वह सभी जानकारी जो आप शरदीय नवरात्रि 2021 के विषय में जानना चाहते हैं

All the information you want to know about Sharad Navratri 2021 and Durga Puja

शरदीय नवरात्रि 2021. दुर्गा पूजा या दुर्गोत्सव माँ दुर्गा की 9 दिनों तक आराधना किया जाने वाला उत्सव है। यह पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे कई भारतीय राज्यों में धूमधाम से मनाया जाने वाला लोकप्रिय त्यौहार है। यह त्यौहार शरदीय नवरात्रि(2021) के नाम से भी प्रसिद्ध है । यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जिस पर हजारों भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं । लोग शरदीय नवरात्रि(2021) पर्व को शारदीय पूजा, महा पूजा और अजकबंधन जैसे नामों से भी पहचानते हैं। शरद नवरात्रि हिंदू पञ्चाङ्ग के अनुसार अश्विन महीने में आता है।

यह त्यौहार हर वर्ष अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है। साथ ही इस पवित्र उत्सव को महिषासुरमर्दनी माँ दुर्गा एवं दैत्य महिषासुर के बीच हुए महा युद्ध के स्मरणोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के अवतार के रूप में मनाया जाता है।

यह त्योहार ही दशहरे की तिथि तय करती है जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है।

दुर्गा का अर्थ

देवी दुर्गा को आमतौर पर शक्ति के देवी के रूप में पूजा जाता है। दुर्गा शब्द का अर्थ है “जिनका दृष्टिकोण दृढ अथवा जटिल है”। देवी ब्रह्मांड की पालनहार हैं, वह स्नेह, सौंदर्य, शक्ति, धन और आंतरिक मूल्य की भी देवी हैं।

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शरदीय नवरात्रि का महत्व

हिंदू वैदिक कथाओं में यह उल्लेख मिलता है कि, भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध से पूर्व माँ दुर्गा की पूजा को सम्पन्न किया और उनके आशीर्वाद के लिए 108 प्रकाश दीपक के साथ 108 नीले कमल प्रदान किए। जिसके उपरांत श्री राम और उनकी सेना ने राक्षसों का वध किया और धर्म की स्थापना हुई।

विजयादशमी पर्व ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ का प्रतीक है। यह भगवान राम की जीत के उपलक्ष में उल्लास मनाने का दिन है। इस दिन भक्त अक्सर जीवन में बाधाओं पर विजय पाने के लिए भगवान श्री राम और देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए उपवास रखते हैं।

शारदीय नवरात्रि 2021 की अवधि में उपवास और भक्ति करने से भक्तों को नकारात्मकता और राक्षसी शक्तियों पर विजय हासिल करने में मदद मिलती है। इससे भक्तों को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है।

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उत्सव के पीछे का इतिहास

ग्रंथों में यह उल्लेख किया गया है कि, नवरात्रि का उत्सव देवी दुर्गा और दैत्य महिषासुर के मध्य हुए भीषण युद्ध को समरण करने के लिए मनाया जाता है। उस समय, राक्षसों ने देवताओं के खिलाफ युद्ध करने के लिए ललकारा था और देवी दुर्गा ने राक्षसों का वध किया और पृथ्वी की रक्षा की। देवी दुर्गा ने माघ सप्तमी या सातवें दिन राक्षसों का वध करने के लिए अपने अस्त्र उठाए और अंतिम दिन यानि विजयादशमी पर महिषासुर का वध किया।

हिंदू धर्म में देवी दुर्गा को “बुराई की संहारक” भी कहा गया है। कथाओं में, यह भी उल्लेख है कि माँ दुर्गा की दस भुजाएँ हैं, जिनमें प्रत्येक भुजा पर एक घातक हथियार है और सिंह या शेर उनका वाहन है। विजयादशमी के दिन भक्त मां दुर्गा के इसी रूप की आराधना करते हैं।

देवी दुर्गा को संसार की माता के रूप में जाना जाता है और उन्हें अम्बा, भवानी, चंडिका, पार्वती, गौरी और महिषासुरमर्दिनी जैसे नामों से भी जाना जाता है। लोग उन्हें धर्मियों का रक्षक मानते हैं।

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शरदीय नवरात्रि 2021 उत्सव और अनुष्ठान

उत्सव मुख्य रूप से 9 दिनों का होता है। इस पर्व के दौरान देवी दुर्गा और उनके 9 अवतारों की आराधना करते हैं। पहले दिन, लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। इस दिन मंदिरों में और घरों में लोग मां दुर्गा की मूर्ति के समक्ष कलश भी स्थापित करते हैं।

इस दिन, देवी दुर्गा अपने बच्चे माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, भगवान कार्तिकेय एवं भगवान गणेश के संग धरती पर आती हैं। लोग इस दिन अपने घर में देवी की रंग-बिरंगी और सुंदर आभूषणों से सजी मूर्ति स्थापित करते हैं।

सप्तमी का दिन-

सप्तमी के दिन, लोग नौ विभिन्न प्रकार के वृक्षों की पूजा करते हैं जो देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की मान्यता रखते हैं। इस दिन मां दुर्गा की पवित्र उपस्थिति का आह्वान किया जाता है। भक्त दिन की शुरुआत सुबह केले के पेड़ को स्नान कराके करते हैं।

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अष्टमी का दिन-

अष्टमी के दिन का दुर्गा पूजा में विशेष महत्व है। इस दिन लोग अविवाहित कन्या के रूप में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। इस अनुष्ठान को कन्या पूजन या कुमारी पूजन भी कहा जाता है।

