विषयसूचि
- फ्लैट खरीदने से पहले ध्यान रखने वाले वास्तु टिप्स
- घर की वास्तु दिशा इतनी मायने क्यों रखती है?
- कैसे जांचें कि संपत्ति वास्तु-अनुकूल है या नहीं?
- वास्तु के अनुसार बेडरूम के लिए बेस्ट डायरेक्शन
- फ्लैट के लिए बेडरूम के लिए वास्तु टिप्स
- वास्तु के अनुसार शौचालय/बाथरूम के लिए सर्वोत्तम दिशा
- वास्तु के अनुसार रसोई के लिए उपयुक्त दिशा
- वास्तु के अनुसार विभिन्न रसोई वस्तुओं के लिए सर्वोत्तम निर्देश
- फ्लैट के लिए किचन के वास्तु टिप्स
- ज्योतिषी के अनुसार फ्लैट के प्रवेश द्वार की रसोई नहीं होनी चाहिए।
- वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष के लिए सर्वोत्तम दिशा
- पूजा कक्ष के लिए क्या करें
- पूजा कक्ष के लिए क्या न करें
- फ्लैट के लिए पूजा कक्ष के लिए वास्तु टिप्स
- वास्तु के अनुसार उपयुक्त दिशा
- लिविंग रूम के लिए वास्तु के अनुसार उपयुक्त दिशा
- फ्लैट्स में लिविंग रूम के लिए वास्तु टिप्स
- वास्तु के अनुसार फ्लैट में बालकनी के लिए उपयुक्त दिशा
- फ्लैटों में बालकनी के लिए वास्तु टिप्स
- वास्तु के अनुसार फ्लैट में प्रवेश द्वार के लिए सर्वोत्तम दिशा
- फ्लैटों में प्रवेश द्वार के लिए वास्तु टिप्स
- मुख्य द्वार का रंग वास्तु के अनुसार
इन दिनों फ्लैट खरीदना परेशानी का कारण बन रहा है। वास्तु पूरक फ्लैट खरीदना इस समस्या को और बढ़ा देता है। इस पर समस्या यह भी कि भारतीयों को संपूर्ण तरीके से वास्तु-पूरक संपत्ति चाहिए होती है। जबकि 100% वास्तु-अनुकूल संपत्ति केवल एक मिथ है।
वास्तु शास्त्र दिशा का विज्ञान है, जिसे वास्तुकला का विज्ञान भी कहा जाता है। वास्तु शास्त्र प्रकृति के पांच तत्वों को जोड़ता है। साथ ही वास्तु मनुष्यों और पर्यावरण के बीच संतुलन रखने का प्रयास करता है। इस प्रकार, पांच तत्व (पंच भूत), मनुष्य के लिए अनुकूल स्थिति में एक वातावरण में स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और खुशी में वृद्धि का मार्ग दिखाते हैं। हालांकि, जब वास्तु शास्त्र के पांच तत्व संतुलित नहीं होते हैं, तो वे वास्तु दोष बनाते हैं। वास्तु दोष जातक के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन गुरु और ऋषि अपने जीवन को अच्छा बनाने के लिए ब्रह्मांड के पांच तत्वों का उपयोग करते हैं। सभी ग्रहों में से, पंच भूत की उपस्थिति के कारण पृथ्वी को जीवन का उपहार मिला है। स्पष्ट रूप से, ये सभी तत्व पृथ्वी पर जीवन के लिए जरूरी होते हैं और इसलिए उनका संतुलन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पृथ्वी की तरह हमारे घर या फ्लैट में भी इन पांच तत्वों की उपस्थिति का महत्व होता है। आपके घर में पांच तत्वों की उपस्थिति का मतलब है कि वे आपके कार्यों या जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक दोनों तरह से ढालने की क्षमता रखते हैं। आपके घर के वास्तु के आधार पर तत्वों के सकारात्मक या नकारात्मक प्रभावों में बदलाव आ सकता है। उदाहरण के लिए हम अपने घर में जो परिवर्तन करते हैं, वे पांच प्राकृतिक तत्वों के प्रभाव को भी संशोधित कर सकते हैं, इसलिए फ्लैट के वास्तु का जातक के जीवन पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है।
अब तक हमने जाना कि घर का वास्तु शास्त्र हमारे जीवन में ऊर्जा को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यदि आप वास्तु में विश्वास रखते हैं और वास्तु के अनुकूल फ्लैट की तलाश में हैं, तो आपको मुख्य रूप से दो बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
- आपको फ्लैटों के लिए वास्तु के प्रमुख सिद्धांतों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। जैसे कि फ्लैट का प्रवेश द्वार हमेशा उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। दक्षिण-पूर्व में रसोई आदि। इस तरह की बहुत जरूरी बातों की अनदेखी करना ठीक नहीं है।
- दूसरा, आपको यह समझना चाहिए कि 100% वास्तु-संगत फ्लैट खोजना असंभव है। लेकिन आप अपनी संपत्ति को वास्तु के अनुकूल बनाने के लिए कुछ सुझाव का पालन कर सकते हैं।
इस लेख में वास्तु-संगत फ्लैट के लिए उन चीजों के बारे में बात करेंगे जिन्हें फ्लैट खरीदते समय आपको याद रखना चाहिए। साथ ही मौजूद है कुछ जरूरी टिप्स भी ।
फ्लैट खरीदने से पहले ध्यान रखने वाले वास्तु टिप्स
फ्लैट खरीदना एक लंबी प्रक्रिया है। फ्लैट खरीदते समय सिर्फ बीएचके या बजट ही महत्व नहीं रखता बल्कि वहां का स्थान, कार्यस्थल से फ्लैट की दूरी, बुनियादी सुख-सुविधाएं जैसी कई अन्य चीजें भी विचारणीय होती हैं। फ्लैट खरीदते समय ये सभी बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखना अपने आप में एक चुनौती होती थी, जबकि वास्तु सिद्धांताें ने इसे और भी चुनौतीपरक बना दिया है। इसके बावजूद यह माना जाता है कि अच्छी और सफल जीवन के लिए वास्तुर संगत फ्लैट अच्छा विकल्प है।
