गायत्री मंत्र हिंदू संस्कृति में सबसे लोकप्रिय मंत्रों में से एक है। यह सबसे पहले वेद यानी ऋग्वेद में दर्ज किया गया था। लगभग 2500 से 3500 साल पहले यह मंत्र संस्कृत में लिखा गया था। ऐसा माना जाता है कि इसे महान ऋषि विश्वामित्र ने लिखा था। गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर हैं, जो आठ अक्षरों के त्रिक के अंदर व्यवस्थित हैं।
गायत्री मंत्र का जाप करने से न केवल जप करने वाले भक्त बल्कि श्रोता भी शुद्ध होते हैं। गायत्री मंत्र में रीढ़ की 24 कशेरुकाओं के अनुरूप 24 अक्षर होते हैं। जिस तरह रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर को सहारा और स्थिरता प्रदान करती है। इसी प्रकार गायत्री मंत्र हमारी बुद्धि में स्थिरता लाता है। गायत्री मंत्र के प्रभावों को हम अच्छी तरह समझते हैं।
गायत्री मंत्र चेतना की तीनों अवस्थाओं को प्रभावित करता है, जागृत (जागना), सुषुप्त (गहरी नींद) और स्वप्न (सपना)। यह अस्तित्व की तीन परतों आध्यात्मिक (आध्यात्मिक), आदि दैविक (अलौकिक) और अधिभूतिका (आध्यात्मिक) को प्रभावित करने के लिए भी जाना जाता है। गायत्री मंत्र को वैदिक और उत्तर-वैदिक ग्रंथों में व्यापक रूप से उद्धृत किया गया है, जैसे कि श्रौत लिटुरजी की मंत्र सूची, और शास्त्रीय हिंदू ग्रंथ जैसे भगवद गीता, हरिवंश और मनुस्मृति। मंत्र और उससे जुड़े मात्रिक (मीट्रिक) रूप बुद्ध को ज्ञात थे। हिंदू धर्म में यह मंत्र युवा पुरुषों के उपनयन संस्कार समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
गायत्री मंत्र को सामान्य रूप में गायत्री के नाम से जाना जाता है। उन्हें सावित्री और वेदमाता (वेदों की माता) के रूप में भी जाना जाता है। गायत्री को अक्सर वेदों में सौर देवता सावित्री के साथ जोड़ा जाता है। स्कंद पुराण जैसे कई ग्रंथों के अनुसार, सरस्वती या उनके रूप का दूसरा नाम गायत्री है और भगवान ब्रह्मा की पत्नी हैं। वेद माता के रूप में वह चार वेदों, ऋग्, साम, यजुर और अथर्व को जन्म देती हैं।
अन्य ग्रंथों में विशेष रूप से शैव, महागायत्री शिव की पत्नी हैं और उनके साथ उनके उच्चतम रूप सदाशिव में हैं। गौतम ऋषि को देवी गायत्री का आशीर्वाद प्राप्त था इसलिए वह अपने जीवन में आई हर बाधाओं को दूर करने में सक्षम थे, इसे गायत्री मंत्र की उत्पत्ति के पीछे की कहानी के रूप में भी जाना जाता है।
वराह पुराण और महाभारत के अनुसार, देवी गायत्री ने नवमी के दिन दानव वेत्रासुर, वृत्रा और वेत्रावती नदी का पुत्र, का वध किया था। इसलिए गायत्री मंत्र को अच्छे के रास्ते से आसुरी बाधाओं को दूर करने के लिए भी जाना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार गायत्री का विवाह ब्रह्मा से हुआ, जिससे वह सरस्वती का रूप बन गईं।
ओम्' एक शब्दांश है जिसका अर्थ है सिर्फ एक शब्दांश में समूचा ब्रह्म या ब्रह्मांड। 'भूर', 'भुव:' और 'स्वः' व्याहृति कहलाते हैं। व्याहृति वह है जो संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान देती है, उनका अर्थ क्रमशः 'अतीत', 'वर्तमान' और 'भविष्य' है।
संक्षेप में, मंत्र का अर्थ है: 'हे निरपेक्ष अस्तित्व, तीन आयामों के निर्माता, सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।'
इसका सीधा सा अर्थ है, 'हे देवी माँ, हम गहरे अंधकार में हैं। कृपया इस अंधकार को हमसे दूर करें और हमारे अंदर रोशनी का प्रकाश जलाएं।' 'तत्' का शाब्दिक अर्थ है 'वह'। यह सर्वोच्च और परम वास्तविकता की ओर इशारा करता है।
गायत्री मंत्र हमें बहुत कुछ सीखने में मदद करता है, जिसकी मदद से जीवन में सफलता मिलना सहज हो जाता है। ग्रंथों से पता चलता है कि जब कोई व्यक्ति गायत्री मंत्र का जाप ध्यान से करता है, तो उसका हृदय शुद्ध हो जाता है। यदि यह मंत्र हमारे मन-मस्तिष्क में समा जाए, तो रोजमर्रा के जीवन में भले हमारे सामने कई कठिनाईयां आती रहें, फिर भी हम खुद को शांत और स्थिर रखने में सफल हो जाएंगे। इस मंत्र की बदौलत परमात्मा हमारा मार्गदर्शन करेंगे, हमें शांति और ज्ञान देंगे।
