Jyeshtha Amavasya 2023: इस तरह रखें ज्येष्ठ अमावस्या 2023 पर व्रत, मिलेगा पुण्य

ज्येष्ठ अमावस्या 2023

हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या ज्येष्ठ माह में आती है, जिस कारण इसे ज्येष्ठ अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या को भारत में महत्वपूर्ण अमावस्या तिथि में से एक माना जाता है और इस दिन अनेक तरह की पूजाएं और व्रत आदि किए जाते हैं। साथ ही ज्येष्ठ अमावस्या 2023 में 19 मई, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इस अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन धार्मिक तथा अध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 

वैदिक पुराणों में ज्येष्ठ अमावस्या को पितरों का श्राद्ध करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, क्योंकि इस तिथि पर लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। साथ ही इस अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है, क्योंकि स्नान करने से शरीर की दूर्गंधता दूर होती है और आत्मा को शुद्धि मिलती है। हिंदू धर्म में दान करना बेहद शुभ माना जाता है और जो भी जातक अमावस्या तिथि के दिन दान करता है, उसे पुण्य मिलता हैं।

ज्येष्ठ अमावस्या 2023 की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 2023 में 19 मई शुक्रवार के दिन होगी। साथ ही इस दिन सूर्य पुत्र यानि शनि देव की जयंती भी मनाई जाएगी। वहीं इस दिन शनि देव से जुड़े कुछ ज्योतिष उपाय भी किए जाते हैं। 

ज्येष्ठ अमावस्या 18 मई को रात 09ः42 से 19 मई को रात 09ः22 तक रहेगी। इस दौरान जातक धार्मिक काम जैसे दान, पिंड दान, स्नान आदि कर सकता है, इससे जातक को शांति और सभी नकारात्मकता से छुटकारा मिल जाएगा।

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इस पूजा विधि से सम्पूर्ण करें अपना अमावस्या व्रत

हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या व्रत रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत उन लोगों द्वारा किया जाता है, जो संतान की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। इस व्रत की विधि के बारे में यहां बताया गया हैः

  • अमावस्या व्रत शुरू करने से पहले आपको सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या घर पर नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए, इसके बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद आपको देवी पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
  • अमावस्या पूजा में धूप, दीप, फूल, अक्षत, गंध और नैवेद्य भगवान को जरूर अर्पित करें।
  • इसके बाद व्रत की कथा का पाठ करें।
  • कथा के बाद देवी पार्वती और भगवान शिव की आरती करें।
  • इसके बाद भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें।
  • इस व्रत के दिन निराहार व्रत रखें और सिर्फ फल, दूध का सेवन करें।
  • अमावस्या व्रत के दिन आपको जरूरतमंदों की सहायता व दान करना चाहिए।
  • इस व्रत के दिन सूर्यास्त होने से पहले फिर से पूजा करें और व्रत का समापन करें।

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ज्येष्ठ अमावस्या 2023 पर व्रत करने से मिलते हैं ये लाभ

यह एक पौराणिक व्रत है, जो हिंदू धर्म में श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस व्रत के लाभ कुछ निम्नलिखित हैं:

  • मन की शुद्धि: इस व्रत को रखकर जातक अपने मन को शुद्ध कर सकता हैं। अगर कोई भी जातक इस तिथि पर व्रत रखकर निरंतर भगवान के ध्यान में लीन रहता है, तो उसे भगवान की कृपा प्राप्त होती हैं।
  • स्वस्थ शरीर: अमावस्या व्रत के माध्यम से शरीर के अंगों की शुद्धि होती है और व्यक्ति के शरीर में नई ऊर्जा उत्पन्न होती हैं।
  • पुण्य की प्राप्ति: इस व्रत के अवसर पर व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और जातक को भगवान की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही इस तिथि पर व्रत करने से जातक को सफलता भी मिलती है।
  • भगवान की कृपा: जो भी जातक विधि-विधान से यह व्रत करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

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ज्येष्ठ अमावस्या पर मनाई जाएगी शनि जंयती

 

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या, ज्येष्ठ माह में आती है। बता दें कि इस साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जंयती भी मनाई जाएगी। इस जंयती का महत्त्व शनि देव के पूजन से संबंधित है। हिंदू धर्म में शनि देव को सबसे महत्वपूर्ण देव माना जाता है, क्योंकि शनि देव को धर्म शास्त्रों में उपासनीय देवता माना जाता है, जो अपनी कठोरता, तपस्या, धैर्य और संयम के लिए जाने जाते हैं।

शनि जंयती के दिन लोग शनि देव का पूजन करते हैं और कुछ लोग इस दिन भी व्रत रखते हैं। शनि जंयती के दिन लोग शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें नौवरत्नों की माला अर्पित करते हैं। साथ ही इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कई ज्योतिषीय उपाय भी किए जाते हैं।

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ज्येष्ठ अमावस्या व्रत से जुड़ी पावन कथाएं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था, इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। वैदिक ज्योतिष में शनि देव को सेवा और कर्म का कारक माना जाता हैं और शनि जयंती पर उनकी कृपा पाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शनि देव न्याय के देवता हैं, उन्हें दंडाधिकारी और कलियुग का न्यायाधीश भी कहा जाता है। शनि देव जातक के शत्रु नहीं है बल्कि संसार के सभी जीवों को उनके कर्मों का फल प्रदान करते हैं।

