वास्तु शास्त्र का हमारे घर और जीवन में विशेष महत्व होता है। साथ ही किसी भी चीज को सही जगह और सही दिशा में रखने के वास्तु नियम बने हैं, जिनका पालन करके आप अपने जीवन में खुशियां ला सकते हैं। इसी के साथ जब भी किसी नए घर के निर्माण की बात आती है तो लोग वास्तु शास्त्र को महत्व देते हैं, क्योंकि वास्तु के अनुसार बना घर जातक के जीवन में सुख और समृद्धि के साथ शांति लाने का काम करता है। वैसे आपको बताते चलें कि बिल्डर वास्तु संगत बिल्डिंगों का निर्माण बिना वास्तु विशेषज्ञों की मदद के नहीं कर सकते। यही कारण है कि ज्यादातर लोग वास्तु के अनुरूप घर बनाने के लिए वास्तु विशेषज्ञों की मदद लेते हैं। अगर कोई बिल्डर द्वारा निर्मित घर लेना चाहता है, तो उसकी साज-सजाव वास्तु संगत कर घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपदा को आकर्षित कर सकते हैं।
आपको बता दें कि चार दीवार और छत से बने मकान को घर की संज्ञा नहीं दी जा सकती। एक मकान तब घर बनता है, जब उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस ऊर्जा को लाने में वास्तु शास्त्र आपकी मदद करता है। अगर आप ऐसे लोगों में शामिल हैं, जो वास्तु सिद्धांतों पर पूरा भरोसा करते हैं और नया मकान खरीदना चाहते हैं। ऐसे में आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए घर। इसकी दिशा, इसमें इस्तेमाल होने वाले रंग, कैसा हो नए घर में फर्नीचर आदि से जुड़े सभी सवालों के जवाब। इन सवालों के जवाब पाकर आप आसानी से अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत कर सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का निर्माण करने के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना चाहिए जो जातक के जीवन से नकारात्मकता को दूर करने का काम करते हैं।
घर का मुख्य प्रवेश द्वार न केवल घरवालों के लिए प्रवेश बिंदु होता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और स्पंदन के लिए भी महत्पूर्ण माना जाता है। आपको बता दें कि घर का मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम में होना चाहिए, क्योंकि इन दिशाओं को वास्तु शास्त्र में बेहद शुभ और आदर्श दिशाएं मानी जाती हैं। वहीं दूसरी ओर घर का मुख्य द्वार को दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व (पूर्व की ओर) दिशाओं में बनाने से बचना चाहिए, क्योंकि वास्तु अनुसार इन दिशाओं को शुभ नहीं माना जाता है।
जब बात घर के प्रवेश द्वार की होती है, तो उसके निर्माण को लेकर भी आपको सजग रहना चाहिए। वास्तु विशेषज्ञों की मानें तो प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए बेहतर गुणवत्ता वाली लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही मुख्य द्वार के बाहर पानी से जुड़ी कोई भी सजावटी सामान का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रवेश द्वार के बाहर जूते का रैक या कूड़ेदान नहीं रखना चाहिए। साथ ही प्रवेश द्वार के पास जानवरों की कोई मूर्ति या तस्वीर भी नहीं लगानी चाहिए। वास्तु में ऐसा किया जाना अच्छा नहीं माना जाता।
वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार पर ऐसी चीज़ें रखनी चाहिए, जिससे घर में सकारात्मकता का वास होता है।
वास्तु शास्त्र में पूजा कक्ष के स्थान का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस जगह हम भगवान से प्रार्थना करते हैं और अपनी इच्छाओं को प्रकट करते हैं। पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है क्योंकि यह दिशा घर में रहने वाले सभी सदस्यों के जीवन में सौभाग्य लाने का काम करती है।
पूजा कक्ष के लिए ध्यान देने योग्य बातें
लिविंग रूम घर का वह स्थान है, जहां बाहर से आने के बाद आप सबसे पहले इस कमरे के अंदर अपना कदम रखते हैं। घर का यह हिस्सा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही यहां हम मेहमानों का स्वागत करते हैं और पूरा परिवार के साथ यहां पर समय बिताते हैं। वहीं लोग लिविंग रूम की सजावट पर काफी ध्यान देते हैं। इन दिनों वास्तु अनुसार लिविंग रूम की सजावट पर काफी ध्यान दिया जाने लगा है। दरअसल, वास्तु के अनुसार लिविंग रूम की साज-सज्जा करने से इसका सकारात्मक असर हमारे जीवन पर पड़ता है।
