गुरु-शुक्र युति, किसी भी ग्रह के कार्य-तत्त्व को अगर हम समझ ले, तो उस ग्रह से जुड़ा हुआ फल क्या मिलेगा? उसे भी हम जान सकते है। बात करते है गुरु और शुक्र के विषय में, तो दोनों ग्रह शत्रु ग्रह है।
बात करते है गुरु और शुक्र के विषय में, तो दोनों ग्रह शत्रु ग्रह है।
लेकिन दोनों ही आचार्य है, पूज्यनीय है। गुरु पद बहुत सारी जिम्मेदारी और उच्चता की कसौटी से हासिल होता है।
“गुरु” देवताओ के गुरु है और “शुक्र” दैत्यों के गुरु है। धर्म, सत्य, उपासना, गौरव, ध्यात्मिक्ता, आध्यात्मिकता, ज्ञान आदि बातें गुरु के कार्य तत्त्व में आती है।
जबकि मनोरंजन, प्रेम, ऐश्वर्य, सुख सुविधा, भोग विलास ये सभी शुक्र के कार्य तत्त्व में आती है।
दोनों ग्रह एक दुसरे से बहुत ही भिन्न है।
और दोनों की युति अगर किसी की कुंडली में बनती है, तो वह बहुत ही ज्यादा महत्वकांक्षी हो जाता है।
ऐसे व्यक्ति ऊंची उड़ान वाले होते है, उनकी इक्छाएं बहुत ही बड़ी होती है भले ही उन्होंने किसी भी परिवार में जन्म लिया हो।
ऐसी युति वाले लोग पारिवारिक जिम्मेदारी काफी अच्छे से निभाते है, और इन्हे पारिवारिक सुख भी मिलता है।
धन के सम्बन्ध में ये युति बहुत अच्छा फल देती है।
ऐसे लोग प्रतिष्ठित जगह पर काम कर बड़ी मात्रा में धन अर्जित करते है।
गुरु-शुक्र की युति बहुत ही ज्यादा उलझन उत्पन्न करती है।
वे निश्चय नहीं कर पाते की अपने जीवन में मनोरंजन, ऐश्वर्य, रोमांच को भोगे या फिर योग साधना के पथ पर चलके संतोषपूर्ण जीवन व्यतीत करे।
कोई भी इनकी बात को गलत न समझे और इनके विषय में गलत न सोचे, इसका ये ज्यादा ख्याल रखते है।
प्यार मोहब्बत के मामले में भी ज्यादा खुलते नहीं है। ये लोग बेवजह की बाधाओ में घिरे रहते है|
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गुरु, व्यक्ति की कुंडली में सबसे ज्यादा शुभता देने वाला ग्रह है|
अगर वह किसी शत्रु ग्रह के साथ विराजमान होगा तो कही न कही अपने कार्य तत्त्व में आने वाली चीजों में बाधा उत्पन्न करेगा।
ऐसे लोगों की कुंडली में संतान बाधा भी देखने को मिलती है। जहा गुरु ग्रह शुभता देता है, वही शुक्र ग्रह समृद्धि देता है।
ऐसे दो ग्रह जब साथ आते है, तो व्यक्ति कुछ अलग कार्य करता है कुछ नया करता है।
कई बार शुक्र की दृस्टि हावी होने के कारण, लोग घर परिवार की बात सुनते भी नहीं है।
उनके खिलाफ निर्णय लेते है। कई बार घर की महिलाओ के साथ इनका सम्बन्ध अपेक्षाकृत अच्छा नहीं पाया जाता।
गुरु-शुक्र युति बहुत ही अच्छी युति है, अगर आप इसका सकारात्मक उपयोग करते है।
आप भोग विलास, और ऐश्वर्य को भी भोग सकते है |
साथ में धर्म और अध्यात्म के पथ पर आगे बढ़ सकते है।
लेकिन, एक समय पर आपको एक ही रास्ता चुनना पड़ेगा। जीवन में अगर आप कोई भी निर्णय लेते है तो उसे सकारत्मक तरीके से ही लीजिये।
कुछ भी गलत निर्णय का खामियाजा आपको दीर्घ समय तक भोगना पद सकता है।
ईश्वर आपके द्वारा किसी नयी चीज़ का निर्माण करना चाहते है, तभी आपकी कुंडली में गुरु-शुक्र की युति है।
जीवन बहुत ही मूल्यवान है, अच्छे और नेक कार्य आपको मनचाही बुलंदियों तक पहुंचा सकते है।
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