गायत्री मंत्र जीवन को बेहतर बनाने वाली प्रार्थना है। प्राचीन ग्रंथों में लिखित है कि गायत्री मंत्र को प्रतिदिन 10 बार जपने से इस जीवन के पाप दूर हो जाते हैं, प्रतिदिन 100 बार इसका उच्चारण करने से आपके पिछले जन्म के पाप दूर हो जाते हैं, और प्रतिदिन 1000 बार इस मंत्र का जाप करने से तीन युगों (असंख्य जीवन) के पापों का नाश होता है।
यूं तो गायत्री मंत्र का जाप दिन के किसी भी समय किया जा सकता है, इसके बावजूद गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। इनका पालन अवश्य किया जाना चाहिए। परंपरागत रूप से, यह उपनयन संस्कार के दौरान एक पिता से पुत्र को पारित किया गया था। यदि यह मंत्र किसी अन्य व्यक्ति के मुख से सुन लिया जाए, तो स्वयं इसे दोहराने से बचना चाहिए।
|| ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यम
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ||
अर्थ- हे दिव्य माता, हमारे भीतर अंधकार भर गया है। कृपया इस अंधेरे को दूर कर हमारे जीवन में रोशनी भरो।
गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | ब्रह्म मुहूर्त के दौरान |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | रोजाना 10, 100, या 1000 बार |
गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस और मुख करके जाप करें | सूरज के सामने |
सरस्वती गायत्री विशेष रूप से देवी सरस्वती की पूजा करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। सामान्यत: इस मंत्र का जाप वसंत पंचमी के दिन करना शुभ माना जाता है। यह लोगों को शिक्षा, कला और अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है। इसके अलावा, ज्ञानवर्धन के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है। विद्यार्थियों के लिए यह गायत्री मंत्र बहुत सहायक होता है। यह छात्रों को शांत रखता है। साथ ही छात्रो के मन को मजबूत बनाता है ताकि वह किसी भी तरह की अड़चनों का सामना करन सकें और खुद को मजबूत बना सकें। इसके अलावा, सरस्वती गायत्री मंत्र छात्रों की क्षमताओं में विस्तार करता है।
॥ ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मुझे मां सरस्वती का ध्यान करने दो। हे ब्रह्मदेव की पत्नी, मुझे उच्च बुद्धि दो। मेरे मन को प्रकाशित करो।
सरस्वती गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 21 दिनों के लिए 64 बार |
सरस्वती गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके जाप करें | पूर्व दिशा |
भगवान गणेश नई शुरुआत और जीवन से बाधाओं को दूर करने के लिए जाने जाते हैं। विनायक देव गायत्री मंत्र के कई लाभ हैं। इसलिए, इस मंत्र का नियमित जाप करने से लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है। किए गए कार्य में सफलता भी मिलती है। गणेश चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने के लिए गणेश गायत्री मंत्र का उपयोग किया जाता है। जब आप इस गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, तो यह आपको धर्म के पथ पर चलने में मदद करता है। आपके द्वारा किए गए कार्यों में जीत हासिल करने में भी सहायक है। इसके अलावा, वैदिक ज्योतिष में इस मंत्र का जाप करने से जीवन से बाधाएं दूर हो जाती हैं।
॥ ॐ लम्बोदराय विद्महे महोदराय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
अर्थ- भगवान गणेश, जिनका उदर बड़ा है, को मैं नमन करता हूं। हे भगवान मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
॥ ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
अर्थ- मुझे एक दंत वाले भगवान का ध्यान करने दो। हे एक दंत वाले प्रभु, आप मुझे ज्ञान दो और मेरे मन को रोशन करो।
॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं महापुरुष रूपी गणेश के सामने नतमस्तक हूं। हे प्रभुत आप मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
गणेश गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह और/या शाम |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 51 दिनों के लिए, दिन में 108 बार |
गणेश गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | गणेशजी की मूर्ति के सामने |