वास्तु अनुकूल फ्लैट की तलाश करते समय कुछ चीजें, जैसे कि फ्लैट की दिशा, खिड़कियों की संख्या और यहां तक कि फ्लैट के आकार को भी ध्यान में रखा जाता है। एस्ट्रोटॉक के ज्योतिषी फ्लैटों के लिए कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स साझा करते हैं, जिन्हें खरीदने के उद्देश्य से फ्लैट का निरीक्षण करते समय प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए।
- वास्तु अनुसार फ्लैट का मुंह कभी भी पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार हमेशा ऐसे फ्लैट तलाशने चाहिए जिनका मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इसका आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- वास्तु अनुसार ऐसे फ्लैट नहीं खरीदने चाहिए जिसमें दक्षिण या पश्चिम दिशा में विशाल जल धारा हो। फ्लैट के उत्तर या पूर्व दिशा में नदी, झील या नहर जैसे जल निकाय होना अच्छा होता है। ध्यान रखें कि स्विमिंग पूल की गिनती इनमें नहीं होती।
- उन अपार्टमेंटों को खरीदने से बचें, जो गली के अंतिम छोर में होते हैं, फिर चाहे वह शांतिप्रिय प्रतीत हों या फिर कम कीमत में मिल रहे हों।
- इसके साथ ही, कब्रिस्तानों या टूटी-फूटी इमारतों से सटे अपार्टमेंट खरीदने से बचें। वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण या पश्चिम दिशा में बालकनी वाले फ्लैट अच्छे नहीं होते हैं। पूर्व या उत्तर दिशा में बालकनी वाले फ्लैट खरीदने पर विचार किया जा सकता है।
- जातक के लिए उत्तर-पूर्व दिशा की ओर विस्तृत फ्लैट अच्छा होता है।
- यदि फ्लैट के दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में किसी प्रकार का कट है, तो उसका निरीक्षण करने में अपना समय बर्बाद न करें।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार 'गौमुखी' आकार फ्लैट अच्छा होता है। गौमुखी आकार वह है, जिसमें प्रवेश संकीर्ण और पिछला भाग विस्तृत होता है।
- अगर आप कोई पुराना फ्लैट या घर खरीदने पर विचार कर रहे हैं, तो ऐसा घर खरीदने से बचें जिसमें कोई गंभीर दुर्घटना हुई हो। अगर फ्लैट का मालिक दीवालिया हो गया है, तो इस तरह के फ्लैट खरीदने के विचार को भी त्याग दें।
वास्तु शास्त्र विशेषज्ञों की मानें तो वास्तु में कई ऐसे मुख्य बिंदु होते हैं, जिन्हें घर खरीदने के दौरान नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
घर की वास्तु दिशा इतनी मायने क्यों रखती है?
घर खरीदना बहुत बड़ा निवेश है। और हम में से ज्यादातर लोग यह निवेश अपने जीवन में केवल एक बार ही कर पाते हैं। इसलिए, घर खरीदते समय एक-एक पैसा बहुत मायने रखता है। ज्योतिषियों के अनुसार, वास्तु-संगत घर वह होता है, जहां पंचतत्व - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश या अंतरिक्ष - संतुलित अनुपात में होते हैं। ऐसा संतुलन जातक के लिए सद्भाव को प्रज्वलित करता है। कुल मिलाकर, वास्तु शास्त्र की अवधारणा आठ प्रमुख और क्रमिक दिशाओं पर आधारित है। जब आपके घर की चीजें इस तरह से रखी जाती हैं कि वे उस दिशा या दिशा के तत्व के पूरक हों, तभी हम घर को वास्तु अनुकूल कह सकते हैं।
उदाहरण के लिए, इस चित्र में हम देख सकते हैं कि अग्नि दक्षिण दिशा का तत्व है। इसलिए, यह दक्षिण दिशा को रसोई के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। इसी प्रकार जल उत्तर और उत्तर पूर्व का तत्व है। ये दिशाएँ धन, वृद्धि और करियर के अवसर लाती हैं क्योंकि इन दोनों दिशाओं पर भगवान कुबेर और ईशा भगवान का शासन है।
दिशा |
शासन के द्वारा |
प्रतिनिधित्व |
किसके लिए सबसे अच्छा |
उत्तर |
कुबेर |
संपत्ति |
स्टडी रुप, लिविंग रूम, ड्राइंग रूम |
उत्तर पूर्व |
ईशा |
भगवान |
अध्ययन कक्ष, पूजा कक्ष |
उत्तर- पश्चिम |
वायु |
हवा |
ड्राइंग रुम, लिविंग रूम |
पश्चिम |
वरुण |
वर्षा |
भंडार कक्ष , शौचालय, सीढ़ी |
पूर्व |
इंद्र |
देवताओं का राजा |
ड्राइंग रूम, डाइनिंग रूम |
दक्षिण |
यम |
मौत |
सोने का कमरा |
दक्षिण- पूर्व |
अग्नि |
आग |
रसोईघर |
दक्षिण- पश्चिम |
निरुत्ति |
क्षय |
बेडरूम, अलमारी |
फ्लैट खरीदते समय, ऊपर दी गई तालिका के अनुसार अलग-अलग कमरों के स्थान की जांच करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक कमरा वास्तु अनुसार नियत दिशाओं में हैं।
कैसे जांचें कि संपत्ति वास्तु-अनुकूल है या नहीं?
