महामृत्युंजय मंत्र: मानसिक शांति और कुंडली के बुरे प्रभावों को दूर करने का उपाय

महामृत्युंजय मत्र

भारतीय धरती पर सदियों से ऐसे अविष्कार होते रहे हैं जिनका उपयोग मानव जाति की भलाई के लिए हुआ है। इन्हीं अविष्कारोंं में मंत्र भी आते हैं, भले ही लोग आज इनकी अहमियत को भूलते जा रहे हों लेकिन मंत्रों की शक्ति से आप खुद का सकारात्मक रुपांतरण कर सकते हैं। हमारे पूर्वजों ने हजारों साल पहले यह बात पता कर ली थी कि यह पूरा ब्रह्मांड तरंगात्मक ऊर्जा से बना है और जब उन्होंने इस बात की पुष्टि करने के लिए अपने अंदर झांका तो इस तरंग की शक्ति को देखा।

आज वैज्ञानिक भी मानते हैं कि सृष्टि की रचना तरंगात्मक शक्ति से हुई है। जबकि हमारे मुनियों ने यह बात पहले ही बता दी थी। इस तरंगात्मक शक्ति को मंत्र के लगातार उच्चारण के जरिये हर कोई अपने अंदर भी महसूस कर सकता है। 

‘ॐ’  को भारतीय ऋषि-मुनियों ने शब्द ब्रह्मा कहा है, ऐसे माना जाता है कि इसके उच्चारण मात्र से भी व्यक्ति के कई कष्ट दूर हो सकते हैं। अब आप जान गए होंगे कि भारत में मंत्रों की क्या अहमियत है। इसलिए आज हम आपको एक ऐसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका उच्चारण करने से आप कई परेशानियों से बच सकते हैं। यह मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र।

महामृत्युंजय मंत्र को माना जाता है भगवान शिव से संबंधित

कई कष्टों को दूर करनेे वाले महामृत्युंजय मंत्र को भगवान शिव से संबंधित माना जाता है। जो भी जातक इस मंत्र का निरंतर जाप करता है उसके शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है। यह मंत्र आपके मस्तिष्क को भी शांति प्रदा करता है। कुछ योग गुरुओं का तो यह मानना भी है कि इस मंत्र से शरीर की वह कोशिकाएं भी काम करना शुरु कर देती हैं जो निष्क्रिय पड़ी हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो यह मंत्र हर प्रकार की नकारात्मकता को आपसे दूर कर देता है। 

महामृत्युंजय मंत्र 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

महामृत्युंजय मंत्र का सरल अनुवाद 

इस मंत्र का अर्थ है कि हम देवों के देव भगवान शिव की अराधना करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं और जो प्रत्येक स्वास में जीवन की शक्ति का संचार करने वाले हैं और पूरे जगत का पालन पोषण करते हैं वो हमें मोक्ष प्रदान करें।

महामृत्युंजय मंत्र का संकल्प 

विशेष कार्य के लिए यदि किसी मंत्र को कर रहे हैं तो संकल्प लेना अति आवश्यक हो जाता है। ऐसा न करने पर आपको मंत्र के वैसे फल नहीं मिलते जैसे आप चाहते हैं। महामृत्युंजय मंत्र को भी यदि आप विशेष चेष्ठा से कर रहे हैं तो संकल्प अवश्य लें। मंत्र जाप की शुरुआत आप किसी भी सोमवार से कर सकते हैं। इसके बाद प्रतिदिन एक ही समय पर आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए। 

भय और रोगों से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र

यदि आप भय से मुक्ति पाना चाहते हैं तो प्रतिदिन 1100 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। किसी असाध्य रोग से पीड़ीत हैं तो प्रतिदिन 11000 बार इस मंत्र का जाप करें। आप इस मंत्र का जाप करते हैं इसके बारे में किसी और को नाही बताएं तो शुभ फल अवश्य मिलेंगे।  

कुंडली के दोष और ग्रहों पर इस मंत्र का असर 

इस मंत्र के जाप से आप चंद्र दोष से भी बच सकते हैं। चंद्र देव को भगवान शिव का भक्त कहा जाता है इसलिए यदि आप शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र का लगातार जाप करते हैं तो चंद्र दोष दूर हो जाता है। इसके साथ ही शनि ग्रह के बुरे प्रभाव भी इस मंत्र के जाप से दूर होते हैं।

शनि और चंद्र यदि किसी कुंडली में शुभ हों तो कई व्यक्ति के जीवन में कई सुख होते हैं। लेकिन इनकी दुर्बल स्थिति कई परेशानियां दे सकती है। इसलिए चंद्र और शनि को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना अतिशुभ माना जाता है। 

यह बी पढ़ें- चंद्र दोष हो सकता है आपकी कई परेशानियों का कारण, जानें इसे दूर करने के उपाय

 4,956 

Posted On - May 23, 2020 | Posted By - Naveen Khantwal | Read By -

 4,956 

क्या आप एक दूसरे के लिए अनुकूल हैं ?

अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें

आपकी राशि
साथी की राशि

अधिक व्यक्तिगत विस्तृत भविष्यवाणियों के लिए कॉल या चैट पर ज्योतिषी से जुड़ें।

Our Astrologers

21,000+ Best Astrologers from India for Online Consultation