शिव गायत्री मंत्र को सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मन की शांति प्राप्त होती है। इस मंत्र के माध्यम से जातक अपने कुकर्मों के लिए भगवान शिव से क्षमा याचना करता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से जीवन से सभी समस्याएं दूर होती हैं। इसके साथ ही ज्योतिष में इस मंत्र का जाप करने से मृत्यु का भय कम होता है। यह लोगों के जीवन में समृद्धि लाता है और लंबे समय तक बीमारियों से मुक्त रखता है। शिव का यह मंत्र आपको मजबूत और आत्मविश्वासी बनाता है। साथ ही आपको आंतरिक शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है।
॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं भगवान शिव को नमन करता हूं। हे महादेव, मुझे बुद्धि दो और भगवान रूद्र मेरे मन को रोशन करें।
शिव गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह शाम |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 9, 11, 51, 108, या 1008 बार |
शिव गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान शिव की मूर्ति |
वैदिक ज्योतिष में भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है। ब्रह्म गायत्री मंत्र उन लोगों के लिए है जो ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं और चीजों की असलियत के बारे में जानने के इच्छुक होते हैं। यदि आप नियमित रूप से इस मंत्र का पाठ करते हैं, तो इससे आपकी रचनात्मकता में वृद्धि होगी, मानसिक रूप से सक्रिय बनेंगे और उत्पादकता में वृद्धि होगी। चूंकि ब्रह्मा सभी के निर्माता हैं, ऐसे में जो लोग इस गायत्री मंत्र का प्रतिदिन पाठ करते हैं, वे वाक सिद्धि में बेहतर होते हैं। इसके अलावा इस मंत्र के जाप से रचनात्मकता बढ़ती है और प्रतिभा सुधरती है। यह मंत्र विशेषकर वकीलों, लेखकों, शिक्षकों जैसे पेशों से संबंधित लोगों के लिए है।
॥ ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारूढाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं भगवान ब्रह्मा को नमन करता हूं, जिसके चार मुख हैं। हंस पर सवार हे प्रभु मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
॥ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं वेदों के आत्मा के सामने नतमस्तक हूं। प्रभु, जिसके भीतर पूरी दुनिया समाई हैं, मैं आपके समक्ष याचना करता हूं मुझे बुद्धि दो और मेरे जीवन को प्रकाशित करो।
ब्रह्म गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सूर्योदय, दोपहर और सूर्यास्त |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 21 दिनों के लिए एक मिनट में 36 और 62 बार |
ब्रह्म गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान ब्रह्मा की मूर्ति के सामने |
महालक्ष्मी या लक्ष्मी गायत्री मंत्र का उच्चारण सौभाग्य, समृद्धि और सुंदरता के लिए किया जाता है। इस मंत्र का नियमित उच्चारण करने से जातक को आजीवन ऊर्जावान बना रहेगा और उसे शक्ति प्राप्त होगी। आमतौर ज्योतिषी इसे विलासिता, सफलता और समाज में मान-प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए उच्चारित करते हैं। देवी लक्ष्मी की प्रार्थना से जातक का आत्मविश्वास प्रबल होता है। मां लक्ष्मी की प्रार्थना करने के लिए विभिन्न भजन गाए जाते हैं। लेकिन इन सबमें सबसे शक्तिशाली लक्ष्मी गायत्री मंत्र है। प्रतिदिन इस मंत्र का उच्चारण करन से तन-मन स्वस्थ रहता है और कई लाभ भी मिलते हैं।
॥ ॐ महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं महादेवी के सामने नमन करता हूं। हे भगवान विष्णु की पत्नी, मुझे बुद्धि दो और मां लक्ष्मी मेरे मन को रोशन करो।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | एक दिन में 108 × 3 बार |
लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने |
दुर्गा गायत्री मंत्र, एक शक्तिशाली मंत्र है। इस मंत्र का उपयोग मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जाप उन लोगों के लिए अच्छा है जो अपने डर से मुक्त होना चाहते हैं। इस मंत्र से आत्मविश्वास बढ़ता है। दुर्गा गायत्री मंत्र बुद्धि और शांति के साथ-साथ समृद्धि और सौभाग्य भी लाता है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से जीवन की परेशानियां और मानसिक समस्याएं दूर होती हैं। यह अच्छे चरित्र और दोषों से मुक्त जीवन के लिए भी उत्तरदायी है। ऐसे में आप इस मंत्र का रोजाना जाप करें। इससे बेहतर इंसान बनने में भी मिलती है। इसके अलावा, यह आपकी जिंदगी की नकारात्मकताओं को दूर कर जीवन को खुशहाल करता है। जब लोग नियमित रूप से दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, तो आत्मविश्वास प्रबल होता है, आंतरिक विश्वास बढ़ता है और अंदर से मजबूती का अहसास होता है।
॥ ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्॥
अर्थ- कात्यायन की पुत्री को मेरा नमन। मां देवी दुर्गा मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | मंगलवार और शुक्रवार को |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 9, 11,108, या 1008 बार |
दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके जाप करें | देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने |
हनुमान गायत्री मंत्र का जाप मन से डर को दूर भगाने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का प्रतिदिन पाठ करने से मन मजबूत होता है। इस मंत्र की मदद से हम अधिक आत्मविश्वास के साथ जीवन में आई परेशानियों और बाधाओं को दूर कर सकते हैं। इसके साथ ही यह मंत्र आपको जीवन में हर परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। यह गायत्री मंत्र जीवन में बुद्धि, निष्ठा और साहस को भी आकर्षित करता है। यह व्यक्ति को नकारात्मक विचारों से दूर रखता है और उन्हें सही मार्ग की ओर ले जाता है। जो जातक इस मंत्र का संपूर्ण श्रद्धाभाव से जप करते हैं, वे ज्ञाता बनते हैं और जीवन में बेहतरी के लिए उनके समक्ष कई मार्ग खुल जाते हैं। यही नहीं, इस मंत्र के सहयोग से जातक का धैर्य बढ़ता है, जीवन में ध्यान केंद्रित करने में सफल होता है और वह अनुशासन प्रिय हो जाता है।
॥ ॐ आञ्जनेयाय विद्महे महाबलाय धीमहि तन्नो हनूमान् प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं अंजना पुत्र को नमन करता हूं। बलशाली हनुमान मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को प्रकाशित करो।
हनुमान गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | मंगलवार और शनिवार |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 11, 108, या 1008 बार |
हनुमान गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके जाप करें | भगवान हनुमान की मूर्ति के सामने |
आदित्य गायत्री मंत्र या सूर्य गायत्री मंत्र, सूर्य देव को समर्पित एक शक्तिशाली ध्यान मंत्र है। यह व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव को दूर करता है। इसलिए, यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इससे आपकी कुंडली का सूर्य मजबूत बनेगा और आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा। जो लोग इस मंत्र का नियमित उच्चारण करते हैं, उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही, संपूर्ण श्रद्धा भाव से इस मंत्र का जाप करने से जीवन में एकाग्रता बढ़ती है। यह मंत्र स्वास्थ्य, समृद्धि और धन में भी वृद्धि करता है। इसके अलावा, जब आप इस गायत्री मंत्र का पाठ करते हैं, तो आपकी आंखों की रोशनी अच्छी होती है और त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
॥ ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं सूर्य देवता को नमन करता हूं। हे प्रभु, दिन के निर्माता, मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
॥ ॐ अश्वध्वजाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं उस देवता को नमन करता हूं, जिसके ध्वज में घोड़ा बना हुआ है। हे प्रभु मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
आदित्य गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | ब्रह्म मुहूर्त या सूर्य होरा |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | दिन में 108 बार |
आदित्य गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व दिशा की ओर |