आप ज्योतिषी की मदद से वास्तु संगत फ्लैट की तलाश कर सकते हैं या फिर आप फ्लैट देखते समय कुछ बिंदुओं को लिखकर लेकर जा सकते हैं ताकि फ्लैट देखते समय उन बिंदुओं को क्रॉस चेक कर सकें। क्रॉस चेकिंग के दौरान आप कमरे की दिशा, आकार, रंग और अन्य चीजों की जांच कर सकते हैं।
वास्तु के अनुसार बेडरूम के लिए बेस्ट डायरेक्शन
जातक की आवश्यकता और पसंद के आधार पर एक फ्लैट में एक से अधिक बेडरूम्स हो सकते हैं। हालांकि, सभी बेडरूम में मास्टर बेडरूम की वास्तु जांच सबसे महत्वपूर्ण होती है। जब बेडरूम के लिए वास्तु की बात आती है, तो कुछ वास्तु दिशा-निर्देश हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए।
- बेडरूम के लिए वास्तु के अनुसार मास्टर बेडरूम हमेशा फ्लैट या घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
- अपार्टमेंट के दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में मास्टर बेडरूम वाले फ्लैटों से बचें। बेडरूम का यह स्थान स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लाता है।
- वास्तु के अनुसार बेड की आदर्श दिशा दक्षिण-पश्चिम है, जिसका सिरहाना पश्चिम की ओर होना चाहिए।
- मास्टर बेडरूम के अलावा बच्चों का बेडरूम भी फ्लैट का एक और महत्वपूर्ण कमरा होता है। बच्चों के कमरे उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम की ओर होना चाहिए। इसके साथ ही उत्तर की दीवार पर एक खिड़की होनी चाहिए।
- अगर दो मंजिला घर खरीद रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि मास्टर बेडरूम दूसरी मंजिल पर दक्षिण-पश्चिम दिशा में हो।
- अगर आपके फ्लैट में अतिथि कक्ष है, तो वास्तु के अनुसार यह कक्ष उत्तर-पश्चिम दिशा में होना शुभ होता है।
- अगर घर में अविवाहित कन्या है तो उसकी बेहतरी के लिए उसका बेडरूम घर या फ्लैट की उत्तर-पश्चिम दिशा में हो।
- बेडरूम की छत समान स्तर पर होनी चाहिए क्योंकि यह कमरे की ऊर्जा को एक समान बनाती है।
- अगर बेडरूम में अटैच्ड बाथरूम है तो बेडरूम का दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना अनिवार्य है। ऐसे में बेडरूम का दरवाजा बंद रखा करें।
फ्लैट के लिए बेडरूम के लिए वास्तु टिप्स
- आमतौर लोग रेडी टू मूव फ्लैट खरीदते हैं यानी ऐसे फ्लैट जो पहले से तैयार होते हैं। ऐसे में उसके सभी कमरे भी पहले से ही पेंट किए होते हैं। लेकिन आप यह सुनिश्चित जरूर करें कि बेडरूम हल्के रंग से पेंट किया गया हो। गहरे रंग फ्लैट में रहने वालों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
- इसके अलावा, धातु से बने बेड के बजाय लकड़ी के बेड को ज्यादा तवज्जो दें। दरअसल, लकड़ी एक प्राकृितक वस्तु है। इसमें से सकारात्मक कंपन उत्सर्जित होता है। इस प्रकार लकड़ी के बेड पर सोने वालों के लिए यह अच्छा होता है।
- आमतौर पर लोग बॉक्स बेड का प्रयोग करते हैं। जबकि ज्योतिषियों का कहना है कि इस तरह के बेड ऊर्जा का संचार रोक देते हैं।
- वास्तु अनुसार बेडरूम में दक्षिण या पूर्व दिशा में सिर करके सोना चाहिए।
- बेडरूम वास्तु के अनुसार बेडरूम में, खासकर बिस्तर के सामने शीशा कभी नहीं रखना चाहिए।
- बेडरूम को ताजा और खुशबूदार रखने से भी सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- बेडरूम वास्तु के अनुसार अपने मास्टर बेडरूम के बेड के लिए हल्के रंग की चादरों का उपयोग करें।
- यदि शयन कक्ष में अलमारी है तो वास्तु अनुसार उसे दक्षिण या पश्चिम की दीवार के सामने खें। नकद और आभूषण हमेशा उत्तर दिशा में रखने चाहिए।
- वास्तु के अनुसार बेडरूम के लिए मनी प्लांट, बांस का पौधा, लिली का पौधा और लैवेंडर सबसे अच्छे पौधे होते हैं।
- अगर बेडरूम में बुकशेल्फ़ या ऑफिस डेस्क है तो उन्हें पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए।
सोते समय पैरों की दिशा |
लाभ |
पूर्व |
धन लाभ |
पश्चिम |
सद्भाव और आध्यात्मिकता |
उत्त |
समृद्धि और ऐश्वर्य |
वास्तु के अनुसार शौचालय/बाथरूम के लिए सर्वोत्तम दिशा
कुछ लोगों के लिए बाथरूम सबसे शांतिप्रिय स्थान है। खासकर तब यह और भी पसंदीदा हो जाता है जब बाथरूम खूबसूरती से सजाया गया हो, सुगंधित हो और वास्तु अनुरूप बना हो। ज्योतिषियों के अनुसार, जीवन में अधिकांश स्वास्थ्य समस्याएं घर के शौचालय या स्नानघर की गलत व्यवस्था के कारण होती हैं। दरअसल, यहां नकारात्मक ऊर्जा भरी हुई होती है। यहां हम आपको कुछ ऐसे वास्तु सुझाव दे रहे हैं, जिनकी मदद से आप यह जान पाएंगे कि आप जिस फ्लैट को खरीदने की योजना बना रहे हैं, उसका शौचालय या स्नानघर वास्तु संगत है या नहीं।
- ऐसे फ्लैट खरीदने से बचें जिसका बाथरूम उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में हो।
- वास्तु अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा होती है इसलिए इस दिशा में शौचालय या स्नानघर नहीं बनाना चाहिए।
