ज्योतिष में चंद्रमा और सूर्य दो ऐसे ग्रह हैं जिनका व्यक्ति के जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। सूर्य जहां आत्मा का कारक ग्रह माना जाता है वहीं चंद्रमा को मन का कारक ग्रह कहते हैं। यदि कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी न हो या कुंडली में चंद्र दोष हो तो यह व्यक्ति को कई परेशानियां दे सकता है। ऐसे लोग मानसिक रुप से अक्सर परेशान होते हैं। ऐसे लोगों में आत्मविश्वास की भी कमी देखी जा सकती है। आज अपने इस लेख में हम चंद्रमा दोष की चर्चा करेंगे और इसको दूर करने के उपाय भी आपको बताएंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा को दोष तब लगता है जब कुंडली में चंद्रमा ग्रह पीड़ित अवस्था में रहता है। चंद्रमा के पीड़ित या कमजोर होने की कई दशाएं हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है राहु के साथ चंद्रमा की युति। कुंडली में राहु-चंद्रमा की युति को ही चंद्र दोष के नाम से जाना जाता है। इस अवस्था को ग्रहण भी कहा जाता है, सीधे शब्दों में कहें तो यदि राहु, चंद्रमा के साथ विराजमान हो तो चंद्रमा पर ग्रहण लग जाता है। यह स्थिति जिस भी जातक की कुंडली में बनती है उसका मन विचलित रहता है क्योंकि चंद्रमा मन का कारक ग्रह है।
राहु-चंद्रमा की युति के साथ ही कुछ अन्य स्थितियां भी हैं जिन्हें चंद्र दोष की श्रेणी में रखा जाता है। इन स्थितियों के बारे में नीचे बताया गया है।
1. चंद्रमा पर यदि राहु की दृष्टि पड़ रही है और केतु के साथ चंद्रमा युति बना रहा है तो इसे भी चंद्र दोष कहा जाता है।
2. पाप ग्रहों के साथ यदि चंद्रमा की युति हो रही हो तब भी चंद्रमा कमजोर स्थिति में होता है।
3. क्रूर ग्रहों की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ रही हो तो इसे भी चंद्रमा दोष कहा जाता है। चंद्रमा
4.सूर्य-चंद्रमा युति भी चंद्र दोष की श्रेणी में रखी जाती है।
ऊपर दिये गये बिंदुओं से आप जान सकते हैं कि आपकी कुंडली मे चंद्र दोष है या नहीं। आईए अब हम आपको बताते हैं कि चंद्रमा दोष को दूर करने के लिए आपको क्या उपाय करने चाहिए।
यदि आपकी कुंडली में चंद्र दोष है तो आपको जीवन में कई परेशानियां आ सकती हैं। आप इस कारण गलतफहमियों का शिकार हो सकते हैं और अपने फैसलों पर भी आपको संशय हो सकता है। इसके साथ ही घबराहट, मायूसी और यादाश्त की कमजोरी भी आपको होने की संभावना रहती है। लेकिन नीचे दिए गए उपायों को आजमाकर आप दोष से मुक्त हो सकते हैं।
ऊपर दिए गए उपायों को अपनाकर आप चंद्र दोष से झुटकारा पा सकते हैं, हालांकि किसी भी तरह की पूजा अर्चना को आपको श्रद्धा-भक्ति और विधि-विधान से करना चाहिए।
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