बता दें कि लिविंग रूम अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए। वास्तु के अनुसार नए घर में लिविंग रूम उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित होना चाहिए। इस कमरे में फर्नीचर की दिशा पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम होनी चाहिए। ऐसा करने से घर में कोई वास्तु दोष नहीं रह जाता है।
लिविंग रूम के लिए ध्यान देने योग्य बातें-
आपका लिविंग रूम आपकी जीवनशैली, रहन-सहन के बारे में बहुत कुछ बताता है। आपके बारे में लोगों की पहली राय आपके लिविंग रूम से ही स्थापित होती है। इसलिए जरूरी है कि लिविंग रूम में आप जो भी साज-सजावट कर रहे हैं, उसमें उसके रंगों का विशेष ध्यान दें। वास्तु के अनुसार, घर के प्रत्येक कमरे के लिए विशिष्ट रंग निर्धारित होते हैं जो सकारात्मक ऊर्जा को लाने का काम करते हैं।
वास्तु के अनुसार रंग विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को आकर्षित करने का काम करते हैं। वहीं गहरे रंगों का उपयोग करने से बचें और इसके बजाय सफेद, क्रीम या हल्के रंगों का चयन करें। आप लिविंग रूम के लिए नीले, हरे या पीले जैसे रंगों पर भी विचार कर सकते हैं।
वास्तु के अनुसार बेडरूम का होना बहुत जरूरी होता है। सही दिशा में बेडरूम होने से इसका स्वास्थ्य और संंबंधों पर सकारात्मक असर पड़ता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पूर्व दिशा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है, जबकि दक्षिण-पूर्वी दिशा विवाहित दंपत्तियों के बीच झगड़े का कारण बन सकती है। इसके अलावा, अपने बेड को कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखाना चाहिए, जिसका सिर पश्चिम की ओर होना चाहिए।
बेडरूम के लिए निम्नलिखित वास्तु टिप्स
वास्तु के अनुसार रसोई का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। घर में रहने वाले लोगों को सक्रिय रहने की ऊर्जा इसी स्थान से प्राप्त होती है। ऐसे में जरूरी है कि नए घर में रसोई बनवाते समय आप सजग रहें। साथ ही वास्तु के नियम का पालन अवश्य करें ताकि घर में नकारात्मक ऊर्जाओं को अंदर आने से बाधित किया जा सके। साथ ही घर में सकारात्मकता, स्वास्थ्य और समृद्धि को आकर्षित किया जा सके। आपको बतात चलें कि वास्तु पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के पांच तत्वों के बीच पूर्ण संतुलन को स्थापित करने का काम करता है। इसलिए नए घर में किचन बनवाते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार रसोई घर को दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना बेहतर होता है। जबकि रसोई बनवाने के लिए उत्तर, उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशाओं से बचना चाहिए। साथ ही रसोई में उपकरण भी दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखे जाने चाहिए।
वॉश बेसिन, पानी के पाइप और किचन ड्रेन के लिए उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा निर्धारित है क्योंकि पानी और आग विरोधी तत्व होते हैं, इसलिए किचन में वॉशबेसिन और कुकिंग गैस रखने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ऐसा करने से दुर्घटनाओं की आशंका में भी कमी आती है। इसके साथ ही रसोई में रखे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के रखने की दिशा भी वास्तु अनुसर सुनिश्चित होती है। इसमें अवन, माइक्रोवेव, जूसर आदि शामिल हैं। इन्हें क्रमश: दक्षिण पूर्व और दक्षिण दिशा में रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार बच्चों के कमरे को नए घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में डिजाइन करना चाहिए। बच्चों को दक्षिण या पूर्व की ओर सिर करके सोना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों का सौभाग्य आकर्षित होता है और उनका मन शांत होता है।
वास्तु के अनुसार नए घर में ध्यान कक्ष होना चाहिए, जहां चैन और सुकून से आत्मनिरीक्षण कर सके और अपने आध्यात्मिक विकास के लिए उच्च शक्ति से जुड़ सके।
ध्यान कक्ष के लिए कुछ महत्पूर्ण वास्तु टिप्स