शनि देव की जन्म कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। बता दें कि सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था और उन्हें मनु, यम और यमुना के रूप में तीन संतानों की प्राप्ति हुई थी। विवाह के बाद कुछ वर्षों तक संज्ञा सूर्य देव के साथ रहीं थी। लेकिन अधिक समय तक सूर्य देव के तेज को वह सहन नहीं कर पाईं। इसलिए उन्होंने अपनी छाया को सूर्य देव की सेवा में छोड़ दिया था और कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ था। हालांकि, सूर्य देव को जब यह पता चला कि छाया असल में संज्ञा नहीं है, तो वे काफी क्रोधित हो उठे और उन्होंने शनि देव को अपना पुत्र मानने से भी इनकार कर दिया। इसके बाद से शनि देव और सूर्य देव, पिता-पुत्र होने के बावजूद एक-दूसरे के प्रति बैर भाव रखने लगे थे।

वट सावित्री व्रत की कथा

यह सौभाग्यवती स्त्रियों का एक प्रमुख पर्व है। बता दें कि इस व्रत का पूजन ज्येष्ठ अमावस्या के दिन किया जाता है और इस दिन महिलाएं वट यानि बरगद के वृक्ष की पूजा करती है। स्त्रियां यह व्रत अखंड सौभाग्यवती रहने की कामना के साथ करती हैं और इस दिन सत्यवान-सावित्री की भगवान यमराज के साथ पूजा भी की जाती है।

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अमावस्या पर किए जाने वाले धार्मिक कार्यक्रम

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन बहुत से लोग धार्मिक काम करते हैं। यह कुछ विभिन्न प्रकार के काम हो सकते हैं जैसे:

  • पितृ तर्पण: यह दिन पितृ तर्पण करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा जताते हुए तर्पण करते हैं।
  • स्नान: इस दिन स्नान करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग इस दिन घाटों पर जाकर स्नान करते हैं।
  • दान: इस दिन दान करने से अधिक पुण्य मिलता है। लोग धन, अन्न, कपड़े और अन्य वस्तुओं का दान करते हैं।
  • मंत्र जप: शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन मंत्र जप करने से भी शुभ फल मिलता है।
  • यज्ञ और हवन: इस दिन यज्ञ और हवन भी किए जाते हैं। इसके लिए पंडितों को बुलाया जाता है, जो यज्ञ और हवन करते हैं।

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अमावस्या 2023 पर ध्यान रखने योग्य बातें

धार्मिक दृष्टिकोण से ज्येष्ठ अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग कुछ विशेष कार्यों करते हैं और कुछ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है। यहां उनकी सूची दी गई हैंः

  • पितृ तर्पण: इस दिन पितृ तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • स्नान: इस तिथि पर स्नान करने से जातक को शुभ फल मिलते हैं।
  • दान: इस दिन दान करने से जातक को अधिक पुण्य मिलता है।
  • मंत्र जप: इस दिन मंत्र जप करने से मन को शांति मिलती है।
  • बाल काटना: इस दिन बाल काटना या कटवाना नहीं चाहिए।

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ज्येष्ठ अमावस्या 2023 पर जरूर करें ये ज्योतिषीय उपाय

ज्योतिष दृष्टिकोण से ज्येष्ठ अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और ज्येष्ठ अमावस्या 2023 के दिन कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • शनि देव की पूजा: शनि देव को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन भक्ति और श्रद्धा से पूजा जाता है। शनि मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का जप करना जातक के लिए शुभ होता हैं।
  • पितृ तर्पण: इस दिन पितृ तर्पण करने से पूर्वजों को आत्मिक शांति मिलती है। इस दिन पूर्वजों के लिए अन्न और जल भी अर्पित किए जाते हैं।
  • नीम का पेड़: ज्येष्ठ अमावस्या के दिन नीम के पेड़ की छाया में बैठने से शनि देव के प्रति आपकी भक्ति बढ़ती है।
  • नौकरी के लिए उपाय: शनि देव की मूर्ति का तेल से अभिषेक करें, इससे जातक को नौकरी प्राप्त करने में सफलता मिलती हैं। 

अमावस्या पूजा के दौरान जरूर करें इन मंत्रों का जप

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन कुछ मंत्रों का जप करने से भक्ति बढ़ती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां कुछ अमावस्या मंत्र हैं:

  • आपको शनि देव के “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप करना चाहिए।
  • भगवान शिव का “ॐ नमः शिवाय” मंत्र इसे आप ज्येष्ठ अमावस्या के दिन जप कर सकते है।
  • शनि देव के उपाय करते समय “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप कर सकते है।
  • लक्ष्मी माता के उपाय करते समय “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं नमः” मंत्र का जप कर सकते हैं।
  • विष्णु भगवान का मंत्र “ॐ नमो नारायणाय” को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन जप करना शुभ होता हैं।

जयेष्ठ अमावस्या का ज्योतिष महत्व

ज्योतिष शास्त्र में ज्येष्ठ अमावस्या बेहद शुभ मानी जाती हैं और इस बार शनि जयंती भी इसी दिन मनाई जाएगी। इस दिन के अनुसार, जिस राशि में शनि बैठा होता है, उस राशि के जातकों को उस राशि से सम्बंधित उपाय करने चाहिए। इस दिन को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि शनि देव की पूजा और उपायों का असर इस दिन ज्यादा होता है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि देव के उपाय करने से अधिक शुभ फल मिलते है और उपायों का असर भी जल्दी होता है।

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Posted On - March 20, 2023 | Posted By - Jyoti | Read By -

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