विवाह एक ऐसा बंधन है जो जीवन-भर आपके भाग्य पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके साथ शादी में देरी और विघ्न यह दोनों भी आपके भाग्य पर ही निर्भर करते हैं। कुछ ग्रह गोचर या कुंडली में किसी ग्रह के नकारात्मक प्रभाव भी आपकी शादी में देरी का कारण बनता है। इस देरी में ज्योतषीय कारण और उनके उपाय भी एक अहम भूमिका निभाता है। क्या आप भी अपनी शादी में हो रही देरी के लिए चिंतित हैं? यदि ऐसा है! तो यह लेख आपके लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। वह इसलिए क्योंकि शादी में उतपन्न हो रही देरी के कारण और उपाय इस लेख में बताए गए हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आपके जीवन में विवाह, कई महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। सभी के कुंडली में सातवां भाव शादी के लिए जाना जाता है। यही भाव आपके शादी के विषय में बताता है कि आपकी शादी में देरी होगी या नहीं। आपको बता दें कि ऐसे कुछ प्रभाव हैं जिन से वर एवं वधु दोनों पक्ष को संघर्ष करना पड़ता और इस कारण से उनके विवाह में देरी भी होती है। साथ ही आपकी कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह होते हैं जो आपके विवाह में रुकावटें उतपन्न करते हैं और जो आपकी शादी में देरी का कारण बनता है।
आपको बता दें कि की पुरुष एवं महिलाओं के लिए दो ऐसे ग्रह हैं जो शादी में अहम भूमिका निभाते हैं। पुरुषों के लिए शुक्र ग्रह एवं महिलाओं के लिए बृहस्पति ग्रह। साथ ही शुक्र ग्रह प्रेम प्रतीक है और बृहस्पति ग्रह ज्ञान एवं धन का। और इसलिए जब यह दोनों ग्रह मजबूत स्थिति में नहीं होते हैं, उस समय शादी होने की संभावनाओं में बाधा उतपन्न हो सकती है। साथ ही वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब शनि और गुरु ग्रह सप्तम भाव में होते हैं, तब विवाह का योग बनता है।
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