जिस तरह जातक के बारे में जाने के लिए उसकी जन्मकुंडली को देखा जाता है उसी तरह किसी जातक के विषय में और अधिक जानने के लिए उसके लग्न को भी देखा जाता है। आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियां होती हैं और इन 12 राशियों के अलग-अलग लग्न होते हैं और आज हम मिथुन लग्न के बारे में आपको महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं।
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बता दें कि मिथुन लग्न का स्थान तीसरा होता है और इस लग्न का स्वामी बुध होता है और बुध ग्रह कुंडली के चौथे भाव का स्वामी होता है। वही बृहस्पति ग्रह मिथुन लग्न के जातकों की कुंडली में परेशानी उत्पन्न करने का काम करता है। बता दें कि किसी भी जातक की जन्मकुंडली का पहला भाग लग्न कहलाता है और लग्न जातक के जीवन में विभिन्न प्रभाव डालता है इसीलिए ज्योतिष में लग्न का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। क्योंकि लग्न के अनुसार व्यक्ति के स्वभाव और उसके व्यवहारिक जीवन के बारे में अध्ययन किया जाता है चलिए जानते हैं कि मेष लग्न वालों का वैवाहिक जीवन कैसा होता है और विवाह में उत्पन्न परेशानियों को कैसे दूर किया जाता है-
बता दें कि जातक की जन्मकुंडली का पहला भाव लग्न कहलाता है और यह लग्न जातक के जीवन पर शुभ और अशुभ दोनों तरह का प्रभाव देता है। कुंडली में लग्न का एक अहम स्थान होता है क्योंकि जातक के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसी के साथ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियों की होती है और हर 12 राशियों के अलग-अलग लग्न होते हैं। मिथुन लग्न का स्थान तीसरा होता है और इस लग्न का स्वामी बुध ग्रह को माना जाता है।
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बुध ग्रह जातक की कुंडली के चौथे भाव का स्वामी होता है। लेकिन बृहस्पति ग्रह के जातकों के लिए परेशानियां लेकर आता है। मिथुन के लिए शुभ नहीं माना जाता। साथ ही जब मिथुन लग्न के जातक विवाह करते हैं, तो उन पर गुरु की कृपा होना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि इसी के प्रभाव से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। आपको बता दें कि इस लग्न के लिए मंगल ग्रह काफी घातक माना जाता है। क्योंकि मंगल इस राशि के लिए काफी परेशानियां लेकर आता है और इस लग्न के लोग नई चीजों को सीखने में काफी रुचि रखते हैं।
इसी के साथ आपको बता दें कि जिन लोगों का लग्न मिथुन होता है उनके जीवनसाथी के लिए सप्तम भाव के स्वामी गुरु की स्थिति को जानना बेहद जरूरी होता है। सप्तम भाव से संबंधित ग्रहों की दशा और अंतर्दशा बड़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। वहीं इस राशि के लग्न के लोगों के लिए गुरु का शुभ भाव में विराजमान होना बेहद जरूरी होता है।
सभी लग्न की तरह ज्योतिष में मिथुन लग्न का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। वह इस लग्न के लोग चीजों को सुव्यवस्थित करने में काफी निपुण होते हैं। बता दें कि इस लग्न वाले लोग दिखने में काफी सुंदर और आकर्षित होते हैं। साथ ही इस लग्न के जातकों की कल्पना शक्ति बहुत ज्यादा प्रबल होती है। इसी के साथ इस लग्न के जातक शिक्षा और कला के क्षेत्र में काफी सफलता पाते हैं।
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वही स्वभाव से मिथुन राशि के लोग दोहरे स्वभाव के माने जाते हैं। इस लग्न के लोग काफी ज्यादा मेहनती होते हैं और अपनी मेहनत के बल पर जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं।वहीं इन लोगों पर बुद्ध का अधिक प्रभाव देखने को मिलता जिसके कारण यह बहुमुखी प्रतिभा के साथ काम करते हैं। साथ ही मिथुन राशि होने के कारण इस लग्न के लोगों का मस्तिष्क हमेशा चंचल रहता है और यह लोग कल्पना की दुनिया में खोए रहते हैं।
मिथुन लग्न के लोग किसी तरह के बंधन में बधना पसंद नहीं करते है। साथ ही यह जिम्मेदारियों को निभाना पसंद नहीं करते इसीलिए इनके शादीशुदा जीवन में कई तरह की परेशानियां रहती है। कई बार इनके रिश्ते भी टूट जाते हैं। साथ ही सप्तम भाव में शनि हो या सूर्य हो या लग्न में हो, तो मिथुन लग्न वालों के विवाह में देरी होती है। वही सप्तमेश नीच का हो या अस्त हो या बली हो, तो जीवन साथी उत्तम नहीं मिलता है इसी के साथ वैवाहिक जीवन में तनाव बना रहता है।
वही सप्तम भाव का स्वामी शनि, राहु से युति करें, तो उसका जीवन साथी मदिरापान, मासाहारी भोजन का सेवन करने वाला होता है। इन लोगों का वैवाहिक जीवन ज्यादा अच्छा नहीं रहता। लेकिन कई बार यह अपने रिश्ते को निभाने की कोशिश भी करते हैं। वैसे यह जातक स्वभाव से काफी चंचल होते हैं और इनका यह स्वभाव बाकी लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आता है, जो लोग इनके आसपास रहते हैं वह काफी खुश महसूस करते। लेकिन यह लोग किसी तरह के बंधन में बंधना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं।
आपको बता दें कि जीवनसाथी उत्तम हो, तो गृहस्ती की नैया पार हो जाती है। अगर जीवन साथी उत्तम नहीं होता है, तो लड़ाई-झगड़े, तनाव की परेशानियां बनी रहती है। इसीलिए जीवन साथी के लिए गुरु का शुभ होना काफी शुभ माना जाता है।
पन्ना- बुध
हीरा-शुक्र
नीलम- शनि
साथ ही आपको अधिक जानकारी के लिए किसी अनुभवी ज्योतिष से सलाह लेनी चाहिए।
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