योग धीरे-धीरे अब पूरे विश्व में फैलता जा रहा है। यह वह विज्ञान है जिससे एक व्यक्ति अपने शरीर के साथ-साथ अपने मन को भी स्वस्थ रख सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं योग का सहारा लेकर व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से भी मुक्ति पा लेता है। योग का शरीर और मन से क्या संबंध है इसके बारे में आज हम इस लेख में चर्चा करेंगे।
हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने यह बात बतायी है कि मन और शरीर अलग तत्व नहीं हैं। हालांकि हम इन दोनों को अलग मानते हैं। योग की भाषा में कहें तो मन के स्थूल रुप को शऱीर कहते हैं और शरीर का सूक्ष्म रूप मन कहलाता है। योग-ध्यान करके हम इनके बीच संतुलन बिठाने की कोशिश करते हैं। योग के द्वारा मन संतुलित होता है जिससे शरीर को भी बल प्राप्त होता है।
मन को शांत करना इस दुनिया के सबसे मुश्किल कार्यों में से एक है। संसार के बीच रहकर व्यक्ति के मन में कई तरह की बुराईयां घर कर जाती हैं, साथ ही शरीर में भी कई तरह की विसंगतियां आ जाती हैं। इसलिए योग आसनों के द्वारा मन पर पड़ी धूल और शरीर की स्थिलता को दूर किया जाता है। जब आसनों से शरीर स्वस्थ हो जाता है तो इसका असर व्यक्ति के मन पर भी पड़ता है। स्वस्थ शरीर और मन व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ाता है और शांति प्रदान करता है।
कई लोग योग को भी व्यायाम समझ लेते हैं। योग और व्यायाम में बहुत अंतर है, व्यायाम आपके शरीर से ऊपर नहीं बढ़ता जबकि योगासन आपके शरीर, मन को स्वस्थ करने के साथ ही आपको आत्मिक सुख बी प्रदान करता है। व्यायाम आपके शरीर को गठीला बनाता है जबकि योग से आपकी मानपेशियों की शिथिलता दूर होती है, आपकी एकाग्रता बढ़ती है। आसन आपकी ग्रन्थियों को और आपके तन्त्रिका तंत्र पर भी सकारात्क प्रभाव डालते हैं। इसलिए योगासन और व्यायाम को एक ही समझ लेना गलत है।
यदि आप योग करते हैं तो आपको कुछ नियमों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए, इन नियमों पर चलकर आप मन और शरीर में संतुलन ला सकते हैं।
योग में श्वास को बहुत अहम माना गया है। योगा के विद्यार्थी को हमेशा अपनी नासिका से ही श्वास लेना चाहिए। किसी भी आसन को करने से पहले उसके बारे में जान लें और समझ लें कि इसमें श्वास कैसे ली जाएगी। यदि आप श्वास की प्रक्रिया को ढंग से नहीं करते तो नुक्सान हो सकता है। यदि आप किसी गुरु की देख रेख में योग सीख रहें हैं तो उनकी सलाह मानें।
योग आपको सजग रहना सिखाता है। केवल आसन ही नहीं अन्य योगाभ्यासों का भी यही उद्देश्य होता है। इससे आपके मन, शरीर, भावनाओं आदि को शुद्ध किया जाता है इसलिए जरुरी है कि आप योग के दौरान सतर्क रहें। श्वसन क्रिया पर आपका पूर्ण ध्यान होना चाहिए।
आपको योगा का पूर्ण लाभ लेने के लिए दिनचर्या का विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रतिदिन एक ही समय पर यदि आप योगासन करें तो इससे आपको कई सुखद अनुभूतियां अवश्य होंगी।
यदि आप घर में योगाभ्यास करते हैं तो आपको एक जगह चुन लेनी चाहिए। स्थान ऐसा चुनें जहां पर लोगों की आवाजाही ज्यादा न हो। आसन शुरु करने से पहले आप मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं इससे उस जगह में सकारात्मकता आएगी।
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