ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है, इसीलिए हर व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। कुंडली में चंद्रमा की मजबूत स्थिति व्यक्ति को मानसिक रुप से सुदृढ़ बनाती है वहीं दुर्बल स्थिति में यह व्यक्ति को तनाव की स्थिति में ला सकता है। आज हम इस लेख में बताएंगे कि अलग-अलग भावों में चंद्रमा कैसे फल देता है।
चंद्रमा यदि कुंडली के प्रथम भाव में विराजमान है तो व्यक्ति को गायन, वादन का शौक हो सकता है। ऐसे लोग मानसिक रुप से भी सशक्त होते हैं। यदि चंद्रमा उच्च का हो या मित्र राशि में विराजमान हो तो व्यक्ति को भाग्य का पूरा सहयोग मिला है। यदि चंद्रमा नीच का होतो व्यक्ति गलत संगति में पड़ सकता है और बुरी आदतों का शिकार हो सकता है।
द्वितीय भाव वाणी और परिवार का होता है, इस भाव में बैठा चंद्रमा व्यक्ति को धनवान बनाता है। ऐसे व्यक्ति को पारिवारिक जीवन में भी खुशियां मिलती हैं। ऐसे लोग पढ़ने के भी शौकीन होते हैं। यदि चंद्रमा के साथ बुध ग्रह विराजमान हो तो व्यक्ति को पैतृक संपत्ति मिलती है।
कुंडली के तृतीय भाव में स्थित चंद्रमा व्यक्ति को साहसी बनाता है। ऐसे लोगों को भाग्य का साथ मिलता है और यात्राओं से भी इन लोगों को लाभ मिलता है। अपने बौद्धिक कौशल और ज्ञान से ऐसे लोग समाज में अपना नाम बनाते हैं। हालांकि चंद्रमा यदि वृश्चिक राशि में हो तो व्यक्ति को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शुभ ग्रहों के साथ चंद्रमा की युति व्यक्ति को लेखन के क्षेत्र में सफलता दिलाती है।
चतुर्थ भाव में स्थित चंद्रमा व्यक्ति को खुशमिजाज बनाता है। ऐसा व्यक्ति का भाग्य शादी के बाद मजबूत होता है। यह माता का भाव कहलाता है इसलिए इस भाव में बैठा चंद्रमा माता को भी शुभ फल देता है। विपरीत लिंगियों के प्रति ऐसे व्यक्ति में बहुत आकर्षण होता है। ऐसा व्यक्ति रोग रहित होता है। हालांकि इस भाव में चंद्रमा यदि शुक्र ग्रह के साथ विराजमान होतो व्यक्ति गलत संगति में पड़कर अपने ही पैरों पर कुलाहड़ी मार सकता है।
कुंडली की पंचम भाव में बैठा चंद्रमा व्यक्ति को अध्ययनशील बनाता है। ऐसे लोग गूढ़ विषयों को जानने की कोशिश करते हैं। चंद्रमा की यह स्थिति व्यक्ति को धनवान बनाती है। ऐसे लोगों को सट्टे या लॉटरी से भी धन अर्जित हो सकता है। हालांकि ऐसे लोगों की बद्धि तीक्ष्ण होती है लेकिन इनके स्वभाव में चंचलता भी देखने को मिलती है। यदि चंद्रमा के साथ शनि ग्रह की युति हो तो ऐसा व्यक्ति दूसरों का मजाक उड़ाने वाला और दूसरों का फायदा उठाने वाला होता है।
जब चंद्रमा षष्ठम भाव में होता है तो व्यक्ति बाचाल हो सकता है। ऐसे व्यक्ति के कई शत्रु हो सकते हैं और आंख या गले से संबंधित रोगों से भी ऐसा व्यक्ति ग्रसित हो सकता है। कानूनी कामों में भी ऐसे लोगों को सफलता नहीं मिलती। कुछ विशेष परिस्थितियों में चंद्रमा अच्छे फल भी दे सकता है लेकिन कुल मिलाकर इस भाव में चंद्र देव का होना शुभ नहीं कहा जा सकता।
जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा सप्तम भाव में विराजमान होता है वो जातक अच्छे विचारक और धैर्यवान होते हैं। ऐसे लोगों में विदेशों में जाकर बसने की इच्छा बलवान होती है। विपरीत लिंगियों के प्रति ऐसे लोग आसानी से आकर्षित हो जाते हैं। यदि चंद्रमा बुध या गुरु के साथ युति बना रहा हो तो ऐसे व्यक्ति को अपार संपदा मिल सकती है। चंद्रमा यदि दुर्बल अवस्था में हो तो व्यक्ति नाखुश रहता है।
चंद्रमा यदि अष्टम भाव में विराजमान हो तो ऐसा व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ सकता है। जिंदगी में खुशियां हासिल करने के लिए ऐसे लोगों को जूझना पड़ता है। हालांकि यदि चंद्रमा शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को साझेदारी के काम में मुनाफा होता है और विदेशों से भी लाभ होता है। ऐसे लोगों में कामवासना की भी अधिकता देखी जा सकती है।
कुंडली में नवम भाव में विराजमान चंद्रमा व्यक्ति के अंदर पिता के प्रति लगाव जगाता है। ऐसे लोग धार्मिक प्रवृति के होते हैं औऱ आध्यत्म के क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकते हैं। ऐसे लोग न्यायप्रिय होते हैं इसलिए समाज में कुछ भी गलत होता है तो इनको फर्क पड़ता है। यहां बैठा चंद्रमा यदि दुर्बल अवस्था में हो तो व्यक्ति को भाग्य का पूरा साथ नहीं मिलता।
दशम भाव में विराजमान चंद्रमा व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता दिलाता है। ऐसा व्यक्ति अपने कर्म से अपने भाग्य को बदलने की क्षमता भी रखता है। व्यापार में ऐसे लोगों को सफलता प्राप्त होती है। लोगों का भला करने के लिए भी ऐसे लोग आगे आते हैं, समाज में भी प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। हालांक चंद्रमा यदि दुर्बल हो तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में दिक्कतें आ सकती हैं और स्वास्थ्य भी खराब रह सकता है।
इस भाव को लाभ का भाव भी कहते हैं। इस भाव में विराजमान चंद्रमा से व्यक्ति को भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है। ऐसे लोग धनी होते हैं और विपरीत लिंगियों की मदद से भी इनको लाभ प्राप्त होता है। इन लोगों की उम्र भी ज्यादा होती है लेकिन यह देश से ज्यादा विदेश से प्रेम करने वाले हो सकते हैं। हालांकि यदि चंद्रमा पर मंगल या शनि की दृष्टि या प्रभाव हो तो व्यक्ति को जीवन में परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
इस भाव में विराजमान चंद्रमा व्यक्ति को क्रोधी बनाता है और ऐसे लोगों को आंखों से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। हालांकि ऐसे लोग विदेशों में जाकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे लोगों को धन हानि होने की भी प्रबल संभावना रहती है।
यह भी पढ़ें- राशिचक्र में अग्नि तत्व की राशियां, उनके गुण और मुख्य विशेषताएं
4,179
4,179
अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें