कैसे बनती है कुंडली में सूर्य-राहु युति और जातक के जीवन पर इसका प्रभाव व उपाय

सूर्य-राहु युति

ज्योतिष शास्त्र में कई युति होती है, जो जातक के जीवन पर शुभ और अशुभ फल डालती है। उसी में से एक सूर्य-राहु युति है, जो जातक के लिए शुभ नहीं होती है। इस युति के दौरान जातक को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही ज्योतिष में यह युति काफी महत्वपूर्ण माना जाती है, क्योंकि राहु एक अशुभ ग्रह है, जो सूर्य जैसे शुभ ग्रह के साथ युति करता है। इसके कारण व्यक्ति को शुभ और अशुभ फलों का अनुभव होता हैं।

इस युति के समय, सूर्य और राहु एक दूसरे के साथ एक संयोग बनाते हैं, जो असुख, उदासीनता और भय के अनुभवों को बढ़ाता है। यह युति जातक के जीवन में विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकती है जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, विवाद, असफलता, व्यक्तिगत जीवन में अनिश्चितता और विभिन्न प्रकार की बाधाएं आदि।

इसके अलावा, इस युति में व्यक्ति को सतर्क रहना और नकारात्मक भावनाओं से बचने की आवश्यकता होती है। यदि इस समय आप कोई नई शुरुआत करना चाहते है, तो आपको इसके बारे में किसी ज्योतिषी से सलाह जरूर करनी चाहिए, क्योंकि यह युति शुभ नहीं मानी जाती हैं। 

जातक की कुंडली में कैसे बनती है सूर्य-राहु युति? 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जातक की कुंडली में सूर्य-राहु युति का पता लगाने के लिए व्यक्ति का जन्म कुंडली में सूर्य और राहु के स्थान को जाना जरूरी होता है। यदि सूर्य और राहु एक ही राशि में होते हैं, तो उस समय इस युति का निर्माण होता है। इसके अलावा, सूर्य-राहु युति की अवधि के लिए उपरोक्त स्थानों के साथ-साथ सूर्य और राहु की दृष्टि को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। यदि वे एक-दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हैं, तो भी इस संयोग का निर्माण हो सकता हैं।

व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य और राहु युति के होने से जातक को जीवन में कुछ संशय और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में सुझाव दिया जाता है कि यदि इस योग के समय कोई महत्वपूर्ण काम न करें। 

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सूर्य-राहु युति का जातक के जीवन पर प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में इस युति का विशेष महत्व होता है और इसका व्यक्ति के जीवन पर विभिन्न प्रभाव पड़ता हैं। सूर्य-राहु युति के समय में जातक को मानसिक तनाव की समस्या हो सकती है। यह तनाव संबंधित बाधाओं, शत्रुओं या दुश्मनों से हो सकता है। इस युति के समय व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है और मानसिक स्थिति को संतुलित रखने के लिए उपाय करने की आवश्यकता होती है। चलिए इस युति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में जानेंः

सकारात्मक प्रभाव

ज्योतिष में, यह एक अशुभ संयोग है। लेकिन इस युति का जातक पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। इस योग के कारण जातक अधिक उत्साही, समझदार, बुद्धिमान बनाता है। जब सूर्य-राहु युति होती है, तो इस योग की शक्ति जातक के मन में बढ़ जाती है और वे नए काम शुरू करने के लिए उत्साहित होता हैं।

यह योग जातक को ज्ञान और उपलब्धियों के क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद करता है। यह उन्हें सामाजिक रूप से भी अधिक सक्षम बनाता है, जो उन्हें उनकी कार्यक्षमता का प्रदर्शन करने में मदद करता है। यह युति जातक की सकारात्मक सोच, उत्साह, विश्वास और आत्मविश्वास में वृद्धि लाने में मदद करती है।

इस योग के कारण जातक में आत्मविश्वास बढ़ता है और वह सफलता की ओर बढ़ता है। इस युति के दौरान लोगों में राजनीतिक योग्यता अधिक होती है। इसलिए जातक इस दौरान राजनीति में अधिक सफल हो सकते हैं।

इसके अलावा, जिन जातक की कुंडली में यह युति होती है, वे तकनीकी कौशल के मामले में अधिक सक्षम होते हैं। सूर्य-राहु युति के कारण जातक के मन में नए उद्यम की शुरुआत करने की प्रेरणा होती है। इसलिए ये लोग अपना नया उद्यम शुरू करने के लिए अधिक सक्षम होते हैं।

यह युति जातक को अधिक उत्साह देती है। इससे वे अपनी जिंदगी में अधिक सकारात्मक बनते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रेरित होते हैं। सूर्य-राहु युति वाले जातक को अपने जीवन में बड़ी सफलता हासिल होती है। इससे उन्हें आर्थिक रूप से स्थिरता मिलती है और उनके जीवन में सफलता आती हैं।

