अक्सर पैरेंट्स इस बात से परेशान रहते हैं कि स्टडीज में उनके बच्चे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। बच्चों की परफॉर्मेंस में सुधार के लिए पैरेंट्स उन्हें कई ट्यूशंस में डालते हैं और घर में भी उनके पीछे काफी मेहनत करते हैं। इसके बावजूद बच्चों के पढ़ाई कोई खास फर्क नजर नहीं आता है। सवाल है ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे एक बड़ी वजह है घर की सही दिशा में स्टडी रूम न होना। वास्तु की मानें तो घर के हर कमरे का अपना विशेष महत्व होता है। अगर उन्हें सही दिशा में न बनाया जाए, तो इससे उस कमरे विशेष में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है, जिसका असर घर के हर सदस्य पर पड़ता है। स्टडी रूम की बात करें तो अगर उसे सही दिशा में और वास्तु संगत न बनाया जाए, तो इससे उस रूम में पढ़ने वाला व्यक्ति (बच्चे या वयस्क) प्रभावित हो सकता है। उसका पढ़ाई में मन नहीं लगेगा, अथक प्रयास के बावजूद मन वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होंगे। इसलिए जरूरी है कि आप न सिर्फ वास्तु संगत घर बनवाएं बल्कि स्टडी रूम का निर्माण भी वास्तु अनुकूल ही करें।
वैसे भी मौजूदा समय में हर व्यक्ति का सपना जिंदगी में सफलता की सीढ़ी चढ़ना होता है। हर कोई सफल इसलिए होना चाहता है ताकि उसका भविष्य संवर सके। हमारे जीवन में इस सफलता को पाने के लिए स्टडी रूम का विशेष महत्व माना जाता है क्योकि हर व्यक्ति स्टडी रूम में ही पढाई करके अपने लक्ष्यों की ओर एक कदम आगे की ओर बढ़ाता है। इसलिए माता-पिता भी अपने बच्चों के स्टडी रूम पर विशेष ध्यान रखते हैं। आपको बता दें कि जिस तरह वास्तु हमारे जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए जरूरी माना जाता है, उसी तरह हमारे घर का एक अहम हिस्सा स्टडी रूम भी वास्तु के अनुरुप ही बना होना चाहिए जिससे आपकी मेहनत रंग लाए।
वास्तु शास्त्र घर में नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है। वास्तु का काम जीवन में सकारात्मक उर्जा के प्रवाह को बढ़ाना होता है, ताकि हम जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकें। वास्तु शास्त्र के अनुसार स्टडी रूम की गलत दिशा आपकी पढ़ाई में बाधा का कारण बन सकती है। वास्तव में गलत दिशा नकारात्मक उर्जा को आकर्षित करने का काम करती है। वास्तु शास्त्र किसी भी काम करने की स्थिति में सुधार करने का काम करता है। ऐसा माना जाता है कि स्टडी रूम को उत्तर दिशा में होना चाहिए, जो कि शिक्षा का केंद्र माना जाता है। तो चलिए जानते हैं वास्तु के अनुसार कैसा होना चाहिए स्टडी रूम।
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हमें वास्तु के अनुसार घर के विभिन्न कमरों में सबसे अच्छे रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रत्येक स्थान में अलग-अलग कंपन होते हैं, जैसे स्टडी रूम, बेडरूम, पूजा कक्ष आदि। ऐसे में अलग-अलग रंग वास्तु के अनुसार अलग-अलग कमरों के लिए सबसे अच्छा काम करते हैं। यहां हम वास्तु अनुकूल स्टडी रूम के लिए इस्तेमाल होने वाले कलर्स के बारे में चर्चा करेंगे।
आपके अध्ययन कक्ष के लिए चमकीला पीला रंग बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है। इस रंग की चमक निश्चित रूप से आपके बच्चों को उनकी पढ़ाई में मदद करेगी, जिससे उनके प्रदर्शन पर सकारात्मक असर देखने को मिलेगा। इसके साथ ही आपको बच्चे के स्टडी रूम में रंगीन किताबों, एक आरामदायक स्टडी टेबल और कुर्सी रखनी चाहिए। इससे पढ़ाई की ओर ध्यान बढ़ता है। साथ एकाग्र क्षमता बेहतर होने में मदद मिलती है। टेबल के ऊपर एक घड़ी भी रखी जा सकती है।
वास्तु के अनुसार स्टडी रूम के लिए लाइट ग्रे और ऑफ व्हाइट का कॉम्बिनेशन बेस्ट हो सकता है। दीवार पर दो हल्के रंगों का संयोजन छात्रों को पढ़ाई पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
वास्तु के अनुसार बेडरूम के लिए सफेद रंग सबसे अच्छे रंगों में से एक है। आपको बता दें कि वास्तु के अनुसार सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है। शांत रंग बच्चों के मन को प्रभावित करता है। इससे बच्चों को पढ़ने में ध्यान लगाने में आसानी होती है। यहां तक कि वयस्कों के स्टडी रूम के लिए भी यह रंग बहुत अच्छा माना जाता है।
चूंकि स्टडी रूम का जातक के जीवन पर महत्पूर्ण असर पड़ता है। ऐसे में उपरोक्त रंगों के अलावा अन्य रंगों के विकल्पों को भी चुना जा सकता है। इनमें गुलाबी, हरें रंग जैसे हल्के रंग अच्छे माने जाते हैं। हरा रंग बुद्धि और पीला रंग विद्या का प्रतीक होता है। हल्के रंग भी बच्चों की मन:स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसलिए आप इन रंगों को स्टडी रूम में यूज कर सकते हैं।
