

कैसे पड़ा गंगा मां का जाह्नवी नाम

जब शिव जी ने अपनी एक जटा से गंगा मां को छोड़ा था, तो उनका प्रवाह काफी तीव्र था, जिसके कारण ऋषि जह्न का आश्रम ध्वस्त हो गया था। जिस बात से क्रोधित होकर ऋषि जह्न ने गंगा को वहीं रोक दिया था। लेकिन भगीरथ की प्रार्थना करने पर उन्होंने देवी गंगा को मुक्त कर दिया, इसलिए गंगा मां को जाह्नवी नाम से भी जाना जाता हैं।

इसके बाद गंगा मां ऋषि कपिल के आश्रम में पहुंची थी, जहां भगीरथ के सभी पूर्वजों की राख मौजूद थी। माता उन सभी को मुक्त करके बंगाल की खाड़ी में गिर गई थी, जिसे आज गंगासागर के नाम से पहचाना जाता है।

यह भी पढ़ें- सूर्य ग्रहण 2023: साल 2023 के पहले सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर प्रभाव

इन जगहों पर मनाया जाता हैं गंगा दशहरा

इस त्यौहार को भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दौरान, लोग गंगा के तटों पर जाकर स्नान करते हैं और माता की आरती करते हैं। इस त्यौहार का उत्सव हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी और गंगासागर जैसे स्थानों पर बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इन स्थानों पर लोग गंगा के पावन जल में डुबकी लगाते हैं और गंगा मां की पूजा करते हैं।

यह भी पढ़ें: अक्षय तृतीय 2023 पर 6 योगों का संयोग, खरीदें सोना मिलेगा दोगुना लाभ

इस दिन जरूर करें इन नियमों का पालन

गंगा दशहरा भारत में मनाया जाने वाला एक पवित्र त्यौहार है, जो गंगा नदी की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं और अनेक रूपों में भगवान शिव की पूजा करते हैं।

गंगा दशहरे पर आप इन बातों का ध्यान रख सकते हैं:

  • आप गंगा दशहरे पर गंगा नदी में स्नान कर सकते हैं, इससे आपको शुद्धि मिलेगी।
  • इस दिन आप भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं और अन्य धार्मिक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं।
  • आप गंगा दशहरे पर जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या अन्य आवश्यकताओं की वस्तुएं दान में देनी चाहिए।
  • आपको गंगा नदी को दूषित नहीं करना चाहिए। 
  • इस दिन मांसाहारी भोजन व नशीले पदार्थ का सेवन न करें।

इस दिन अवश्य करें ये ज्योतिष उपाय होगा लाभ

  • गंगा स्नान: गंगा दशहरे के दिन सुबह उठकर गंगा मां के पावन जल में स्नान करने से मन की शुद्धि होती है और व्यक्ति की भावनाएं स्थिर होती हैं।
  • गंगाजल का प्रयोग: गंगा दशहरे के दिन घर में गंगाजल का प्रयोग करने से घर में शुभत्व बनी रहती है। गंगाजल से स्नान करने से व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा सफलता की ओर बढ़ते हैं।
  • मंत्र जप: गंगा दशहरे के दिन विशेष रूप से मंत्र जप करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • दान: दान देने से जातक की शुभ इच्छाएं पूरी होती हैं और उसके पाप कम होते हैं।

पूजा के दौरान इन पावन मंत्रों का जरूर करें जप

गंगा दशहरा पूजा में आप इन मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं:

ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।

नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु।।

गंगे गंगे जय जय गंगे।

जय जय गंगे मैया जय जय गंगे।

त्रिपथगा त्रिपथवहा देवी त्रिपथवासिनी।

त्रिपथगा त्रिपथवहा त्रिपथदेवी नमोस्तुते।।

गंगे त्वं भवसागर तरणे दात्री सुबहुफले।

शुद्धिर्मुद्रा त्वं तथा गुरुतरे सर्वकारणभूते।।

या देवी सर्वभूतेषु गंगा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

यह भी पढ़ें: भूमि पूजन मुहूर्त 2023: गृह निर्माण शुरू करने की शुभ तिथियां

गंगा दशहरे का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष दृष्टि से गंगा दशहरा को महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन गंगा देवी का जल शुद्ध होता है और समस्त पापों को नष्ट करता है। ज्योतिष के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन गंगा जल का संगम होता है, जो कि ज्योतिष में एक बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है।

अधिक के लिए, हमसे Instagram पर जुड़ें। अपना साप्ताहिक राशिफल पढ़ें।

 7,385 

Posted On - March 23, 2023 | Posted By - Jyoti | Read By -

 7,385 

क्या आप एक दूसरे के लिए अनुकूल हैं ?

अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें

आपकी राशि
साथी की राशि

अधिक व्यक्तिगत विस्तृत भविष्यवाणियों के लिए कॉल या चैट पर ज्योतिषी से जुड़ें।

Our Astrologers

21,000+ Best Astrologers from India for Online Consultation