- इसके अलावा, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में बाथरूम वाले फ्लैटों कसे खरीदने से बचना चाहिए। इस दिशा में शौचालय या स्नानघर होने से जातक का स्वास्थ्य और उसकी समृद्धि बाधित होती है।
- बाथरूम हमेशा फ्लैट के दक्षिण, पूर्व, पश्चिम या उत्तर-पश्चिम कोने में होना चाहिए।
- शौचालय की निकास व्यवस्था उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए।
- वास्तु अनुसार पूजा कक्ष या रसोई के ठीक साथ में शौचालय कभी नहीं होना चाहिए।
- वास्तु कहता है कि बाथरूम के फर्श की ढलान फ्लैट के उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना सबसे अच्छा माना जाता है।
फ्लैट के लिए शौचालय/बाथरूम के लिए वास्तु टिप्स
- सबसे महत्वपूर्ण वास्तु सलाह यह है कि बाथरूम में टॉयलेट सीट फर्श से लगभग 1 या 2 फीट ऊंची होनी चाहिए।
- स्नानघर का प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तरी दीवार पर होना चाहिए। दक्षिण-पश्चिम दिशा में कभी नहीं होना चाहिए।
- वास्तु अनुकूल शौचालय में कमोड इस तरह लगाया जाता है ताकि इसका उपयोग करने वाले व्यक्ति का मुख कभी भी पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर न हो।
- वास्तु के अनुसार कमोड दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में उत्तर या दक्षिण की ओर होना चाहिए।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार वॉशिंग मशीन के लिए सबसे अच्छा स्थान दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा है।
- शीशा टांगने के लिए बाथरूम की पूर्व या उत्तर की दीवार सबसे उपयुक्त होती है।
- अमूमन बिना खिड़की के बाथरूम नहीं होते हैं। वास्तु के अनुसार बाथरूम में पूर्व, पश्चिम या उत्तर की दीवार पर खिड़की होना चाहिए।
- बाथरूम में कभी भी धार्मिक या सजावटी मूर्तियों का प्रयोग न करें।
- बाथरूम के लिए हमेशा लकड़ी के दरवाजाेंdk ही प्रयोग करें। बाथरूम वास्तु शास्त्र के अनुसार धातु से बना दरवाजा नकारात्मकता बढ़ाता है।
- वॉशबेसिन और शॉवर क्षेत्र बाथरूम के पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व भाग में होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार रसोई के लिए उपयुक्त दिशा
वास्तु अनुसार फ्लैट की तलाश करते समय किचन की ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। रसोई व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण का स्रोत है। इसलिए सकारात्मक और जीवन का पूर्ण आनंद लेने के लिए इसकी अनुकूल दिशा होना आवश्यक है। साथ ही, रसोई में ऐसी कई चीजें होती हैं, जो वास्तु के विभिन्न तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उदाहरण के रूप में अग्नि, वायु, आदि। तत्वों से संबंधित सभी वस्तुओं को उस दिशा में रखा जाना चाहिए जो उनके प्रतिनिधित्व करने वाले तत्व के पूरक हों। मौजूद है फ्लैट खरीदने के लिए रसोई वास्तु से संबंधित कुछ जरूरी सलाह।
- ज्योतिषी सुझाव देते हैं कि ऐसे फ्लैट न खरीदें जिसकी रसोई उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में है।
- वास्तु के अनुसार रसोई के लिए सबसे अच्छी दिशा दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम दिशा है।
- रसोई में खाना पकाते समय महिला या जो खाना बना रहा है, उसका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- आमतौर पर फ्लैटों में किचन छोटे आकार के होते हैं। वास्तु के अनुसार यह सही नहीं है। ज्योतिषियों का सुझाव है कि रसोई कम से कम 80 वर्ग फुट की या उससे अधिक बड़ी होनी चाहिए।
- वास्तु के अनुसार रसोई का प्रवेश द्वार पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
- किचन में वेंटिलेशन की व्यवस्था उचित होनी चाहिए। यह ना सिर्फ वास्तु अनुकूल होता है बल्कि जो किचन का इस्तेमाल कर रहा है, उसके लिए भी यह जरूरी है। किचन वास्तु के अनुसार खिड़कियां किचन के पूर्व दिशा में होनी चाहिए।
- अगर अपको अपने फ्लैट में ओपन किचन चाहिए, तो इसकी उपयुक्त स्थिति दक्षिण-पूर्व है क्योंकि दक्षिण और पूर्व दोनों दिशाओं में अग्नि तत्व का प्रभुत्व है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की उत्तर दिशा में ओपन रसोई बनाने से बचें क्योंकि यह करियर के विकास में बाधा डालता है।
- पश्चिम दिशा में भी ओपन रसोई लाभ और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकती है।
वास्तु के अनुसार विभिन्न रसोई वस्तुओं के लिए सर्वोत्तम निर्देश
रसोई का सामान |
वास्तु के अनुसार सर्वोत्तम दिशा |
प्रवेश द्वार |
उत्तर, पूर्व या पश्चिम |
गैस सिलिंडर |
दक्षिण पूर्व |
रसोई गैस |
दक्षिण-पूर्व का कोना |
फ्रिज (रेफ्रिजरेटर) |
दक्षिण-पूर्व, दक्षिण, उत्तर या पश्चिम |
उपकरण (जैसे हीटर, ओवन, माइक्रोवेव) |
दक्षिण-पूर्व या दक्षिण |
स्टोरेज रैक |
पश्चिमी या दक्षिणी दीवार |
सिंक |
उत्तर-पूर्वी कोना |
पीने का पानी |
ईशान कोण |
खिड़कियां और निकास पंखा (एग्जॉस्ट फैन) |
पूर्व दिशा |
घड़ी |
दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम की दीवार |
