जानिए किन-किन कारणों से आपके विवाह में हो रही है देरी!
विवाह एक ऐसा बंधन है जो जीवन-भर आपके भाग्य पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके साथ शादी में देरी और विघ्न यह दोनों भी आपके भाग्य पर ही निर्भर करते हैं। कुछ ग्रह गोचर या कुंडली में किसी ग्रह के नकारात्मक प्रभाव भी आपकी शादी में देरी का कारण बनता है। इस देरी में ज्योतषीय कारण और उनके उपाय भी एक अहम भूमिका निभाता है। क्या आप भी अपनी शादी में हो रही देरी के लिए चिंतित हैं? यदि ऐसा है! तो यह लेख आपके लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। वह इसलिए क्योंकि शादी में उतपन्न हो रही देरी के कारण और उपाय इस लेख में बताए गए हैं।
शादी में देरी के लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आपके जीवन में विवाह, कई महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। सभी के कुंडली में सातवां भाव शादी के लिए जाना जाता है। यही भाव आपके शादी के विषय में बताता है कि आपकी शादी में देरी होगी या नहीं। आपको बता दें कि ऐसे कुछ प्रभाव हैं जिन से वर एवं वधु दोनों पक्ष को संघर्ष करना पड़ता और इस कारण से उनके विवाह में देरी भी होती है। साथ ही आपकी कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह होते हैं जो आपके विवाह में रुकावटें उतपन्न करते हैं और जो आपकी शादी में देरी का कारण बनता है।
आपको बता दें कि की पुरुष एवं महिलाओं के लिए दो ऐसे ग्रह हैं जो शादी में अहम भूमिका निभाते हैं। पुरुषों के लिए शुक्र ग्रह एवं महिलाओं के लिए बृहस्पति ग्रह। साथ ही शुक्र ग्रह प्रेम प्रतीक है और बृहस्पति ग्रह ज्ञान एवं धन का। और इसलिए जब यह दोनों ग्रह मजबूत स्थिति में नहीं होते हैं, उस समय शादी होने की संभावनाओं में बाधा उतपन्न हो सकती है। साथ ही वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब शनि और गुरु ग्रह सप्तम भाव में होते हैं, तब विवाह का योग बनता है।
लड़का एवं लड़की के कुंडली में यदि मांगलिक दोष है तो यह विवाह में देरी का कारण बनता है।
कुंडली में यदि शनि एवं गुरु ग्रह एक साथ सप्तम भाव में हो, तो यह भी विवाह में देरी कारण बनता है।
सूर्य, मंगल अथवा बुध जब लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हैं और उस समय में गुरु ग्रह बारहवें भाव में बैठा हो, तब भी विवाह में देरी संभावना बढ़ जाती है।
जब कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों हैं, तब शादी चर्चा परस्पर चलती रहेगी किन्तु विवाह बंधन में बंधने में देरी उतपन्न होगी।
चौथे भाव में मंगल और सप्तम भाव में शनि के होने से व्यक्ति शादी या गृहस्त जीवन में रुचि नहीं लेता है।
कुंडली के प्रथम भाव, सप्तम भाव और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमजोर हो तब भी विवाह में बाधाएं उतपन्न होती हैं।
यदि महिला की कुंडली में सातवां भाव शनि से पीड़ित हो उस समय विवाह में देरी हो सकती है।
यदि शादी में अधिक देरी हो रही है तो यह उपाय हैं कारगर!
भगवान शिव एवं माता पार्वती की आराधना करें, इनकी आराधना से आपको मनचाहा वर मिलेगा और विवाह प्रक्रिया में तेजी आएगी।
“क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।” भगवान श्री कृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे उन लड़कों को सकारात्मक परिणाम मिलेगा, जिनके विवाह में देरी हो रही है।
पूर्णमासी(पूर्णिमा) के दिन यदि व्यक्ति बरगद के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करता है, तब भी विवाह संबंधित बाधाएं दूर हो जाती हैं।
गुरुवार को बरगद, पीपल, केले के पेड़ को जल अर्पित करने से भी विवाह संबंधित परेशानियां दूर होती हैं।
गुरुवार के दिन ही गाय को आटे के दो गोले बनाकर और उसपर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए। साथ ही इच्छानुसार गुड़ व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाएं, इससे विवाह में उतपन्न हो रही बाधाएं दूर होंगी।
साथ ही प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत आराधना करें। इससे भी आपकी परेशानियां कम होंगी।
यदि आप विवाह योग्य व्यक्ति हैं, तो अधिकांश समय पीले वस्त्र को धारण करें।
बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है, गुरुवार को इनकी पूजा से विवाह में उतपन्न हो रही बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।