शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले पुरुष बहुत धार्मिक होते हैं और ईमानदारी से काम करना पसंद करते हैं। हालांकि ये पुरुष स्वभाव से बहुत जिद्दी होते हैं। अगर एक बार इस नक्षत्र के जातक कोई निर्णय ले लें, तो उसे किसी भी सूरत में बदला नहीं जा सकता। ये अपने सिद्धांतों में भी दृढ़ विश्वास रखते हैं और उनकी हर क्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि इन्हें क्या करना सही लगता है। ये बहुत भावुक भी होते हैं इसलि छोटी-छोटी बातें इन्हें परेशान कर देती है। भले ही ये बेहद बुद्धिमान हों, इनके किसी काम पर कटाक्ष करना या गैर जरूरी टिप्पणी करना इन्हें पसंद नहीं है। ऐसा किए जाने पर ये तुरंत क्रोधित हो जाते हैं और सामने वाले व्यक्ति को फटकार लगा देते हैं। अपने विनम्र स्वभाव के कारण, ये अपनी उपलब्धियों के बारे में डींग मारना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन इसी वजह से लोग उन्हें कमतर आकते हैं। हालांकि जब सही प्रतिभा दिखाने का मौका आता है, वहां इस नक्षत्र के जातक बाजी मार जाते हैं और अकसर अपनी प्रतिभा से लोगों का मन जय कर लेते हैं।
इन पुरुषों को अपने पेशे के मामले में अपनी कम उम्र में काफी संघर्ष करना पड़ेगा। 34 वर्ष की आयु से पहले, इस नक्षत्र के पुरुष अपने करियर में कई बदलावों का अनुभव करेंगे और अपनी पसंद को लेकर दुविधा में रहेंगे, लेकिन एक उम्र के बाद, ये अपने करियर में स्थिर प्रगति की उम्मीद कर सकते हैं और आगे बढ़ने में सक्षम होंगे। ज्योतिष, मनोविज्ञान, रेकी और अन्य विभिन्न उपचार कलाओं से संबंधित नौकरियां उनके लिए सबसे उपयुक्त होंगी क्योंकि ये प्रकृति में बहुत आध्यात्मिक हैं।
इस नक्षत्र के पुरुषों को रिश्तेदारों और परिवार के मामले में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि इनके रिश्तेदार अपनी समस्याओं को लेकर इन्हीं के पास आएंगे। अपने दयालु हृदय के कारण ये हर समय सबकी मदद करेंगे। अपने भाइयों के कारण इन्हें कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है। इन्हें अपने पिता से भी ज्यादा मदद नहीं मिलेगी, लेकिन ये अपनी मां के बहुत करीब होंगे, जिनके साथ इनके बहुत गहरे रिश्ते होंगे। बहुत कुशल पत्नी मिलने के बावजूद इनका वैवाहिक जीवन अस्थिर रहेगा।
इस नक्षत्र के पुरुषों का स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं रहेगा और उन्हें कई तरह के शारीरिक कष्टों जैसे सांस लेने में तकलीफ, मूत्र मार्ग में संक्रमण और मधुमेह से पीड़ित होना पड़ेगा। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण, इन्हें बार-बार संक्रमण होने का खतरा होता है।
शतभिषा नक्षत्र की महिलाएं शांत और विनम्र होती हैं क्योंकि ये बहुत आध्यात्मिक और धार्मिक होती हैं और जानबूझकर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। ये बहुत ईश्वरवादी हैं और धार्मिक रूप से अपने आध्यात्मिक अनुष्ठानों का पालन करती हैं। चूंकि ये स्वभाव से शांत होती हैं, इसलिए ये महिलाएं किसी के साथ तर्क या झगड़ा नहीं करतीं। लेकिन अगर कोई इनके साथ दुर्व्यवहार करता है या इनके साथ किसी भी तरह से गलत करने की कोशिश करता है तो ये आक्रामक तरीके से अपने लिए खड़े भी हो सकती हैं। यद्यपि ये अपने परिवार के बाहर विवादों में नहीं पड़तीं, लेकिन इन्हें कई पारिवारिक संघर्षों और झगड़ों का सामना करना पड़ता, जो इनकी मानसिक अस्थिरता का कारण बनेगा।
इस नक्षत्र की महिलाओं का दिमाग बहुत तेज होता है और इन्हें विज्ञान के क्षेत्र में तीव्र ज्ञान होता है। इन्हें नई चीजों के बारे में सीखना और जितना हो सके ज्ञान एकत्रित करना पसंद है। इनके लिए सीखने की यह उत्सुकता पेशा चुनने के काम आ सकती है। जैसा कि ये महिलाएं काफी बुद्धिमान होती हैं इसलिए ये विज्ञान अध्ययन जैसे क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। इसके अलावा ये महलिाएं जैविक विज्ञान, डॉक्टर या सर्जन के पेशे को भी वैकल्पिक रूप में चुन सकती हैं।
इस नक्षत्र की महिलाओं को बहुत प्यार करने वाला पति मिलेगा। इनके बीच आपस में बहुत अच्छी कंपैटिबिलिटी होगी। ये अपने पतियों से बहुत प्रेम करेंगी और उनके बीच बहुत प्यार भरा रिश्ता होगा। लेकिन शादी की उम्र लंबी नहीं होगी। इन महिलाओं को अपनी शादी में कई कारणों से बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा, जिसमें दूरी भी शामिल है, जहां उन्हें अपने पति से लंबे समय तक दूर रहना पड़ सकता है या ये अपने जीवन के शुरुआती चरण में ही अपने पति को खो भी सकती हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से इन महिलाओं को काफी कष्ट उठाना पड़ेगा क्योंकि इनका स्वास्थ्य अकसर अस्थिर रहेगा। इन्हें सीने में दर्द और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग के साथ-साथ मूत्र और गर्भाशय संबंधी विकारों से पीड़ित होना पड़ सकता है।
बृहस्पति का प्रभुत्व और धनु नवांश में पड़ने के कारण इस नक्षत्र के पहले चरण का ध्यान इस वर्ग के लोगों के आशावादी और उदार स्वभाव पर रहेगा जिसके कारण इन्हें दूसरों से धोखा मिल सकता है.
शतभिषा नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि का प्रभुत्व है और यह मकर नवांश में स्थित है। इनका मुख्य फोकस अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है। लेकिन इन्हें सावधान रहना चाहिए कि ये हद से आगे न बढ़ें क्योंकि इससे उन्हें तनाव हो सकता है।
शनि द्वारा शासित और कुम्भ नवांश में स्थित इस नक्षत्र के तीसरे चरण का फोकस यह है कि ये दूरदर्शी हैं और कभी-कभी बहुत आक्रामक और चिड़चिड़े हो सकते हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये बार-बार अपना आपा न खोएं और जीवन में कुछ अहम बातों पर ध्यान दें।
इस चरण का महत्व करुणा और जुनून से है। चूंकि नक्षत्र के इस चरण में बृहस्पति का प्रभुत्व है और यह मीन नवांश में स्थित है, ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से व्यसन की समस्या हो सकती है।
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