चंद्र गायत्री मंत्र जातक को सुंदर बनता है और समाज में उसकी प्रतिष्ठा को बेहतर करता है। यह मंत्र लोगों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद करता है, व्यक्ति को साहसी बनाता है और उसमें आत्मविश्वास को बलवती करता है ताकि जातक किसी भी तरह की समस्या से निपटने के लिए खुद को तैयार कर सके। इस मंत्र के माध्यम से जातक जीवन में प्रगति प्राप्त कर सकता है। साथ ही परेशानी से दूर होकर तनावमुक्त जीवन जी सकता है। अत: इस मंत्र का नियमित रूप से उच्चारण करना चाहिए। यह त्वचा संबंधित बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है। इस गायत्री मंत्र के नियमित जाप से आप स्वभाव से सहनशील, भावुक बनते हैं। साथ ही आपको अपने जीवन पर गर्व होता है।
॥ ॐ क्षीर पुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि तन्नो चंद्र: प्रचोदयात्॥
अर्थ- मुझे दूध के पुत्र को नमन करता हूं। अमृत का सार, मुझे बुद्धि दो और हे प्रभु चंद्रमा मेरे मन को रोशन करो।
॥ ॐ पद्मद्वाजय विद्महे हेम रूपायै धीमहि तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्॥
अर्थ- मैं उस भगवान को नमन करता हूं, जिनके ध्वज में कमल है। सुनहरे रंग के भगवान चंद्रमा मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
चंद्र गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | शुक्ल पक्ष का सोमवार |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 18 × 108 बार |
चंद्र गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | उत्तर पश्चिम दिशा की ओर |
मंगल गायत्री मंत्र लोगों को उनकी कुंडली में नकारात्मक या बीमार मंगल से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आमतौर पर मंगल का प्रजनन क्षमता के साथ गहरा संबंध है। साथ ही यह साहस भी प्रदान करता है। अत: यदि आप आत्मविश्वासी बनना चाहते हैं, तो नियमित इस मंत्र का जाप करें। इसके अलावा, इस मंत्र की मदद से आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। इस मंत्र को न्यूनतम 4-5 वर्षों तक नियमित जाप करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता के शिखर पर पहुंचने में भी मदद मिलती है। यह मंत्र न सिर्फ जातक की इच्छाओं और सहनशक्ति में सुधार करता, बल्कि दुर्घटना होने से पहले उसे टाल देता है। इस गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से शत्रुओं पर भी विजय हासिल कर सकते हैंं।
॥ ॐ वीरध्वजाय विद्महे विघ्नहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं उस प्रभु को नमन करता हूं जिसके ध्वज में नायक बना है। मैं उस प्रभु के समक्ष नतमस्तक हूं जिसके पास सभी समस्याओं को हल करने की शक्ति है। हे भगवन मुझे बुद्धि दो, पृथ्वी के पुत्र मेरे मन को रोशन करो।
अंगारक गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | मंगलवार को सूर्योदय के समय |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | प्रतिदिन 11 माला |
अंगारक मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | मंगल यंत्र के सामने |
बातचीत के बेहतर कौशल और बुद्धि प्राप्त करने के लिए बुध गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है। ज्ञान के प्राप्त करने के इच्छुक लोगों को नियमित इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र की मदद से जीवन में संतुलन कायम होता है और रिश्तों में बेहतर सामंजस्य बैठाने में भी मदद करता है। वैदिक ज्योतिष में, यदि आप इस मंत्र का जाप करते हैं, तो आप अपने डर पर विजयी हासिल कर साहसी बन जाते हैं। साथ ही, आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण मिलता है। इस मंत्र का खासतौर पर आंखों से संबंधित बीमारियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके अला उच्च रक्तदाब और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां भी इस मंत्र के उच्चारण से ठीक होती हैं। यदि आपकी कुण्डली में बुध कमजोर या अशुभ ग्रह है तो इस मंत्र का जाप करना आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकता है।
