वर्तमान समय में भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना संकट के दौरान देश की स्वास्थ्य जरुरतों का बखूबी ख्याल रखा है। उनकी काबीलियत को देखते हुए अब उन्हें डब्लूएचओ (WHO) के एग्जीक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन बनाया जा रहा है। इस बोर्ड में 34 सदस्य होंगे, बता दें कि हर्षवर्धन 22 मई को पदभार संभालेंगे। इस पद के लिए मंगलवार को डॉ. हर्षवर्धन का निर्विरोध चयन हुआ। वो इस पद पर एक साल तक काबिज रहेंगे। डॉ. हर्षवर्धन को मिली इस उपलब्धि पर आज हम ज्योतिषीय दृष्टि डालेंगे।
डॉक्टर हर्षवर्धन की कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान है। स्पष्ट है कि हर्षवर्धन जी की चंद्र राशि कन्या है। इस राशि के जातकों की उत्पादकता बहुत कमाल की होती है। जो भी काम यह लोग अपने हाथ में लेते हैं उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं। ऐसे लोगों की निर्णय लेने की क्षमता भी अच्छी होती है और हर्षवर्धन जी में भी हम यह खूबियां देख सकते हैं।
द्वितीय भाव में शनि व्यक्ति को अच्छा वक्ता बनाता है और चूंकि यह अपने मित्र शुक्र की राशि में शुक्र ग्रह के साथ ही विराजमान है इसलिए उच्च सरकारी पदों पर भी व्यक्ति को पहुंचाता है। शनि का द्वितीय भाव में होना हर्षवर्धन जी को बौद्धिक रुप से भी बहुत सशक्त बनाता है। शुक्र भी इसी भाव में विराजमान है जिससे पता चलता है कि पारिवारिक मोर्चे पर भी हर्षवर्धन जी को खुशियां मिलेंगी और जनता को भी यह अपने परिवार की तरह ही देखेंगे। यहां स्थित शुक्र व्यक्ति को कई तरह की सुख-सुविधाएं प्रदान करता है, ऐसे लोग खाने-पीने के भी काफी शौकीन होते हैं।
बुध ग्रह तृतीय भाव में व्यक्ति को साहस तो देता है लेकिन चूंकि यह वृश्चिक राशि में विराजमान है इसलिए रिश्तेदारों के साथ कुछ अनबन भी दे सकता है। हालांकि बाकी ग्रहों की स्थिति इस भाव के गलत प्रभाव को कम करने वाली है। बुध तर्क क्षमता का मालिक है इसलिए इस भाव में विराजमान बुध हर्षवर्धन जी को तार्किक क्षमता भी दे रहा है।
इस भाव में स्थित सूर्य को वैसे तो बहुत अच्छा नहीं कहा जाता लेकिन हर्षवर्धन जी की कुंडली में यहां स्थित सूर्य अपनी मित्र राशि में विराजमान है। धनु राशि में विराजमान सूर्य व्यक्ति को लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। वहीं यहां बैठा राहु व्यक्ति को साहसी बनाता है।
षष्ठम भाव को रोग और शत्रुओं का भाव कहा जाता है लेकिन इस भाव में यदि क्रूर ग्रह विराजमान है तो इस भाव के अच्छे परिणाम अवश्य मिलते हैं। हर्षवर्धन जी के इस भाव में क्रूर ग्रह मंगल विराजमान है जो उनको प्रतिस्पर्धी क्षमता प्रदान कर रहा है। अष्टम दृष्टि से मंगल प्रथम भाव को भी देख रहा है जो इनके हौसलों को और भी बल देगा। मंगल को सेनानायक भी कहा जाता है और यह व्यक्ति को कभी हार मानने का जज्बा देता है। ऐसे लोग पूरी लगन से अपना काम करते हैं और काम को ही पूजा समझते हैं यह गुण हर्षवर्धन जी में भी देखे जा सकते हैं।
कर्म भाव में विराजमान केतु व्यक्ति को तार्किक बुद्धि देता है और दूसरों के प्रति विनम्र बनाता है, यह विनम्रता हर्षवर्धन जी के व्यक्तित्व में भी देखी जा सकती है। हालांकि केतु मिथुन राशि में विराजमान है इसलिए ऐसे व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए काफी मेहनत भी करनी पड़ती है। लेकिन ऐसे लोग मेहनत करने से कतराते भी नहीं है।
हर्षवर्धन जी की कुंडली में बृहस्पति ग्रह लाभ भाव में उच्च का है। बृहस्पति इनको सबल व्यक्तित्व का मालिक बनाता है और बुद्धि का सही इस्तेमाल करने का गुण भी देता है। गुरु की यह स्थिति हर्षवर्धन जी को अच्छा सलाहकार भी बनाती है।
हर्षवर्धन जी की कुंडली में देव गुरु और दैत्य गुरु दोनों ही मजबूत अवस्था में विराजमान हैं जिसके चलते इन्होंने सरकार के उच्च पदों को प्राप्त किया है।
वर्तमान समय में हर्षवर्धन जी बुध-शुक्र की दशा से गुजर रहे हैं। बुध ग्रह लग्न और दशम भाव यानि कर्म भाव का स्वामी है। बुध-शुक्र आपस में मित्र हैं। इसके साथ ही शुक्र ग्रह नवम भाव का स्वामी होने के साथ ही बुध से द्वादश भाव का स्वामी भी है। द्वादश भाव को विदेशों से संबंध का भाव भी कहा जाता है। ऐसे में स्पष्ट है कि इस दशा काल में हर्षवर्धन जी को विदेशों में ख्याति प्राप्त होनी थी और यह अब साफ देखा जा सकता है।
डॉ. हर्षवर्धन की कुंडली के विश्लेषण के बात यह बात स्पष्टता से पता चल जाती है कि इस पद पर भी वो बेहतरीन तरीके से काम करेंगे और भारत का नाम पूरे विश्व में रोशन करेंगे।
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