बाद में उसी दिन शाम को, संध्या पूजा होती है जहाँ लोग देवी दुर्गा की माँ चामुंडा रूप में पूजा करते हैं। माँ चामुंडा देवी दुर्गा की ही विभिन्न रूपों में से एक रूप हैं जिन्होंने दैत्य चंड और मुंड का वध किया था। देवी को प्रसन्न करने के लिए लोग पारम्परिक धुनुचि नृत्य करते हैं।

नवमी का दिन-

नवमी नौ दिनों तक चलने वाले त्योहार का आखिरी दिन है। इस दिन का समापन पवित्र मंत्रोच्चारण और प्रार्थना, पारंपरिक अनुष्ठान अथवा हवन के साथ किया साथ पूर्ण किया जाता है। इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुरमर्दिनी के रूप में महिषासुर का वध किया था।

इस दिन, भक्त भोर में घर की अच्छे से सफाई करते हैं और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर जगतजननी की पूजा करते हैं और उन्हें भोग (प्रसाद) चढ़ाया जाता है। 9 दिनों तक चलने वाले उत्सव के बाद, “नवमी” के दिन, हर क्षेत्र में देवी दुर्गा की मूर्तियों की पूजा होती है। 

देश भर में महिलाएं अथवा पुरुष 9 दिनों तक उपवास रखते हैं। इस प्रकार, वह ऐसे फल और खाद्य पदार्थ खाते हैं जिसमे अनाज और मक्का नहीं होता है। कुछ लोग त्योहार के पहले और आखिरी (आठवें) दिन उपवास करते हैं।

शरदीय नवरात्रि के नौवें दिन , एक भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है। भक्त, विशेष रूप से महिलाएं, नौ कन्याओं को और एक युवा लड़के को प्रसाद के लिए आमंत्रित करती हैं। नौ लड़कियां और एक लड़का एक पंक्ति में बैठकर विशेष प्रसाद खाते हैं जिसमें पुरी के साथ हलवा और चना होता है।

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दशमी का दिन-

दशमी वह शुभ दिन है जब देवी दुर्गा अपने पति के घर लौटती हैं। इसलिए श्रद्धालु पूजा के लिए स्थापित की गई मूर्तियों को विसर्जन के लिए ले जाते हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं देवी को सिंदूर चढ़ाती हैं। पूजा के बाद मूर्तियों को जल में विसर्जित करने के बाद आशीर्वाद के रूप में मिठाई और प्रसाद का वितरण करती हैं।

शरदीय नवरात्रि 2021 के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यंजन

व्रत के दिनों में खाए जाने वाले व्यंजन-

मिठाई- आलू का हलवा, काजू कतली और पेड़ा।

पेय- लस्सी, मीठी दही।

स्नैक्स- आलू-पनीर कोफ्ता और कुट्टू पकौड़ी।

भोजन- साबूदाना खिचड़ी, संवत चावल खिचड़ी, कुट्टू कचौरी, कुट्टू खिचड़ी।

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नवमी उत्सव के लिए व्यंजन-

मिठाई- सूजी का हलवा और साबूदाना खीर।

पेय- लस्सी, मीठी दही

स्नैक्स- चना मसाला, राजगिरा पराठा।

भोजन- चना मसाला, जीरा आलू, और संवत चावल पुलाव।

देश भर में शरदीय नवरात्रि 2021-

दुर्गा पूजा सहित एक और भव्य त्योहार यानी दशहरा को भी मनाया। दशहरा का त्योहार विजयदशमी के रूप में भी लोकप्रिय है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण को हराया था और उसका वध किया था। इसलिए परंपराओं के अनुसार रामलीला का आयोजन किया जाता और रावण की विशाल प्रतिमा को जलाया जाता है।

दुर्गा पूजा का उत्सव बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और अन्य सात बहनों में उल्लेखनीय स्तर पर आयोजित किया जाता है। इसके अलावा, असमिया, मैथिली, उड़िया लोगों के लिए भी दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण महत्व रखता है। यह एक सामाजिक-सांस्कृतिक त्योहार है जो लोगों को भव्य उत्सव के लिए एक साथ एकत्रित करता है।

नेपाल के लोग दुर्गा पूजा के त्योहार को दशईं के रूप में मनाते हैं। इसके साथ ही बांग्लादेश के हिन्दू समुदाय के लोग भी इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।

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समापन उल्लेख-

दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव और शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इन नौ दिनों में लोग देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं और दक्षिण भारत के लोग नौ दिनों तक पक्षियों, जानवरों और अन्य प्राणियों की मूर्ति स्थापित कर उत्सव मनाते हैं। इसके अलावा, इस दिन, छात्र अपने शिक्षकों को उपहार देते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।

शरद नवरात्रि 2021- दुर्गा पूजा तिथि और मुहूर्त

इस साल भारत में शरद नवरात्रि रविवार, 7 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त होगी। इस प्रकार, दशहरा 2021 की तिथि 15 अक्टूबर को पड़ती है।

शरद नवरात्रि तिथि अगले चार वर्ष-

दिन दिनांक वर्ष
बुधवार 14 अक्टूबर 2021
सोमवार 3 अक्टूबर 2022
रविवार 22 अक्टूबर 2023
शुक्रवार 11 अक्टूबर 2024

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Posted On - October 4, 2021 | Posted By - Shantanoo Mishra | Read By -

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