संस्कृत में एक कहावत है 'अतिथि देवो भव:' इसका अर्थ है कि हमारे घर पर आए मेहमान भगवान के समान होते हैं, और उनका आदर-सत्कार करना हमरा धर्म है। इसलिए अतिथियों के लो जो कमरा बनाया जाए यानी गेस्ट रूम की व्यवस्था न केवल उनके आराम के लिए बल्कि वास्तु सिद्धांतों का पालन करते हुए बनाना चाहिए। साथ ही गेस्ट रूम के लिए वास्तु बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वास्तु अनुसार बनाए गए गेस्ट रूम व्यक्ति को वास्तु दोष से बचाते हैं और घर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न नहीं होने देते। वास्तुशास्त्र एक भारतीय पारंपरिक निर्माण विज्ञान माना जाता है। वास्तु व्यक्ति को घर निर्माण, कार्यालय, बाथरूम, किचन, डाइनिंग रूम, बच्चों का कमरा, गेस्ट रूम आदि के निर्माण के लिए कई सुझाव प्रदान करता है, जो लोगों के जीवन में शांति, समृद्धि, सफलता और धन ला सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि इस धरती पर हर समस्या का समाधान है और मनुष्य को किसी भी समस्या को दूर करने के लिए अवसर और प्रतिभा दी जाती है। वास्तु शास्त्र एक ऐसा उपाय है, जो हमारे दैनिक जीवन में आने वाले सभी संकटों को दूर करने के में हमारी सहायता करता है। प्राचीन काल में वास्तु का उपयोग राजाओं और शासकों द्वारा सफलता प्राप्त करने और अपने धन की रक्षा के लिए किया जाता था। अब लोकतंत्र युग में सभी जातियों और वर्गों के लोग वास्तु सिद्धांतों का उपयोग करते हैं। उसी अनुरूप अपने घर का निर्माण करवाते हैं, जो उन्हें शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करें। इसी तर्ज पर गेस्ट रूम को भी वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाया जाना बेहद जरूरी है। इससे घर आए मेहमानों के साथ मेज़बान के रिश्ते अच्छे होते हैं। साथ ही उनके जीवन में शांति और खुशहाली बनी रहती है। लेकिन अगर व्यक्ति वास्तु नियमों की अनदेखी करके अपने घर या गेस्ट रूम का निर्माण करवाता है, तो उसे वास्तु दोष के कारण उत्पन्न होने वाली परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जो उसके जीवन के लिए काफी कष्टकारी साबित हो सकती हैं।
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वास्तु शास्त्र वह कड़ी है, जो मनुष्य को प्रकृति से जोड़ती है। वास्तु में पांच तत्व बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं: अग्नि, जल, पृथ्वी, आकाश और वायु। ये सभी तत्व केवल पृथ्वी पर ही पाए जा सकते हैं। इसलिए यह एकमात्र ऐसा ग्रह है, जो जीवन और प्रकृति को सहारा देने में सक्षम है। वास्तु शास्त्र वास्तुकला और निर्माण का विज्ञान माना जाता है, जिसकी उत्पत्ति अथर्ववेद से हुई थी। इसी के साथ वास्तु शास्त्र का उपयोग भवन निर्माण, डिजाइन, लेआउट, आयाम, दिशा आदि की व्यवस्था और स्थानिक ज्यामिति का गठन करने के लिए किया जाता है, जिसे बाद में भवनों के निर्माण में लागू किया जाता है।
हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि वास्तु के अनुसार बने घर में वास्तु दोष उत्पन्न नहीं होता। लेकिन अगर व्यक्ति वास्तु नियमों की अनदेखी करके अपने घर, ऑफिस, फैक्ट्री, गोडाउन आदि का निर्माण करवाता है, तो उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दरअसल वास्तु दोष से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसके कारण व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर वास्तु नियमों के अनुसार घर बनवाया जाएं, तो व्यक्ति के घर में सकारात्मक ऊर्जा की बनी रहती होती है और हमेशा घर में खुशहाली तथा सफलता का आगमन रहता है।
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वास्तु में सभी कमरों के लिए उपयुक्त दिशा प्रदान की जाती है। साथ ही गेस्ट रूम बनाने के लिए शुभ स्थान घर की उत्तर-पश्चिम दिशा को माना जाता है। इसीलिए आपको अपने घर में गेस्ट रूम बनाने के लिए उत्तर पश्चिम दिशा का चुनाव करना चाहिए। घर के इस कोने को अस्थिर क्षेत्र माना जाता है, इसलिए इसे घर आने वाले मेहमानों के लिए सबसे अच्छा स्थान माना जाता है।