फ्लैट के लिए किचन के वास्तु टिप्स
- ज्योतिषी के अनुसार फ्लैट के प्रवेश द्वार की रसोई नहीं होनी चाहिए।
- रसोई में कभी भी दवा नहीं रखनी चाहिए।
- इसके अलावा अपनी रसोई में पुराने कपड़े, पुराना समाचार पत्र जैसे कोई भी अपशिष्ट पदार्थ न रखें।
- जब रसोई के वास्तु की बात हो रही हो, तो यह भी सुनिश्चित करें कि लोहे या स्टील के बर्तन में नमक न रखें।
- जूते का रैक कभी भी किचन में या इसके पास न रखें।
- इसके साथ ही टूटा बर्तन, क्रैक बर्तन या सामान किचन में न रखें।
- रात को सोने से पहले किचन में मौजूद सभी जूठे बर्तन साफ कर दें। इससे आपके जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह वास्तु की दृष्टि से बहुत अच्छा होता है।
- किचन में मौजूद कूड़े दान हमेशा ढका हुआ होना चाहिए और नियमित उसकी सफाई भी करनी चाहिए।
- किचन के खिड़की वाले हिस्से में तुलसी, पुदीना या बांस के पौधे लगाएं। अपनी रसोई में कांटेदार पौधे लगाने से बचें।
- यदि संभव हो तो चावल के घड़े में देवी अन्नपूर्णा (भोजन की देवी) की एक छोटी मूर्ति रखें। अन्नपूर्णा देवी की तस्वीर या फलों की तस्वीर भी रख सकते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती है, सभी भोज्य और स्वास्थ्यवर्धक पदार्थों की प्रचुरता बनी रहती है।
- रसोई वास्तु के अनुसार, रसोई के उत्तर दिशा में फलों का कटोरा रखना चाहिए। यह सर्वोत्तम प्रथाओं में से एक है।
- यदि आपको अपनी रसोई में खिड़की चाहिए, तो इसकी दिशा हमेशा पूर्व की ओर होनी चाहिए।
- किचन में गहरे रंग की अधिक अलमारियां न बनाएं।
- वास्तु के अनुसार रसोई घर में पानी से भरा घड़ा रखने से आर्थिक तंगी दूर रहती है। यदि कोई बड़ा मिट्टी का बर्तन नहीं रख सकता है, तो इसके लिए एक छोटा बर्तन चुन सकते हैं। इसे पानी से भरकर उत्तर या ईशान कोण की ओर रख दें।
- रसोई में झाड़ू रखने से बचें क्योंकि यह जातक के विकास में बाधा डालता है।
वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष के लिए सर्वोत्तम दिशा
वास्तु शास्त्र अनुसार पूजा कक्ष, घर के सबसे महत्वपूर्ण कमरों में से एक है। यही कमरा पूरे घर में सकारात्मकता ऊर्जा का संचार करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। इसलिए पूजा कक्ष का अच्छी तरह से ध्यान रखा जाना चाहिए। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन दिनों फ्लैटों में भी अलग से पूजा कक्ष होने लगा है। हालांकि कुछ लोग स्पेस के अनुसार अपने लिविंग रूम या बैठक कक्ष में पूजा घर बनवाते हैं। लेकिन आप इनमें से किसी भी विकल्प का चयन करने से पहले वास्तु के सिद्धांतों का पालन अवश्य करें।
- वास्तु नियमों के अनुसार पूजा कक्ष हमेशा घर की उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- पूजा कक्ष के लिए अन्य अच्छी वास्तु दिशाएं घर की पूर्व और उत्तर दिशाएं हैं।
- बृहस्पति उत्तर-पूर्व का स्वामी है। इस दिशा को भगवान का निवास कहा जाता है। ऐसे में पूजा कक्ष के लिए सबसे शुभ दिशाओं में से एक यही दिशा है।
- पूजा कक्ष कभी भी घर की दक्षिण दिशा में नहीं बनवाना चाहिए।
- पूजा कक्ष में देवताओं की मूर्तियों को इस तरह रखा जाना चाहिए कि प्रार्थना करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो।
- नया फ्लैट खरीदने से पहले यह अवश्य सुनिश्चित करें कि शौचालय, पूजा कक्ष या किचन की दीवार से सटा हुआ नहीं होना चाहिए।
- पूजा कक्ष की खिड़कियां और दरवाजे हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में खुलने चाहिए।
- पूजा कक्ष भूतल पर होना चाहिए। वास्तु के अनुसार मंदिरों के लिए तहखाने, तलघर और ऊपरी मंजिलें अच्छी नहीं मानी जातीं।
पूजा कक्ष के लिए क्या करें |
पूजा कक्ष के लिए क्या न करें |
उत्तर-पूर्व सबसेअच्छी दिशा है |
पूजा कक्ष कभी भी सीढ़ी के नीचे नहीं होना चाहिए |
प्रार्थना करते समय उत्तर या पूर्व की ओर मुख करें |
पूजा कक्ष बाथरूम के सामने नहीं होना चाहिए |
पूजा कक्ष के लिए भूतल सबसे अच्छा स्थान है |
मूर्तियों को एक-दूसरे के सामने नहीं रखना चाहिए |
दरवाजे, खिड़कियां उत्तर या पूर्व में खुलनी चाहिए |
इसे बहुउद्देश्यीय कक्ष के रूप में उपयोग न करें |
तांबे के बर्तन बेहतर होते हैं |
मृतकों की तस्वीरें न रखें |
हल्के और सुखदायक रंगों का प्रयोग करें |
अपने शयनकक्ष में मंदिर रखने से बचें |
फ्लैट के लिए पूजा कक्ष के लिए वास्तु टिप्स
- पूजा कक्ष में कभी भी मृतक लोगों की तस्वीर न लगाएं।
- वास्तु के अनुसार, पूजा कक्ष में अनावश्यक वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए। ये भगवान के आशीर्वाद को रोकती हैं।
- पूजा कक्ष में कभी भी कूड़ेदान नहीं रखना चाहिए। यह घर में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर सकते हैं।
- पूजा कक्ष में मूर्तियों को एक दूसरे के सामने नहीं रखना चाहिए। साथ ही इन्हें दीवार के ज्यादा भी पास नहीं रखना चाहिए।