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नकारात्मक प्रभाव

सूर्य-राहु युति का जातक पर नकारात्मक प्रभाव होता है। इस योग के कुछ नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि जातक के मानसिक विकार, अस्थिर मन, भ्रमणशीलता, भावनात्मक असंतुलन, चंचलता और आत्महत्या जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इस युति को नकारात्मक माना जाता है और इससे बचने के लिए जातक को ध्यान करना चाहिए।

इस युति के कारण जातक के आध्यात्मिक उत्थान में बाधा आ सकती है। वे आध्यात्मिक अभ्यास नहीं कर पाते और उन्हें आध्यात्मिक विकास में कठिनाई महसूस हो सकती है। इस युति का जातक की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि इसके कारण जातक को धन हानि का सामना करना पड़ता हैं। सूर्य-राहु युति के कारण जातक मानसिक तनाव के शिकार हो सकते हैं। उन्हें चिंता और उत्सुकता की समस्या हो सकती है। इस युति से जुड़े जातक में संदेह और अनिश्चितता की समस्या हो सकती है। वे निर्णय लेने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं और जातक को अपनी सोच और निर्णय पर अधिक ध्यान देने की जरूरत हो सकती है।

इसके अलावा, इस युति के दौरान जातकों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस युति में सूर्य और राहु एक साथ होते है और जब यह दोनों ग्रह एक साथ आते हैं, तो जातक को नकारात्मक प्रभाव का सामना करना पड़ता है। इस युति के समय शुभ ग्रहों की शक्ति कम हो जाती है और अनुष्ठानों के लिए शुभ मुहूर्त भी नहीं होते हैं।

इस युति के दौरान जातक को अधिक तनाव हो सकता है और व्यक्ति को नींद ना आने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण जातक बातों को सोचते रहते हैं और उनके दिमाग में अनेक सवाल चलते रहते हैं। यह युति व्यक्ति की सोचने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और उन्हें असमंजस में डाल सकती हैं।

इस युति के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए करें ये उपाय

सूर्य-राहु युति से जुड़े ज्योतिष उपाय कुछ निम्नलिखित हैं:

  • मन्त्रों का जाप करने से सूर्य-राहु युति का प्रभाव कम हो सकता है। कुछ शक्तिशाली मंत्र हैं, जो सूर्य और राहु को शांत कर सकते हैं, जैसे कि सूर्य मंत्र और गायत्री मंत्र।
  • दान करने से सूर्य-राहु युति का प्रभाव कम होता है। आप सोने, चांदी, सफेद वस्त्र, चावल, घी आदि का दान कर सकते हैं।
  • ध्यान और मेडीटेशन से इस युति का प्रभाव कम होता है। 
  • रुद्राक्ष धारण करने से सूर्य-राहु युति का प्रभाव कम होता है। अगर आपकी कुंडली में राहु दोष हो, तो आप 8 मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
  • सूर्य और राहु की पूजा करने से भी सूर्य-राहु युति का प्रभाव कम हो सकता है। सूर्य की पूजा के लिए आप सूर्य देवता की मूर्ति, सूर्य मंत्र आदि का उपयोग कर सकते हैं।
  • इस युति के समय भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा करने से जातक को विशेष लाभ होता है। भगवान शिव जातक को इस युति के बुरे प्रभाव और अशुभ गतिविधियों से जातक को बचाते हैं और मां दुर्गा की पूजा से व्यक्ति के सभी दुश्मन परास्त हो सकते हैं।
  • सूर्य-राहु युति में भगवान शिव की पूजा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय शिवलिंग के सामने दिया, जल के साथ पूजा-अर्चना करना जातक के लिए शुभ होता है और इस समय व्यक्ति को नहाने के पानी में शुद्ध गंगाजल डालकर स्नान कराना चाहिए। 
  • इस युति के दौरान आपको शिव महिम्नः स्तोत्र, शिव तांडव स्तोत्र, शिव पंचाक्षर स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

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इस युति में जरूर करें इन मंत्रों का जप

सूर्य-राहु युति में जप करने के लिए कुछ मंत्र हैं जो इस प्रकार हैं:

  • “ॐ सूर्य राहवे नमः” मंत्र को लगातार 108 बार जप करने से सूर्य राहु युति के नकारात्मक प्रभाव से बचने में मदद मिल सकती है।
  • इस “ॐ ह्रीं राहवे नमः” मंत्र को लगातार 108 बार जप करने से राहु दोष से मुक्ति मिल सकती है।
  • “ॐ नमः शिवाय” मंत्र को लगातार 108 बार जप करने से सूर्य-राहु युति के नकारात्मक प्रभाव से बचने में मदद मिल सकती है।

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Posted On - April 11, 2023 | Posted By - Jyoti | Read By -

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