सौरमंडल में कई ग्रह मौजूद है और वह समय-समय पर अपने स्थान में परिवर्तन करते रहते है, जिसके कारण युति, ग्रहण, गोचर आदि जैसी घटनाएं घटित होती रहती है। वैदिक ज्योतिष में मंगल सबसे प्रमुख और शक्तिशाली ग्रहों में से एक होता है। यह एक क्रूर ग्रह है, जो आक्रामकता, साहस, ऊर्जा और जुनून का कारक माना जाता है। सूर्य ग्रह मान-सम्मान, यश, बल, गौरव का प्रतीक हैं। जब सूर्य-मंगल की युति होती है, तो जातक के जीवन पर इसका सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और मंगल दोनों ही अग्नि तत्व प्रधान ग्रह माने जाते हैं और सूर्य-मंगल की युति कुंडली में होने पर जातक महत्वकांक्षी बनता है। आज आप इस लेख में जानेंगे कि सूर्य और मंगल ग्रह की युति का जातक के जीवन के सभी पहलुओं पर क्या प्रभाव पड़ता है और इसके लिए ज्योतिष उपाय।
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सूर्य-मंगल की युति जातक की कुंडली में दो ग्रहों के एक साथ, एक ही स्थान पर होने से होती हैं। जब सूर्य और मंगल एक साथ स्थित होते हैं, तब उनकी युति बनती है। यह युति ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण योग है और जातक की कुंडली में इसका विशेष महत्व होता है। यदि सूर्य-मंगल की युति जातक की कुंडली में विस्तृत होती है, तो जातक की व्यक्तित्व और उनके जीवन में बहुत सारे महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं।
सूर्य और मंगल दोनों ग्रहों को ज्योतिष में महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। सूर्य व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और जीवन के उद्देश्य का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं मंगल शक्ति, उत्तेजना, अभिरुचि, संघर्ष और सफलता के लिए जाना जाता है। जब इन दोनों ग्रह की युति होती है, तो यह युति व्यक्ति के जीवन में बदलाव ला सकती है और इसका विशेष महत्व जातक की कुंडली में होता है।
इस युति के दौरान जातक की कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव हो सकते हैं। अगर यह युति कुंडली में शुभ होती है, तो व्यक्ति को नए कामों के लिए उत्साह मिलता है और उन्हें संघर्षों से निपटने की शक्ति प्राप्त होती है। इससे उन्हें अधिक सफलता हासिल करने के लिए उनकी समझ और तर्क शक्ति भी बढ़ती है। यदि जातक की कुंडली में इस युति का प्रभाव अशुभ है, तो व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं।
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ज्योतिष के अनुसार सूर्य-मंगल की युति का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह दो ग्रहों की एकता और समानता का प्रतीक होता है। सूर्य स्वयं एक बहुत शक्तिशाली ग्रह है और मंगल भी एक अत्यधिक ऊर्जावान ग्रह है। इसलिए यदि इन दोनों ग्रहों की युति कुंडली में होती है, तो व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
सूर्य और मंगल दोनों शक्तिशाली ग्रह हैं और जब वे कुंडली में एक साथ होते हैं, तो उनका प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तित्व पर पड़ता है।
सूर्य और मंगल दोनों ग्रह सौरमंडल में महत्वपूर्ण ग्रह हैं। जब ये दोनों ग्रह एक साथ युति में होते हैं, तो इसका मनुष्य के करियर पर निर्धारित प्रभाव हो सकता है।
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कुंडली का पहला भाव एक महत्वपूर्ण भाग होता है, जिसे जन्म लग्न के रूप में भी जाना जाता है और यह जातक के व्यक्तित्व, भावनाओं और व्यवहार को बताता है। इस युति के कारण जातक के व्यक्तित्व बदलाव हो सकता है। साथ ही व्यक्ति अपने लक्ष्यों की ओर अधिक उत्साहित महसूस कर सकता है। इस युति के कारण जातक को अपने काम में सफलता हासिल करने के लिए अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होती है। साथ ही इस दौरान जातक को धैर्य के साथ काम करना चाहिए।
इस युति के कारण जातक की धन स्थिति में सुधार हो सकता है। साथ ही व्यक्ति अपनी आय को बढ़ाने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रयास कर सकता हैं। सूर्य और मंगल ग्रह की युति के कारण जातक को शैक्षिक उपलब्धियों की प्राप्ति करने में सफलता मिल सकती है। अगर आप विद्यार्थी है, तो आपको अधिक पढ़ाई करने की आवश्यकता हो सकती है। इस समय आपके सम्बन्धों में संभावित तनाव हो सकता है। आपको अपने सम्बन्धों को संतुलित करने के लिए प्रयास करने चाहिए।
इस युति के दौरान जातक की संचय की क्षमता में सुधार हो सकता है। साथ ही आप धन की बचत करने के लिए अधिक प्रयास कर सकते हैं। इस दौरान आपको विदेश जाने का मौका मिल सकता है। साथ ही आपके बच्चों की स्थिति में सुधार हो सकता है और आपके बच्चों को शिक्षा या संबंधित क्षेत्र में सफलता मिल सकती है।
इस दौरान व्यक्ति की संपत्ति में सुधार हो सकता है और आप अधिक संपत्ति अर्जित करने के प्रयास कर सकते हैं। आपको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए आपको धन की बचत करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही इस समय आप अपने आध्यात्मिक और धार्मिक विकास के लिए अधिक प्रयास कर सकते हैं।