वास्तु शास्त्र के नियमों को घर के सभी कमरों पर लागू किया जाता है। इसमें सिर्फ दिशा, रंग ही शामिल नहीं होते हैं। इसमें कमरों के आकार पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर के सभी कमरे सीधी रेखा में होने चाहिए और कमरों का आकार चौकोर या आयताकार ही होना चाहिए। किसी भी कमरे का आकार गोलाकार नहीं होना चाहिए। यहां तक कि घरों में गोलाकार फर्नीचर का उपयोग भी वास्तु में वर्जित है। इसे अनुपयुक्त माना जाता है।
जिन घरों में प्राकृतिक रोशनी नहीं आती है, वे घर सही नहीं होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने नए घर के सभी कमरों में रोशनी की उचित व्यवस्था करें। इसी तरह कमरों में वेंटिलेशन की व्यवस्था भी सही होनी चाहिए। वास्तु की मानें तो जिन नए घरों के लगभग सभी कमरों में उचित वेंटिलेशन और रोशनी की व्यवस्था होती है, ऐसे घरों में उन्नति की संभावना बहुत ज्यादा होती है। साथ ही ऐसा करने से घर में ऊर्जा के प्रवाह बना रहता है जो सकारात्मकता को बढ़ाती है।
वास्तु के अनुसार रंगों का बहुत गहरा महत्व होता है। घर के लिए वास्तु उन रंगों पर विशेष जोर देता है, जिनका उपयोग घर की साज-सजावट के लिए किया जाता है। इनमें गहरे रंगों के प्रयोग का सुझाव नहीं दिया जाता। इसके बजाय सकारात्मक वाइब्स का लाभ उठाने के लिए सफेद, पीले, गुलाबी, हरे, नारंगी, या नीले जैसे रंगों का चयन करें। मौजूदा नए घर के कमरे अनुसार कौन से रंग का उपयो गकरें और किनसे बचें।
कमरा | वास्तु अनुसार उपयुक्त रंग | वास्तु अनुसार अनुपयुक्त रंग |
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मुख्य शयन कक्ष | नीला | लाल रंग के गहरे शेड्स |
मेहमानों का कमरा | सफेद | लाल रंग के गहरे शेड्स |
लिविंग रूम | सफेद य अन्य हल्के रंग | डार्क रंग |
डाइनिंग रूम | हरा, नीला और पीला | धूसर या स्लेटी रंग |
फॉल्स सीलिंग | सफेद या क्रीम | काला और धूसर |
बच्चों का कमरा | सफेद | गहरा नीला और गहरा लाल |
रसेाई | संतरी या नारंगी | गहरा स्लेटी, नीला, भूरा और काला |
बाथरूम (शौचालय और टॉयलेट) | सफेद | किसी भी रंग का गहरा शेड |
हॉल | पीला या सफेद | कोई भी गहरा रंग |
पूजा घर | पीला | लाल |
घर की बाहरी दीवार | पीले-सफेद, क्रीम | काला |
मुख्य द्वार या प्रवेश द्वार | सफेद, सिल्वर या लकड़ी का रंग | लाल और गहरा पीला |
अध्ययन कक्ष | हल्का हरा, नीला, सफेद | भूरा और स्लेटी रंग |
बालकनी | हल्का नीला, क्रीम, हल्का गुलाबी और हल्का हरा रंग | स्लेटी और काला |
जब एक बार घर पूर्णरूप से तैयार हो जाता है, तो वहां रहने से पहले जरूरी है शुभ मुहूर्त देखकर वहां पूजा करवाई जाती है। इसके लिए ज्योतिषीय द्वारा शुभ दिन और शुभ तिथि निकलवाई जाती है। साथ ही घर में निवास करने से पहले वास्तु शांति के लिए विधिवत शांति हवन कराया जाना चाहिए और शुभ मुहूर्त में ही गृह प्रवेश करना चाहिए। ऐसा करना घर और परिवार के लिए शुभ माना जाता है।
बता दें कि अगर शुभ समय में गृह प्रवेश किया जाए तो यह परिवार के लिए लाभदाय होता है जिससे नए घर में आने के बाद उनका जीवन सुखद हो जाता है। ऐसे मुहूर्त के लिए वसंत पंचमी, अक्षय तृतीया, गुड़ी पड़वा और दशहरा जैसे दिन शुभ माने गए हैं।
घर के लिए कौन सा वास्तु अच्छा है?
घर के लिए वास्तु कहता है कि घर के प्रवेश द्वार के लिए ईशान कोण सबसे उपयुक्त दिशा है। बेडरूम के लिए यह दक्षिण-पश्चिम और किचन के लिए दक्षिण-पूर्व है। पूजा कक्ष के लिए यह घर का ईशान कोण होता है।
क्या वास्तु का जीवन पर प्रभाव पड़ता है?
हां, वास्तु शास्त्र हमारे जीवन का एक प्रमुख तत्व है। यह न केवल बड़ी समस्याओं को हल करने में मदद करता है बल्कि किसी के जीवन में समृद्धि के लिए भी माना जाता है।
क्या होता है जब वास्तु गलत होता है?
जब वास्तु गलत होगा तो आपका घर सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से प्रभावित होगा जो बदले में मानसिक समस्याओं, स्वास्थ्य समस्याओं, वित्तीय समस्याओं और यहां तक कि मृत्यु का कारण बनता है।
वास्तु शास्त्र के 5 तत्व क्या हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के लिए पांच तत्व वायु, जल, पृथ्वी, अंतरिक्ष और अग्नि हैं।
क्या वास्तु का असर किराएदारों पर भी पड़ेगा?
हां, अगर कोई घर के लिए वास्तु टिप्स का पालन नहीं करता है तो यह किराएदार के साथ-साथ घर के मालिक को भी प्रभावित कर सकता है।
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