इस दिशा में गेस्ट रूम बनाने से जातक के घर में सुख और संपदा आती है। साथ ही परिवार के सभी सदस्यों के जीवन में खुशियां आती हैं। इस दिशा में गेस्ट रूम बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास रहता है। नकारात्मकता घर में प्रवेश नहीं कर पाती, इसीलिए इस दिशा को अतिथि कक्ष बनाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। लेकिन आपको घर के दक्षिण पश्चिम दिशा में गेस्ट रूम का निर्माण नहीं करवाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा घर के मालिक या परिवार के मुखिया के लिए होती है।
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दिशा | रंग |
पूर्व दिशा | लाइट ग्रे और हरा रंग |
पूर्व दिशा (छोटा गेस्ट रूम) | हल्का नीला रंग |
पूर्व दिशा (बड़ा गेस्ट रूम) | हल्का लाल, गुलाबी, नारंगी, बैगनी रंग |
दक्षिण दिशा | हल्का लाल, गुलाबी, नारंगी, बैगनी रंग |
दक्षिण दिशा (छोटा गेस्ट रूम) | हल्का भूरा और हरा रंग |
दक्षिण दिशा (बड़ा गेस्ट रूम) | हल्का पीला रंग |
पश्चिम दिशा | हल्का चांदी और सफेद रंग |
पश्चिम दिशा (छोटा गेस्ट रूम) | हल्का पीला रंग |
पश्चिम दिशा (बड़ा गेस्ट रूम) | हल्का नीला रंग |
उत्तर दिशा | हल्का नीला रंग |
उत्तर दिशा (छोटा गेस्ट रूम) | हल्का चांदी और सफेद रंग |
उत्तर दिशा (बड़ा गेस्ट रूम) | हल्का भूरा और हरा रंग |
अगर आपके घर में इतनी जगह है कि वहां गेस्ट रूम बनवाया जा सके, तो उसे वास्तु के अनुसार ही बनवाएं। इससे आपके मेहमानों को रहने के लिए आरामदायक जगह प्राप्त होती है। वास्तु के साथ ही आपको गेस्ट रूम की दीवारों के रंगों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यह रंग व्यक्ति के स्वास्थ्य और स्वभाव पर प्रभाव डालते हैं। साथ ही आप गेस्ट रूम को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए वास्तु अनुसार ग्रे रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्रे कलर गेस्ट को आरामदायक वातावरण देगा, जिससे गेस्ट को काफी अच्छा महसूस होगा।
वास्तु शास्त्र के अनुसार आपको अपने घर के गेस्ट में नीला रंग करवाना चाहिए। यह दीवारों को आकर्षक और समृद्ध रूप देता है। साथ ही घर में गेस्ट रूम के लिए उत्तर पश्चिम दिशा सबसे ज्यादा अच्छी जगह मानी जाती है। वास्तु के अनुसार अपने घर में सकारात्मकता बढ़ाने के लिए आप घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में गेस्ट रूम का निर्माण करवा सकते हैं। अगर आप इस दिशा में गेस्ट रूम बनवाते हैं, तो आपके घर में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास रहेगा, जिसे घर के सभी सदस्यों के जीवन में सफलता का आगमन होगा। आपको गेस्ट रूम उत्तर पश्चिम दिशा की तरफ से बनाना चाहिए, ताकि आपको सुख और समृद्धि प्राप्त हो।
वास्तु शास्त्र में सफेद रंग को पवित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है। आप अपने घर के गेस्ट रूम में इस रंग का उपयोग कर सकते हैं। इस रंग की मदद से व्यक्ति रिलैक्स फील करता है। आपको अपने गेस्ट रूम के दक्षिण या पश्चिम की की ओर दीवार की अलमारियां बनवानी चाहिए।
आप गेस्ट रूम में नीले तकिए और चादरों के साथ सफेद बिस्तर का उपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार आप अपने मेहमानों की थकान और तनाव दूर करने के लिए एक आकर्षक कमरा बना सकते हैं। क्योंकि सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है। और अतिथि कक्ष में सफेद रंग का इस्तेमाल करने से आपके मेहमानों को शांति का अनुभव होगा।
इसके अलावा वास्तु शास्त्र के अनुसार अतिथि कक्ष की दीवारों को सफेद रंग और कांच की खिड़कियों से सजाकर आसानी से पूरे कमरे को एक बहुत ही खास और आकर्षक लुक दिया जा सकता है। हालांकि, आप अपने मेहमानों को गेस्ट रूम में अच्छा महसूस कराने के लिए कई डिजाइन और सजावटी फर्नीचर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। साथ ही सफेद दीवारों के विपरीत पीले रंग के तकिए, सोफे आदि काफी सुंदर दिखेंगे।