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बच्चों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जरूरी है कि उनकी रचनात्मकता बेहतर हो, साथ ही उनमें बौद्धिक कौशल का भी विकास हो। इसके लिए जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चों के स्टडी रूम के लिए कुछ वास्तु टिप्स अपनाएं। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स के बारे में बता रहे हैं। अच्छी बात ये है कि इन टिप्स की मदद से आपके बच्चे के व्यवहार भी अनुकूल प्रभाव देखने को मिलेगा।
वास्तु के अनुसार हर दिशा का अपना अलग महत्व होता है। वहीं स्टडी रूम की सही दिशा पढ़ाई पर अच्छा प्रभाव डालने का काम करती है। जानिए, कुछ स्टडी रूम के लिए दिशा निर्देश जिनका ध्यान आपको रखना चाहिए।
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स्टडी रूम हमेशा घर की पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, दूसरी सबसे अच्छी दिशा उत्तर दिशा मानी जाती है। हमेशा स्टडी रूम में टेबल रखते समय यह सुनिश्चित करें कि पढ़ते समय छात्र का अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। स्टडी टेबल को दीवार से कम से कम 3-4 इंच की दूरी पर होना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से बच्चा आलस्य से दूर रहेगा।
अगर स्टडी टेबल लकड़ी की है, तो उसे रखने के लिए पूर्व दिशा या आग्नेय कोण की दिशा उचित होती है। इसके अलावा दक्षिण-पूर्व दिशा का चुनाव करना बच्चों में एकाग्रता को बढ़ाने का काम करता है। लेकिन यदि स्टडी टेबल अन्य किसी धातु जैसे लोहे की है तो उसके लिए पश्चिम दिशा या उत्तर-पश्चिम दिशा का चुनाव करना ठीक होता है। इसी के साथ बच्चे की स्टडी टेबल गोल नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह बच्चे का पढ़ाई में मन न लगने का कारण भी बन सकती है।
ऐसा माना जाता है कि पढ़ते समय लाइट की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे कि रोशनी सीधे पुस्तक पर पड़े। ऐसा होने पर छात्र की परछाई पुस्तक पर नहीं पड़ती, जिससे पढ़ते वक्त उसका ध्यान बंटता नहीं है। साथ ही किताब पर लिखे हर शब्द वह सही तरह से देख पाता। इस तरह पढ़ाई के प्रति उसमें अधिक स्पष्टता आती है।
मेज के ऊपर अनावश्यक किताबें नहीं रखनी चाहिए। वास्तु के अनुसार लैंप को मेज के दक्षिणी कोने में रखना चाहिए जो काफी शुभ होता है।
पढ़ाई करने के लिए कमरे में पुस्तकों की रैक या अलमारी की सही दिशा पूर्व या उत्तर दिशा मानी जाती है। वास्तु के अनुसार स्टडी रूम में किताबों की अलमारी को पूर्व या उत्तर दिशा में रखा जाना शुभ होता है। अगर घर में जगह की कमी के कारण आप बेडरूम में पढ़ाई करते हैं, तो पढ़ने वाली मेज, लाइब्रेरी और रैक पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम में होनी चाहिए।
आज इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बच्चे की रचनात्मकता को बाधित करने और उनके मानसिक विकास को कम करने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन तकनीकी विकास के दौर में अपने बच्चों को ऐसे गैजेट्स से पूरी तरह दूर रखना संभव नहीं है। इसलिए वीडियो गेम्स और कंप्यूटर को उत्तर दिशा में रखना चाहिए, वहीं टीवी को कमरे की दक्षिण-पूर्व दिशा में लगाना वास्तु अनुकूल होता है।
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बच्चों के स्टडी रूम में चित्रों का विशेष महत्व होता है और स्टडी रूम के लिए चित्रों का चयन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। विशेषज्ञों की मानें तो दीवार पर आप जिस तरह की तस्वीरें लगाते हैं, उसका सीधा असर बच्चे के मानसिक विकास और उसकी पढ़ाई पर पड़ता है। वैसे भी हम जो देखते हैं, उससे बहुत कुछ सीखते हैं। बच्चों के साथ भी ऐसा ही होता है। इसलिए, स्टडी रूम में ऐसी तस्वीरें लगानी चाहिए, जो मन को खुश रखती है और उन्हें प्रेरित करती हो। इससे उन्हें एक उज्जवल भविष्य बनाने में मदद मिलती है।
ऐसा माना जाता है कि वास्तु के अनुसार आकाश में उड़ते पक्षियों, उगते हुए सूरज की तस्वीरें बच्चों के लिए काफी फायदेमंद होती हैं। साथ ही प्रेरक लोगों जैसे गांधी जी, स्वामी विवेकानन्द, ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की तस्वीरें भी स्टडी रूम में लगाई जा सकती है। इससे बच्चों को बेहतर प्रदर्शन करने और अपनी जिंदगी को सही दिशा देने में प्रेरणा मिलती है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चे के स्टडी रूम में दुःख, हिंसा को दर्शाने वाली कोई भी तस्वीर न लगाएं। इससे बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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