- वास्तु अनुसार मंदिर में दीपक और अग्निकुंड को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
- पूजा कक्ष में तांबे के बर्तनों का ही प्रयोग करें।
- यदि आपने अपना मंदिर रसोई में रखा है, तो इसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। आपको बता दें कि पूजा कक्ष में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित होता है। अगर आपके घर में ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती है, तो अपने मंदिर को पर्दे से ढक कर रखें ताकि किसीबाहरी व्यक्ति की नजर सीधे आपके मंदिर पर न पड़े।
- पूजा कक्ष में दो दरवाजे होने चाहिए और ये दरवाजे लकड़ी के बने होने चाहिए।
- वास्तु अनुसार पूजा कक्ष के लिए सफेद, हल्का नीला, पीला और जो रंग आंखों को सुकून प्रदान करते हैं, ऐसे रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
- रसोई में मंदिर तभी रखना चाहिए जब फ्लैट में पूजा कक्ष के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध न हो। आप किचन में ईशान कोण की ओर दीवार पर अपना मंदिर बनवा सकते हैं।
- वास्तु के अनुसार बेडरूम में मंदिर होना अच्छा विचार नहीं है।
- छोटे अपार्टमेंट्स में पूजा कक्ष के लिए लिविंग रूम सबसे अच्छी जगह है। हालांकि, जो लोग ध्यानमग्न होकर और पूरी श्रद्धा भाव से लंबे समय तक प्रार्थना करना पसंद करते हैं, उनके लिए लिविंग रूम में मंदिर होना सही नहीं है।
- इसके अलावा, वास्तु शास्त्र में सुझाव दिया गया है कि सकारात्मक कंपन को आकर्षित करने के लिए पूजा कक्ष में पिरामिड के आकार की कोई भी वस्तु रखी जानी चाहिए।
भगवान की मूर्ति |
वास्तु के अनुसार उपयुक्त दिशा |
गणेश जी |
उत्तर पूर्व |
भगवान राम |
पूर्व |
भगवान कृष्ण |
पश्चिम |
मां लक्ष्मी |
दक्षिण पूर्व |
भगवान शिव |
उत्तर पूर्व |
देवी काली |
दक्षिण |
देवी दुर्गा |
उत्तर पूर्व |
भगवान हनुमान |
दक्षिण पूर्व |
कुल देवी/देवता |
उत्तर पश्चिम |
वास्तु के अनुसार लिविंग रूम के लिए उपयुक्त दिशा
फ्लैट खरीदते समय लिविंग रूम की दिशा का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार फ्लैट का लिविंग रूम बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है, इसे नजरंदाज किया जाना सही नहीं है। दरअसल, लिविंग रूम सामाजिक गतिविधियों का केंद्र होता है। यहीं ज्यादातर मेहमान आते, बैठते और बातचीत करते हैं। इस तरह ये बाहरी लोगों से संपर्क बनाने का एक केंद्र है। इसके साथ ही आप यहां आने वाले लोगों से निकलने वाली विभिन्न किस्म की ऊर्जाओं के संपर्क में आते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि लिविंग रूम से हमेशा सकारात्मक वाइब्स आए। यहां हमने वास्तु के अनुसार लिविंग रूम के लिए सबसे अच्छी दिशा और उसके लिए कुछ टिप्स का उल्लेख किया है। फ्लैट खरीदने से पहले आप इन बिंदुओं पर विचार कर सकते हैं।
- ज्योतिषियों के अनुसार लिविंग रूम हमेशा घर के उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- उत्तर-पश्चिम दिशा वायु ऊर्जा से संबंधित है। ये ऊर्जाएं मन को व्यग्र बनाए रखती हैं। अत: यदि आप अपने घर में निरंतर मेहमानों का आगमन बनाए रखना चाहते हैं, तो ऐसा फ्लैट खरीदें, जिसका लिविंग रूम उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर हो।
- यदि आपके पास दक्षिणमुखी घर है तो वास्तु के अनुसार लिविंग रूम दक्षिण-पूर्व कोने में होना चाहिए।
- यदि आपके पास विकल्प है, तो ऐसा फ्लैट लें, जिसका लिविंग रूम उत्तर दिशा में हो क्योंकि वास्तु अनुसार लिविंग रूम के लिए यह सबसे अच्छी दिशा है।
- वास्तु के अनुसार लिविंग रूम के फर्श की ढलान पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए।
- दक्षिण-पश्चिम दिशा का संबंध पृथ्वी से है और यह लोगों को घर जैसा महसूस कराती है। वास्तु के अनुसार इस दिशा में लिविंग रूम होने से आपके परिचितों और दोस्तों के साथ दीर्घकालिक तथा मजबूत रिश्ते बनेंगे।
- वास्तु के अनुसार फ्लैट के लिए लिविंग रूम का प्रवेश द्वार, लिविंग रूम जितना ही महत्वपूर्ण होता है। जो लोग शिक्षण क्षेत्र से संबंध रखते हैं, उनके लिए लिविंग रूम का पश्चिम प्रवेश द्वार लाभकारी है। वृद्धि और विकास के लिए उत्तर-पश्चिम और दक्षिण प्रवेश से बचना चाहिए।
फ्लैट्स में लिविंग रूम के लिए वास्तु टिप्स
- वास्तु के अनुसार लिविंग रूम में टीवी के लिए दक्षिण-पूर्व का कोना सबसे अच्छा स्थान है।
- लिविंग रूम में सोफा जैसा भारी फर्नीचर हमेशा फ्लैट के दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखने चाहिए।
- पेंटिंग या धार्मिक चित्र उत्तर-पूर्व कोने या दीवार में टांगनी चाहिए। वास्तु अनुसार घर की सुख-शांति के लिए लिविंग रूम की दीवारों पर नकारात्मकता या हिंसा को दर्शाने वाले चित्र न लगाएं।
- लिविंग रूम में कुर्सियों या सोफे को इस तरह रखा जाना चाहिए कि परिवार का मुखिया लिविंग एरिया में उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि घर आए मेहमान, घर के मुखिया पर हावी नहीं हो पाएंगे।
