वसंत पंचमी 2022 : वसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। आपको बता दें कि इस दिन वसंत ऋतु का आरंभ होता है। इस पवित्र मौके पर मां सरस्वती की पूजा की जाती हैं। इतना ही नहीं व्यक्ति पीले वस्त्र धारण करके सरस्वती मां की आराधना करते हैं।
माना जाता है कि इस दिन सरस्वती मां प्रकट हुई थी। और संपूर्ण देवी देवताओं ने मिलकर स्तुति की। और स्तुति से वेदों की ऋचाएं और वसंत राग बनें। इसी लिए वसंत पंचमी का पावन त्यौहार मनाया जाता है। वसंत का सीधा संबंध प्राकृतिक से होता है और इस दिन प्रकृति अपने रूप में बदलाव करती है।
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आपको बता दें कि सरस्वती मां को ज्ञान की देवी भी कहा जाता है। और ऐसा माना जाता है कि जहां सरस्वती मां वास करती हैं, वहीं पर मां काली और मां लक्ष्मी विराजमान होती हैं। इतना ही नहीं जिस तरह नवरात्रि में वैष्णो देवी पूजा की जाती है, उसी तरह इस पंचमी पर सभी लोग सरस्वती मां की वंदना करते हैं। और उनसे अपने लिए ज्ञान, संयम, मधुर वाणी, सुख सुविधा आदि मांगते हैं।
इसी के साथ इस दिन सभी शैक्षिक संस्थानो पर सरस्वती मां की पूजा की जाती है। सरस्वती मां को कला की देवी भी कहा जाता है। इसीलिए इस दिन सभी लोग इनकी पूरी श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं। आइए जानते हैं वसंत पंचमी से जुड़े महत्वपूर्ण तिथि समय और बातों के बारे में –
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वसंत पंचमी का दिन काफी शुभ दिन माना जाता है। इस दिन शिक्षा प्रारंभ करने से पहले या कोई नया कार्य शुरू करने से पहले मां सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से सरस्वती माता की पूजा करता है, मां उसे उसका मनचाहा वरदान देती हैं।
आपको बता दें कि इस पंचमी को श्री पंचमी नाम से भी जाना जाता है। और इस दिन को सरस्वती मां के दिन के नाम से भी पहचाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं। और जो भी पति पत्नी कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा करते है, उनके व्यवहारिक जीवन में आ रही सारी अड़चनें दूर हो जाती हैं। साथ ही उनके घर में भी खुशियों का आगमन होता है।
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यह वसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी शनिवार को 5 फरवरी की सुबह 03 बजकर 47 मिनट से आरंभ होगी। और यह अगले दिन रविवार यानी 6 फरवरी की सुबह 03 बजकर 46 मिनट जारी रहेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले की जाने की मान्यता है।
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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ज्ञान और कला की देवी माता सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुई थी। यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं है इस दिन जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से सरस्वती माता की पूजा करता है, मां उसकी सारी मनोकामना पूर्ण करती हैं।
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