इस युति के कारण आपके शिक्षा और ज्ञान क्षेत्र में वृद्धि हो सकती है। यह आपको नई ज्ञान की प्राप्ति और शिक्षा के लिए उत्साहित कर सकता है। आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साथ ही आपको अपनी शारीरिक व्यायाम और आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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इस युति के कारण आपकी सेवा भावना व निस्वार्थता में वृद्धि हो सकती है। आपको नौकरी या व्यवसाय में सफलता मिल सकती है। साथ ही यह आपके लिए समझौते करने और उत्तरदायित्व समझने का समय हो सकता है। आप विवाह या साझेदारी के माध्यम से आर्थिक लाभ हासिल कर सकते हैं।
सूर्य-मंगल की युति के कारण आपके सामाजिक और सार्थक गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है। आप अपने समाज में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं और सार्थक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं। इस दौरान आप अपने विचारों को समझाने और दूसरों से विचारों का विनिमय करने के लिए सक्षम होंगे।
सूर्य-मंगल की युति कुंडली के आठवें भाव में व्यक्ति के व्यवसायिक जीवन, कर्म और सम्बंधों के बारे में बताती है। यह भाव संपत्ति, आय और आर्थिक स्थिति से जुड़ा होता है। इस युति के अष्टम भाव में होने से व्यक्ति को वित्तीय लाभ मिल सकता हैं। व्यवसाय विस्तार के लिए भी यह एक शुभ स्थिति होती है। इस संयोग से व्यक्ति को बढ़ती हुई उद्यमिता, प्रेरणा और स्वतंत्रता मिलती है।
सूर्य और मंगल ग्रह की युति कुंडली के नौवें भाव में व्यक्ति के जीवन के रहस्यमय और आंतरिक विषयों को दर्शाती है। इस भाव से जुड़े मुद्दों में ज्ञान, समझ, भावनाएं, स्वभाव और आध्यात्मिक सफलता के बारे में जानकारी मिलती है। इस युति से व्यक्ति को स्वास्थ्य, समृद्धि, धार्मिक और शांति की प्राप्ति हो सकती है। इस संयोग से व्यक्ति में आत्म विश्वास व स्वयं के प्रति विशेष रूप से संकोच कम होता है और उनके सामने जीवन की नई दिशाएं खुल सकती हैं।
दसवें भाव में स्थित ग्रह और उनकी स्थिति व्यक्ति के करियर में सफलता या असफलता को निर्धारित करते हैं। यदि सूर्य-मंगल की युति दसवें भाव में होती है, तो व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें नौकरी और करियर के मामलों में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। वे उच्च शिक्षा और अध्ययन के माध्यम से अपने करियर को ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
इस युति के ग्यारहवें भाव में होने से जातक के संचार एवं कर्म क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है। इस भाव से संबंधित विषयों में संचार करने वाले जातक के लिए यह योग उनके लिए उपयुक्त होता है। वे भ्रमण करने के शौकीन होते हैं और अपने काम के लिए दूसरे शहरों या देशों में जाना पसंद करते हैं। इस भाव में सूर्य-मंगल का योग सामान्य तौर पर संचार एवं यात्रा से जुड़े विषयों में एक सकारात्मक प्रभाव डालता है।
सूर्य-मंगल की युति कुंडली के बारहवें भाव में जातक के कर्म और स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे सामने आते हैं। यह भाव आर्थिक स्थिति, संपत्ति, संभावनाएं, विवाह और दायित्वों के बारे में भी बताते है। इस योग के कारण जातक के कर्म, कर्म भोग, और संबंधों से संबंधित मुद्दे हो सकते हैं। यह भाव संपत्ति के साधनों के साथ-साथ उचित निवेश के बारे में भी संदेह उत्पन्न कर सकता है। इस भाव में विवाह से संबंधित मुद्दों की संभावनाएं बढ़ती हैं और जातक को धन-संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है।
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ज्योतिष के अनुसार जातक की कुंडली में अंगारक योग तब बनता है, जब पाप ग्रह यानि राहु और मंगल ग्रह की एक साथ युति होती है। अंगारक योग एक अशुभ योग है और जब यह किसी जातक की कुंडली में बनता है, तो उस जातक को कठिन समय का सामना करना पड़ता है। साथ ही इस योग के कारण जातक का स्वभाव काफी क्रोधी बन जाता है। वह बात-बात पर क्रोध करने लगता है। इतना ही नहीं इस योग के कारण जातक काफी हिसंक प्रवृति वाला बन जाता है और वह अपनी बुद्धि का सही उपयोग नहीं करता हैं। इस अशुभ योग से छुटकारा पाने के लिए जातक को रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
मंगल और सूर्य की युति के प्रभावों के लिए निम्नलिखित टिप्स हैं:
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सूर्य ग्रह को शांति देने के लिए कुछ प्रसिद्ध मंत्र हैं, जो निम्नलिखित हैं:
ज्योतिष में मंगल ग्रह को शांति देने के लिए कुछ प्रसिद्ध मंत्र हैं, जो निम्नलिखित हैं:
ये मंत्र मंगल ग्रह को शांति देने के लिए बहुत ही प्रभावी होते हैं। इन मंत्रों को सुबह उठते ही जपने से जातक को मंगल दोष से मुक्ति मिल सकती हैं।
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