कुंडली के वह योग जो शिक्षा के क्षेत्र में डालते हैं रुकावटें
आज के समय में शिक्षित होना उतना ही अनिवार्य है जितना जीने के लिए हवा, पानी का होना। इसलिए मां-बाप आजकल अपने बच्चों को 3-4 साल की छोटी उम्र से ही पढ़ाना शुरु कर देते हैं, ताकि बच्चे का भविष्य उज्जवल हो सके। हालांकि हर बच्चा पढ़ाईृ-लिखाई में अच्छा हो यह जरुरी नहीं होता, कई बच्चे खेलकूद तो कई रचनात्मक कार्यों में रुचि रखते हैं और आगे बढ़ते हैं।
वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चा पढ़ाई के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन तो करना चाहता है लेकिन चाहकर भी कर नहीं पाता। इसके कई सामाजिक और निजी कारण हो सकते हैं लेकिन आपकी कुंडली में ग्रहों की दृष्टि भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती है, आज इस विषय पर ही हम चर्चा करेंगे।
कुंडली में ग्रहों की स्थिति का शिक्षा जीवन पर प्रभाव
यदि कुंडली में नीचे दी गई ग्रह स्थितियां हों तो जातक के शिक्षा जीवन में कई परेशानियां आ सकती हैं।
जिन जातकों की कुंडली में चतुर्थ या पंचम भाव का स्वामी बृहस्पति या बुध 6, 8, 12 भावों में विराजमान होते हैं और इन पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि भी होती है तो व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में दिक्कतें आती हैं।
कुंडली में चौथे भाव का स्वामी ग्रह 6, 8, 12 भाव में हो या किसी नीच राशि में बैठा हो तो व्यक्ति को पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
कुंडली में चंद्रमा का पीड़ित होना भी शिक्षा के क्षेत्र में परेशानियां पैदा करता है। हालांकि यदि चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो परिणाम उतने बुरे नहीं होते ।
पंचम भाव के स्वामी और अष्टम भाव के स्वामी की कुंडली में युति भी व्यक्ति को शिक्षा से दूर ले जाती है।
कुंडली मे बुध और गुरु का पीड़ित होना भी शिक्षा के क्षेत्र में बाधाएं लाता है क्योंकि यह दोनों ही ग्रह शिक्षा के कारक हैं।
इसके अलावा अशुभ माने जाने वाले ग्रह शनि, मंगल, राहु-केतु की दशा-अंतर्दशा में भी व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में दिक्कतें आती हैं। ऐसे समय में छात्रों को महसूस होता है कि उनकी एकाग्रता खोती जा रही है।
यदि आप छात्र हैं और आपकी कुंडली में भी ऊपर दी गई स्थितियों में से कोई स्थिति बन रही है तो आपको तुरंत किसी अच्छे ज्योतिष से सलाह लेनी चाहिए। ज्योतिष द्वारा बताए गए उपायों को करके आप कुंडली में स्थित इन दोषों को दूर कर सकते हैं।