अगर आप अपने अतिथि कक्ष को और भी अधिक आकर्षक और सुंदर बनाना चाहते हैं, तो आप अपने अतिथि कक्ष में ग्रे और ग्रीन कलर का मिक्सचर इस्तेमाल कर सकते हैं। यह न केवल आपके अतिथि कक्ष को सुंदर बनाएगा बल्कि आपके मेहमानों को आराम भी प्रदान करेगा।
आपको अपने गेस्ट रूम में मौजूद बेड को दक्षिण-पश्चिम हिस्से में लगाना चाहिए। याद रखें कि मेहमानों को दक्षिण की ओर सिर करके सोना चाहिए। साथ ही गेस्ट रूम में सफेद फर्नीचर और हरे रंग की दीवारों से सजाने से यह और भी आकर्षक लगता है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार गुलाबी रंग आपको खुशी का अनुभव कराता है, इसीलिए आपको अपने गेस्ट रूम में गुलाबी रंग का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। साथ ही आपको अपने अतिथि कक्ष को गुलाबी रंग की दीवारों और लकड़ी के बिस्तर से सजाना चाहिए। यह आपके गेस्ट रूम को काफी आकर्षक और सुंदर बनाएगा।
वास्तु के अनुसार अतिथि कक्ष की साज-सज्जा के संबंध में आपको यह याद रखना चाहिए कि मेहमानों के लिए अलग बाथरूम उपलब्ध कराना चाहिए। गुलाबी रंग का इस्तेमाल दीवारों पर करने से उस कमरे में रहने वाले गेस्ट को काफी खुशी का अनुभव होता है।
ईंट फिनिश वाली ग्रे वॉल का उपयोग करने से आपके गेस्ट रूम को एक अच्छा और आकर्षक लुक प्राप्त होता है। ब्रिक फिनिश डिजाइन ईंटों और लकड़ी की सहायता से बनाया जाता है जो दिखने में काफी ही ज्यादा अच्छा लगता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार इस तरह के डिजाइन के साथ आप सफेद बिस्तर, पर्दे आदि का उपयोग करके गेस्ट रूम को अतिथि के लिए आरामदायक बना सकते हैं। अगर आप अपने अतिथि कक्ष को वास्तु के अनुसार सजाना चाहते हैं, तो आपको बाथरूम का दरवाजा बिस्तर के ठीक विपरीत क्षेत्र में बनाना चाहिए। इसी के साथ आपको अतिथि रूम को सजाने के लिए वास्तु नियमों का उपयोग करना चाहिए ताकि आपका गेस्ट रूम वास्तु दोष से मुक्त रहे।
आकर्षक पैटर्न वाली दीवारें इन दिनों ट्रेंड में हैं। इससे आप अपने गेस्ट रूम को सुंदर लुक दे सकते हैं। बस इतना याद रखें कि गेस्ट रूम का निर्माण घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं करवाएं। दरअसल, यह दिशा घर के मालिक या परिवार के मुखिया के लिए होता है। गेस्ट रूम वास्तु के अनुसार आपको पलंग के ऊपर कोई बीम नहीं बनानी चाहिए। इससे वास्तु दोष उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है।
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शुभ रंग | अशुभ रंग |
---|---|
हल्का सफेद रंग | काला |
हल्का नीला रंग | गहरे रंग |
हल्का हरा रंग |
वास्तु शास्त्र में सभी चीजों को उपयुक्त दिशा में रखना बेहद जरूरी होता है। अगर किसी भी चीज को वास्तु के अनुसार नहीं रखा जाता है, तो घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। वास्तु दोष के कारण जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए आपको गेस्ट रूम में बेड को कमरे के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए। आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सोते समय व्यक्ति का सिर दक्षिण दिशा में होना चाहिए। अपने मेहमानों के ठहरने के कमरे को और अधिक आरामदायक बनाने के लिए आप उसमें डबल बेड रख सकते हैं। यह उन्हें काफी आराम महसूस होगा।
बेड की तरह फर्नीचर को भी वास्तु अनुकूल ही रखना चाहिए। अगर आप अपने गेस्ट रूम को एक अलग लुक देना चाहते हैं, तो आप गेस्ट रूम को अलग-अलग रंगों के कलेक्शन से सजा सकते हैं। इसके लिए छोटा सा दीवान और अलग-अलग तरह के फर्नीचर जैसे अलमारी का यूज कर सकते हैं। आप चाहें तो फर्श पर रंगीन गद्दे कमरे को ओर भी आकर्षित बना सकते हैं। साथ ही आप कमरे की दक्षिणी या पश्चिमी दीवार पर अलमारियां लगा सकते है।
अपने घर के गेस्ट रूम के लिए परफेक्ट और कॉम्पैक्ट डिजाइन और डेकोर का इस्तेमाल करना अच्छा माना जाता है। इसके लिए आप सोफा-कम-बेड खरीद सकते हैं। यह एक साथ दो कामों में उपयोग होता है। इस तरह के फर्नीचर को आप अपने लिविंग रूम में भी उपयोग कर सकते हैं, ताकि वह दिन में लिविंग रूम और रात के समय गेस्ट रूम का काम करे। खैर, गेस्ट रूम में भी इस तरह के फर्नीचर का उपयोग करना फायदेमंद माना जाता है।
