हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा करने से जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जातक को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह का मार्गशीर्ष अमावस्या से महत्वपूर्ण संबंध माना जाता है। इसलिए जन्म कुंडली में शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए इस दिन उपाय करना बेहद ही शुभ माना जाता है। आइए ज्योतिष में मार्गशीर्ष अमावस्या 2023 की तिथि और इसके महत्व के बारे में जानें।
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इस वर्ष की अमावस्या तिथि 12 दिसंबर 2023 को 06:26:15 से शुरू होगी और 13 दिसंबर 2023 को 05:03:23 पर समाप्त होगी। इस दौरान ज्योतिषियों का मानना है कि ब्रह्मांड की ऊर्जा अपने न्यूनतम स्तर पर होगी। इसलिए यह पितरों का अनुष्ठान करने के लिए शुभ समय है।
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मार्गशीर्ष अमावस्या एक शुभ दिन है, जो ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग इस दिन कई धार्मिक अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों को करते हैं। इसके अलावा, उनका मानना है कि इन अनुष्ठानों का उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लोग मार्गशीर्ष अमावस्या के दौरान पूर्वजों से आशीर्वाद लेने और प्रार्थना करने को आदर्श समय मानते हैं। लोगों का मानना है कि इस दिन तर्पण करने से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है। भगवान शिव के भक्त इस दिन को महत्वपूर्ण मानते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि भगवान शिव ने इस दिन तांडव नृत्य किया था। लोगों का मानना है कि इस दिन पूजा करने से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से छुटकारा मिलता है और जातक के जीवन में शांति और समृद्धि आती हैं।
इसके अलावा, मार्गशीर्ष अमावस्या विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों को करने के लिए एक आदर्श दिन है। इस दिन पितृ दोष पूजा, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय पूजा भी की जाती हैं। लोगों का मानना है कि इन समारोहों का उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और जातक को शांति, समृद्धि मिलती है। इसके अलावा, मार्गशीर्ष अमावस्या दान करने और जरूरतमंदों की मदद करने का एक शुभ समय है। लोगों का मानना है कि इस दिन दान करने से अच्छे कर्म संचित होते हैं और परमात्मा से आशीर्वाद मिलता है। ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को शनि ग्रह से भी जोड़ा जाता है। माना जाता है कि इस दिन शनि पूजा और शनि मंत्रों का जाप करने से शनिदेव के हानिकारक प्रभावों से बचा जा सकता हैं।
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मार्गशीर्ष अमावस्या अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन पूर्वजों की दिवंगत आत्माओं को जल और अन्य प्रसाद चढ़ाने के लिए कुछ अनुष्ठान किए जाते है। मार्गशीर्ष अमावस्या 2023 पर आप अपने पूर्वजों, माता और पिता को सही विधि के अनुसार जल अर्पित कर सकते है।
बता दें कि पितरों को जल देने की विधि को तर्पण कहा जाता हैं। जिसके लिए जातक को सबसे पहले अपने हाथों में कुश लेकर दोनों हाथों को जोड़कर अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए। ध्यान करने के बाद उन्हें आमंत्रित करते हुए ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं गृह्णन्तु जलान्जलिम’ मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र का अर्थ है कि हे पितरों, आप आइए और हमारी दी हुई जलांजलि ग्रहण करें।
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हिंदू पौराणिक कथाओं का मानना है कि भगवान विष्णु ने इस दिन भगवान वामन के रूप में पृथ्वी पर अपना पहला कदम रखा था। लोगों का मानना है कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था। मान्यताओं के अनुसार, यह दिन ब्रह्मांड के निर्माण का प्रतीक है। वहीं इस दिन देवों और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था। यह भी माना जाता है कि इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा का जन्म हुआ था। बहुत से लोग इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से देवता उन्हें आशीर्वाद, समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन प्रदान करेंगे।
मार्गशीर्ष अमावस्या से जुड़े कई अनुष्ठान और रीति-रिवाज हैं। सबसे लोकप्रिय अनुष्ठानों में से पवित्र नदियों में स्नान करना है। लोगों का मानना है कि इस दिन दान-पुण्य करने से समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु या भगवान शिव की मूर्तियों के सामने दीपक या मोमबत्ती जलाना बेहद ही शुभ माना जाता है। लोगों का मानना है कि इससे उनके घर और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण है और लोग इसे उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं।
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हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन है और माना जाता है कि इसका व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। कहा जाता है कि इस दिन कुछ अनुष्ठान करने से शनि के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है। मार्गशीर्ष अमावस्या 2023 पर शनि के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए आप यहां दिए कुछ उपाय कर सकते हैं:
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