- वास्तु के अनुसार सलाह दी जाती है कि लिविंग रूम के लिए हल्के रंगों का प्रयोग करें।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार झूमर लिविंग रूम के पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। जबकि एक्वेरियम उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व भाग में।
- वास्तु के अनुसार फव्वारे के लिए उत्तर दिशा सबसे अच्छी है।
- लिविंग रूम में फोन पूर्व, उत्तर या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
- यदि हॉल में मंदिर बनाने की योजना है, तो वास्तु के अनुसार सबसे अच्छी दिशा उत्तर-पूर्व होगी।
- वास्तु के अनुसार फ्लैट की उत्तर-पश्चिम, पश्चिम या पूर्व की दीवार में वातानुकूलक (एयर कंडीशनर) लगाना चाहिए। कभी भी वातानुकूलक को दक्षिण-पूर्व दिशा में न लगाएं।
- चीनी बांस के पौधे सौभाग्य लाते हैं और लिविंग रूम के लिए ये बेहद भाग्यशाली माने जाते हैं।
- इसके अलावा, ऐसा फ्लैट खरीदना चाहिए जिसमें खंभा न हो।
- फ़िरोज़ा, गुलाबी, या सोने के समृद्ध रंगों के कुशन और उपकरणों से लिविंग रूम में सकारात्मकता बढ़ती है।
- लिविंग रूम को इस तरह से डिजाइन करें जिससे कि आपके अंदर खुशी और सकारात्मकता उत्पन्न हो। इसके लिए कलाकृतियों और प्राचीन वस्तुओं का प्रयोग करें।
वास्तु के अनुसार फ्लैट में बालकनी के लिए उपयुक्त दिशा
फ्लैट्स में बालकनी एक ऐसा हिस्सा होता है, जहां अकसर लोग सुकून के पल बिताते हैं। अकसर बारिश की सौंधी-सौंधी खुशबू का आनंद लेने के लिए लोग अपने फ्लैट की बालकनी में आ खड़े होते हैं। वास्तु में भी बलकनी को महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि बालकनी घर की ऊर्जा को संतुलित करने में महति भूमिका निभाती है। यहां तक कि बालकनी सिर्फ घर में सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि वेंटिलेशन और सूरज की रोशनी की आपूर्ति को भी यह पूर्ण करता है। फ्लैट की बालकनी का निरीक्षण करते समय ध्यान रखने योग्य वास्तु दिशा-निर्देश यहां दिए गए हैं।
- बालकनी के लिए सबसे अच्छी वास्तु दिशाएं उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशाएं हैं। ये वे दिशाएं हैं, जहां सुबह से शाम तक लगातार धूप रहती है।
- दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण दिशा में बालकनी या छत वाले फ्लैट से बचें।
- जिन फ्लैटों की बालकनी दक्षिण और पश्चिम दिशा तक फैली हुई हो, उन्हें नकारात्मक माना जाता है। जबकि वास्तु के अनुसार घर की उत्तर-पूर्व दिशा में बालकनी का विस्तार सकारात्मक होता है।
- उत्तर दिशा में बालकनी भाग्य और धन में वृद्धि करती है। जबकि पूर्व दिशा की ओर बनी बालकनी जातक के बेहतर स्वास्थ्य और जीवन में विभिन्न अवसर प्रदान करती है।
- फ्लैट में पश्चिम दिशा में बालकनी होने से जातक कानूनी मसलों में उलझ जाता है जबकि दक्षिण दिशा की बालकनी अग्नि को परिलक्षित करती है, जो कि वितपत्तियों को आकर्षित करती है।
- बालकनी या छत का आकार हमेशा चौकोर या आयताकार होना चाहिए। वास्तु में किसी अन्य आकार की सलाह नहीं दी जाती है।
फ्लैटों में बालकनी के लिए वास्तु टिप्स
- ज्यादातर लोग अपनी बालकनी में फर्नीचर रखना पसंद करते हैं। अगर आप भी बालकनी में फर्नीचर रख रहे हैं, तो इसके लिए सबसे उपयुक्त दक्षिण-पश्चिम दिशा होती है। अपने फ्लैट में हमेशा लकड़ी के फर्नीचर का इस्तेमाल करें।
- वास्तु के अनुसार पानी का फव्वारा बालकनी की उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- पौधों को हमेशा बालकनी या छत के पूर्व और उत्तर की ओर रखना चाहिए। यदि आपके पास ऐसा पौधा है, जो पत्तों से ढका हुआ है यानी घना है, तो उसे दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
- बालकनियों में आसानी से बारिश का पानी आ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि अपनी बालकनी का निर्माण इस तरह करवाया जाए, ताकि उसकी ढलान उत्तर-पूर्व की ओर हो। इस तरह बारिश का पानी दक्षिण से पूर्व या पश्चिम से उत्तर की ओर प्रवाहित होगा।
- अपनी बालकनी में कभी भी कूड़ा न डालें। इसे हमेशा साफ रखने की कोशिश करें। दरअसल इस जगह ज्यादातर लोग आराम के कुछ क्षण गुजारते हैं। इसलिए इस जगह हमेशा सकारात्मकता होनी चाहिए।
- बालकनी की दीवारों पर सौम्य रंगों का प्रयोग करें।
- कई लोग बालकनी में स्विंग झूला भी रखते हैं। बालकनी में स्विंग झूला रखने के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा उपयुक्त होती है।
- वास्तु ज्योतिषी कहते हैं कि झूले में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
- घर के लिए वास्तु के अनुसार ऐसी बालकनी में नहीं बैठना चाहिए जहां अंधेरा हो या फिर धुंधली रोशनी हो। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी बालकनी में रोशनी का प्रबंधन सही रखें।
वास्तु के अनुसार फ्लैट में प्रवेश द्वार के लिए सर्वोत्तम दिशा