आजकल शायद ही घर का कोई ऐसा कमरा हो, जहां इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का यूज नहीं किया जाता है। घर के लगभग हर कमरे में कोई न कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम जैसे टेलीविजन, कंप्यूटर, फ्रिज या हेयर ड्रेसिंग आदि होता है। इन्हें कमरे के किसी भी जगह रखा जाना सही नहीं होता है। इसी तरह गेस्ट रूम में भी जब आप इसे रखते हैं, तो आपको इनकी उपयुक्त दिशा का पता होना चाहिए। इन्हें गलत जगह रखने से घर आए मेहमान को मानसिक तनाव और कई तरह की बीमारियां का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु शास्त्र अनुसार इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को कमरे की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। आप गेस्ट रूम में टेबल रख सकते हैं। छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को टेबल पर रख सकते हैं।
आजकल जगह की कमी के कारण ज्यादातर घरों में अटैच्ड बाथरूम मौजूद होते हैं। आमतौर पर गेस्ट रूम के लिए अलग से बाथरूम नहीं बनवाया जाता है। मास्टर बेडरूम के साथ एक अटैच्ड बाथरूम होता है और एक हॉल या लिविंग रूम में सबके लिए एक कॉमन बाथरूम होता है। इससे अलग अगर आपके घर के गेस्ट रूम में अटैच्ड बाथरूम है, तो वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम के दरवाजा बेड से दूर होना चाहिए। बाथरूम का दरवाजा सीधे बिस्तर के सामने कभी नहीं होना चाहिए। यह वास्तु दोष का कारण बन सकता है, इसलिए बाथरूम का दरवाजा बिल्कुल विपरीत या बिस्तर के सामने होना बहुत ही अशोभनीय और अस्वच्छ माना जाता है। इसके अलावा, बाथरूम चाहे किसी भी रूम का क्यों न हो, बेडरूम या गेस्ट रूम का, दरवाजा हमेशा बंद रखना चाहिए। बाथरूम का दरवाजा खुले रहने पर कमरे में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है।
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आजकल बिना कैबिनेट या कबर्ड्स के कोई कमरा नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि इसका उपयोग चीजों को उचित स्थान पर रखने के लिए किया जाता है। कैबिनेट या कबर्ड्स, गेस्ट रूम में लगाने के लिए दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम की दीवार पर उत्तम मानी जाती है। उत्तर-पश्चिम का कोना गेस्टरूम के प्रवेश द्वार के लिए अच्छा माना जाता है और विपरीत दिशा में कैबिनेट होने से कमरा अनोखा और साफ-सुथरा लगता है।
गेस्ट रूम ही नहीं बल्कि घर के सभी रूम्स में लाइट की सही व्यवस्था होनी बेहद जरूरी है। यह व्यक्ति को कई तरह से प्रभावित करती है। घर में विशेष रूप से गेस्ट रूम में अच्छी रोशनी का उपयोग करना माहौल को जीवंत बनाए रखता है। इससे मेहमानों का कमरा रहने के लिए कमरे को आरामदायक बनाता है। इसके उलट बीम लाइट का उपयोग करना आंखों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है, क्योंकि इसे देखना मुश्किल होता है। यही कारण है की आपको इस तरह को लाइट का उपयोग करने से बचना चाहिए।
अब तक आप समझ गए होंगे कि गेस्ट रूम को वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाना बेहद जरूरी होता है क्योंकि अगर वास्तु नियमों का पालन न किया जाए, घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। अपने घरों में मेहमानों की सुविधा और आराम के लिए गेस्ट रूम या गेस्ट हाउस बनवाया जाता है। साथ ही इस कमरे में विभिन्न संस्कृति और वातावरण के लोग और विभिन्न चरित्र और दृष्टिकोण वाले लोग रहते हैं। जब आप अपने गेस्ट रूम की व्यवस्था करते हैं, तो वास्तु टिप्स अत्यंत आवश्यक हो जाती हैं। उचित वास्तु व्यवस्था वाला गेस्ट रूम किसी भी व्यक्ति के अंदर मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालता है और घर के सदस्यों के लिए भी लाभकारी साबित होता है। कमरे में सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न किया जा सकता है।
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