हर व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत सकारात्मकता के साथ करना चाहता है और इसीलिए घर में पूजा स्थल बनाकर वहां पर ईश्वर का ध्यान या पूजा करके इंसान दिन की शुरुआत करता है। हालांकि कई बार हम बिना सोचे समझे पूजा स्थल का निर्माण कर देते हैं या पूजा स्थल घर के किसी कोने में स्थापित कर देते हैं और यह स्थान पूजा घर के लिए अच्छा नहीं होता। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि घर का पूजा स्थान कौन सी दिशा में होने से व्यक्ति को लाभ हो सकते हैं।
घर का पूजा स्थल यदि आपने वास्तु के अनुसार नहीं बनाया है तो आपको ईश्वर की कृपा प्राप्ति में बहुत मुश्किलें हो सकते हैं। आप बहुत मेहनत करते हैं लेकिन उसके बावजूद भी आपको सफलता नहीं मिल पाती। इसलिए घर का पूजा स्थान सही दिशा में होना आवश्यक है, और यह दिशा है ईशान दिशा या ईशान कोण घर की उत्तर पूर्व कोण या दिशा को ईशान कोण कहा जाता है।
घर पूजा घर के लिए सबसे अच्छी जगह बताई जाती है ईशान कोण। वास्तु के अनुसार भी इसे सबसे उपयुक्त जगह माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिशा में ईश यानि ईश्वर का निवास होता है इसलिए इस दिशा में यदि आप घर का पूजा स्थान बनाते हैं तो आपको भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
ईशान कोण के देवता देव गुरु बृहस्पति माने जाते हैं जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति देते हैं और भाग्योदय भी करते हैं। इसलिए भी ईशान कोण में पूजा स्थल का होना आवश्यक है।
यदि आप ईशान कोण में घर का मंदिर बनाते हैं तो आपके घर में सकारात्मकता बनी रहती है। लोगों के बीच लड़ाई झगड़े नहीं होते और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। इस दिशा में पूजा स्थान होने से व्यक्ति अध्यात्म की ओर बढ़ता है और उसका मानसिक विकास भी होता है। जीवन में आने वाली बाधाएं भी इससे दूर होती हैं और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
घर में पूजा स्थान बनाने से पहले आपको कुछ सावधानियां अवश्य बरतनी चाहिए। घर का पूजा घर सीढ़ियों के नीचे नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही शौचालय के आसपास भी पूजा स्थल का निर्माण करना शुभ नहीं माना जाता है।
पूजा घर कभी भी ऐसे कमरे में बनाना चाहिए जहां पर लोगों की आवाजाही कम हो शयन कक्ष में पूजा स्थान बिल्कुल नहीं बनाना चाहिए। पूजा घर में रखी मूर्तियों का मुख एक दूसरे की ओर ना हो तो बेहतर होता है अगर ऐसा नहीं करते तो इससे आपको बुरे परिणाम भी मिल सकते हैं।
घर में पूजा की जगह को इस तरह से बनाएं कि जब आप पूजा करने बैठें तो दिए और आपकी आंखों के बीच सीधा संपर्क हो। इसके साथ ही पूजा अर्चना कभी भी बैठकर ही करनी चाहिए यदि आप खड़े होकर पूजा अर्चना करते हैं तो इसका भी आपको शुभ फल प्राप्त नहीं होता। इन सब बातों के अलावा सबसे आवश्यक यह है कि पूजा स्थान पूजा के अलावा कभी भी खुला नहीं होना चाहिए इसलिए यदि आप लाल कपड़े से इसे ढक कर रखें तो सही माना जाता है।
ऊपर दी गई सावधानियों को यदि आप ध्यान में रखते हैं और सही दिशा में यदि घर का पूजा स्थान बनाते हैं तो आपके जीवन में सकारात्मकता अवश्य आएगी।
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