समय के साथ बड़े होने के दौरान आपने अपने जीवन में विभिन्न परंपराओं को देखा होगा और, कम से कम एक बार आपने अपनी माँ यह जरूर पूछा होगा कि इसके पीछे क्या तर्क है? यदि ऐसा है, और आप अभी भी इसका उत्तर की तलाश में हैं, तो भारतीय परंपरा के पीछे कई वैज्ञानिक कारणों को जानने के लिए यह आलेख जरूर पढ़ें। आपको बता दें की भारतीय परंपरा आधुनिक युग में चलने वाले कई ढोंग के अलग और तर्कपूर्ण है। आम-तौर पर प्रयोग में लाई जाने वाली भारतीय परंपरा किसी शिक्षा से कम भी नहीं है। इनके पीछे छुपे तर्कों को जानकर आप भी दंग रह जाएंगे और सोचेंगे कि हमारे पूर्वज कितने दूरदर्शी और ज्ञानी थे।
भारतीय परंपरा सबसे अधिक इस्तेमाल में ले जाने वाली परंपरा यह है। आपको याद है कि कब माँ ने आपको परीक्षा के लिए जाने से पहले दही और चीनी खिलाई थी? और क्या आप जानते हैं इसके पीछे छुपा तर्क क्या है, इन सभी विषयों को समने रखने से पहले आपको बता दें कि यह सदियों से चली आ रही परंपरा है। किसी भी महत्वपूर्ण एवं शुभ कार्य की ओर बढ़ने से पहले दही और चीनी का सेवन सौभाग्य लाने वाला प्रतीक माना जाता है।
वैज्ञानिक कारण: आयुर्वेदिक विशेषज्ञ बताते हैं कि दही और चीनी का मिश्रण मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा ग्लूकोज का आपूर्ति प्रदान करता है, जो ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है। कोई भी मीठी चीज आयुर्वेदिक भाषा में “बुद्धि वर्धनक” कहलाती है, यानी यह याददाश्त, एकाग्रता और दिमागी शक्ति को तीव्र और बढ़ाने में मदद करती है। इसके अलावा, दही शरीर और दिमाग पर आरामदायक प्रभाव डालने के लिए भी जाना जाता है। जब कोई शांत और सभी बाधाओं से मुक्त होता है, तो वह चीजों को बेहतर ढंग से समझने में और याद करने में सक्षम होता है। साथ ही, यह व्यक्ति को तनाव मुक्त करता है और यह आयुर्वेदिक मिश्रण मस्तिष्क के लिए एक प्राकृतिक औषधि है।
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भारत में ग्रहण को किसी मुख्य दिन से कम नहीं माना जाता है। लोग आमतौर पर इसे उस समय के रूप में देखते हैं, जब किसी को भी अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए। बहुत से लोग इसे मिथक के रूप में देखते हैं। हालाँकि, यह एक ऐसी परम्परा है जिसका पालन सदियों से किया जाता रहा है। सूर्य ग्रहण के दौरान, लोग आमतौर पर घर पर बैठकर भगवान की पूजा करते हैं ताकि उनके आने वाला साल अच्छा रहे और बाधाओं से मुक्त रहे।
वैज्ञानिक कारण: इस दौरान बाहर निकलने से अक्सर चक्कर आना या थकान महसूस हो सकती है। साथ ही यह मनुष्य की निर्णय एवं चिंतन शक्ति पर बुरा प्रभाव डालता है और साथ ही पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, यदि आप ग्रहण की एक झलक भी देखते हैं, तो यह आपकी आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकता है और अधिक समय ऐसा करने पर आँखों की रौशनी भी जा सकती है।
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प्राचीन काल से ही लोग तांबे के बर्तन में पानी जमा करते थे। यह अब एक भारतीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा बन गया है और बहुत से लोग जो विदेशों में भी रहते हैं वह भी इसका पालन कर रहे हैं। कई घरों में आपने देखा होगा कि लोग रात भर तांबे के बने किसी पात्र में पानी रखते हैं।
वैज्ञानिक कारण: तांबे के बर्तन में पानी पीने से प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार आता है, साथ ही पाचन शक्ति को मजबूत करने में मदद मिलता है। इसके आलावा घाव भरने का समय कम होता है। तांबा मनुष्य के लिए एक आवश्यक एवं लाभकारी खनिज है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। इसके अलावा, यह विषाक्त पदार्थों को भी बेअसर करता है।
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सूर्यास्त से पहले भोजन करना आमतौर पर भारतीय परंपरा शामिल है। जैन धर्म में इस परंपरा को नियम के रूप में पालन किया जाता है।
वैज्ञानिक कारण: यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि जल्दी रात का खाना पाचन के लिए अच्छा होता है। इसलिए, यह वजन घटाने में भी अहम भूमिका निभाता है। देर रात या सोने के कुछ समय पहले खाने से नाराजगी या अपच का खतरा बढ़ जाता है। जल्दी खाने से अच्छी और सुकून भरी नींद भी आती है और दिल की सेहत अच्छी बनी रहती है।
यह भी भारतीय पौराणिक परंपरा में से एक है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा के वैज्ञानिक लाभ भी हैं।
वैज्ञानिक कारण: भोजन करते समय पालथी मारकर कर फर्श पर बैठने से समग्र पाचन प्रक्रिया में सुधार आती है। यह पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करता है और पेट में भोजन को पचाने वाले एसिड की मात्रा को बढ़ाता है। साथ ही यह परंपरा शरीर में खून के प्रवाह को बढ़ाता है और वजन घटाने में भी कारगर है। इसके अलावा, भोजन करते समय फर्श पर पालथी मारकर बैठने से मन और शरीर को दोनों को आराम मिलता है और शरीर की मुद्रा में सुधार आता है।
उपवास सबसे पुरानी परंपराओं में से एक है और अक्सर इसे धर्म से जोड़ा जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है।
वैज्ञानिक कारण: उपवास शरीर के मेटाबोलिज्म को बढ़ाकर कम कैलोरी लेने में मदद करता है। उपवास, वजन और चर्बी दोनों कम करने के लिए अत्यधिक प्रभावी है। इसके अलावा, यह इंसुलिन प्रतिरोध को कम करके रक्त शर्करा(Sugar Level) के स्तर को भी बढ़ाता देता है।
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प्रसाद चढ़ाते समय भोजन की प्लेटों के आसपास पानी छिड़कना भी एक सामान्य अनुष्ठान है।
वैज्ञानिक कारण: पहले लोग मिट्टी के फर्श पर बैठकर पेड़ के पत्तों में भोजन करते थे। इसलिए, भोजन के कीचड़ भरे फर्श के संपर्क में आने की संभावना थी। इसलिए पानी का छिड़काव किया गया ताकि खाद्य पदार्थों पर कीचड़ या गंदगी के कण न जमें।
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