वास्तु ज्योतिषी बताते हैं कि घर का प्रवेश द्वार न केवल परिवार के लिए बल्कि विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं के लिए भी मार्ग है। इसलिए वास्तु विज्ञान में घर के मुख्य द्वार को अत्यधिक महत्व दिया गया है। यहां फ्लैट में प्रवेश द्वार के लिए कुछ वास्तु टिप्स दिए गए हैं जिन्हें आपको अपने लिए खरीदते समय याद रखना चाहिए।
- घर के वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार के लिए उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा सबसे अच्छी दिशा है।
- जातक को ऐसे फ्लैट लेने से बचना चाहिए, जिसका मुख्य दरवाजा दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में हो, क्योंकि इससे नकारात्मकता आती है।
- यदि आपके फ्लैट का मुख्य द्वार गलत दिशा में है जैसे दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में, तो प्रवेश द्वार को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए सीसा धातु से बना पिरामिड और सीसा हेलिक्स का उपयोग करें।
- उत्तर-पश्चिम में प्रवेश द्वार को पीतल के पिरामिड और पीतल के हेलिक्स का उपयोग करके दोष मुक्त किया जा सकता है।
- दक्षिण-पूर्व दिशा में किसी भी दरवाजे को तांबे के हेलिक्स का उपयोग दोष मुक्त किया जा सकता है।
- मुख्य द्वार हमेशा बिना किसी बाधा के 90 डिग्री पर खुलना चाहिए। दरवाजा हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में खुलना चाहिए।
- यदि फ्लैट के प्रवेश द्वार पर सीढ़ियां हैं, तो वह विषम संख्या (ऑड नंबर) में होनी चाहिए, क्योंकि विषम संख्या को सौभाग्य लाने वाला माना जाता है।
फ्लैटों में प्रवेश द्वार के लिए वास्तु टिप्स
- मुख्य दरवाजे के पास कूड़ेदान, टूटी कुर्सियों या स्टूल रखने से बचें क्योंकि ये नकारात्मकता को आकर्षित करती हैं।
- घर को बुरी नजर से बचाने के लिए मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल का प्रयोग करें।
- फ्लैटों के लिए वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार को ओम, स्वस्तिक, क्रॉस आदि प्रतीकों से सजाएं, क्योंकि ये शुभ होते हैं और सौभाग्य को आमंत्रित करते हैं।
- घर का प्रवेश द्वार लकड़ी का बना होना चाहिए। वहीं अगर प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में हो तो लकड़ी और धातु के संयोजन से बने दरवाजे का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- इसी तरह, वास्तु के अनुसार यदि मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है, तो उस पर किसी धातु का काम होना चाहिए।
- घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में सिल्वर रंग का होना चाहिए।
- वास्तु विशेषज्ञ घर के प्रवेश द्वार पर चमकीली रोशनी लगाने की सलाह देते हैं लेकिन लाल रंग की रोशनी से बचने के लिए कहते हैं।
- पानी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का काम करता है, इसलिए दरवाजे के प्रवेश द्वार पर फूलों की पंखुड़ियों वाला पानी से भरा बर्तन रखने से जातक को नकारात्मकताओं से बचाया जा सकता है।
- आप अपने घर के प्रवेश द्वार पर लक्ष्मी मां की चरण पादुका लगा सकते हैं।
- वास्तु के अनुसार दरवाजे के बाहर नेमप्लेट लगाना शुभ माना जाता है। अगर फ्लैट का दरवाजा उत्तर या पश्चिम दिशा में है तो मेटल नेमप्लेट का इस्तेमाल करें। यदि दरवाजा दक्षिण या पूर्व दिशा में है, तो लकड़ी की नेमप्लेट का उपयोग करें। नेमप्लेट को मुख्य द्वार के बाईं ओर लगाएं।
- इसके अलावा, दरवाजे की घंटी को 5 फीट या उससे अधिक ऊंचाई पर लगाएं।
- घर में भाग्य और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए प्रवेश द्वार पर देवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियों या चित्रों को रखने पर भी विचार कर सकते हैं।
मुख्य द्वार का रंग वास्तु के अनुसार
दिशा |
रंग |
दिशा |
रंग |
पश्चिम |
नीला और सफेद |
दक्षिण और दक्षिण पूर्व |
चांदी, नारंगी और गुलाबी |
दक्षिण पश्चिम |
पीला |
उत्तर |
हरा |
ईशान कोण |
क्रीम और पीला |
उत्तर पश्चिम |
सफेद और क्रीम |
- जब फ्लैट के मुख्य दरवाजे की बात आती है, तो सुनिश्चित करें कि दरवाज सहजता से खुलता-बंद होता हो। इसके सभी कब्जे अच्छी तरह काम करते हों। ऐसा ना होने पर परिवार के सदस्यों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं।
- वास्तु अनुसार मुख्य दरवाजे में कभी भी जंग लगा हुआ नहीं होना चाहिए। अगर किसी दरवाजे में जंग लगा हुआ है तो या तो उन्हें सही करवाएं या फिर बदल दें।
- जितना संभव हो, खुद ब खुद बंद होने वाले दरवाजे का उपयोग करने से बचें।
- यदि घर में एक से अधिक मंजिल हैं, तो प्रत्येक मंजिल पर दरवाजे ठीक एक-दूसरे के ऊपर-नीचे नहीं होने चाहिए।
ये कुछ वास्तु दिशा-निर्देश हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए वास्तु परक फ्लैट खरीदने में मदद मिल सकती है। इससे अधिक वास्तु संबंधित सलाह पाने के लिए आप हमारे ज्योतिषियों से बात कर सकते हैं।