॥ ॐ गजध्वजाय विद्महे सुखहस्ताय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं उसे नमन करता हूं, जिसके ध्वज में हाथी बना है। हे प्रभु मैं आपको नमन करता हूं, आपमें सबको सुख देने की शक्ति है, मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को प्रकाश्वान करो।
बुध गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | बुधवार को सुबह और सूर्यास्त के समय |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 11 बार |
बुध गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | बुध यंत्र के सामने |
बेहतर शिक्षा प्राप्त करने हेतु गुरु गायत्री मंत्र का उच्चारण किया जाता है। जो उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें नियमित इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र की मदद से विद्यार्थी का अध्ययन में मन लगता है और उसकी एकाग्र क्षमता बेहतर होती है। वैदिक ज्योतिष में यदि आप इस मंत्र का नियमित जाप करते हैं, तो आपकी दांपत्य जीवन बेहतर होता है और आपको अपने जीवन में संतुष्टि का अनुभव भी होता है। यही नहीं, संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। इसके अलावा यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है, तो यह मंत्र उसे बेहतर करने में मदद करता है। बृहस्पति गायत्री मंत्र के साथ भगवान बृहस्पति की स्तुति करने से धन, संतान और समाज प्रतिष्ठा भी मिलती है।
॥ ॐ वृषभध्वजाय विद्महे क्रुनिहस्ताय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं गुरु ब्रहस्पती को नमन करता हूं। वह सभी देवताओं के गुरु हैं। आप मुझे बेहतर बुद्धि दो और मेरे मन को रोशन करो।
गुरु गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 19,000 |
गुरु गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके जाप करें | गुरु यंत्र के सामने |
शुक्र गायत्री मंत्र जातक के कलात्मक क्षमताओं का विस्तार करता है। इस मंत्र की मदद से प्रजनन क्षमताएं बेहतर हेाती हैं और कई स्वास्थ्य समसयाएं जैसे गुर्दे संबंधी रोग दूर हो जाते हैं। ये आपको अपने क्षेत्र विशेष में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है और सौभाग्य भी प्रदान करता है। इसके अलावा, शुक्र गायत्री मंत्र व्यापार की प्रगति में सहायक है और यह कलत्र दोष (विवाह और वैवाहिक संबंधों में क्लेश का प्रतीक) को दूर करता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से वैवाहिक जीवन सुखद और मधुर होता है। घरेलू जीवन शांत होता है और जीवनसाथी संग अच्छे तथा गहरे रिश्ते स्थापित होते हैं। यदि आपकी जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ या कमजोर है, तो आपको इस मंत्र का नियमित उच्चारण करना चाहिए। यह मंत्र आपके लिए मददगार साबित होगा।
॥ ॐ अश्वध्वजाय विद्महे धनुर्हस्ताय धीमहि तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं शुक्र देवता को नमन करता हूं। जिसके हाथ में धनुष है, मैं उस प्रभु के सामने नतमस्त हूं। हे भगवान आप मुझे उच्च बुद्धि दो और मेने मन को प्रकाशित करो।
शुक्र गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | शुक्रवार, जब शुक्र भरणी, पूर्वाफाल्गुनी या पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हो |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 108 बार |
शुक्र गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके जाप करें | शुक्र यंत्र के सामने |
शनि या शनिवार गायत्री मंत्र भगवान शनि की स्तुति करने और व्यक्ति के जन्म कुंडली में शनि ग्रह के हानिकारक प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। यह लोगों को साढ़े साती के समय होने वाली समस्याओं से निजात पाने में मदद करता है। साथ ही लोगों के जीवन से दुखों और कष्टों को दूर करता है। यह लोगों को चिंता, तनाव और नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखता है। अत: आपको नियमित शनि गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे आप पाप मुक्त हो जाते हैं, अस्थिर मन शांत हो जाता है और परेशानी जीवन से दूर भाग जाती है। शनि महादशा के दौरान भी इस मंत्र का जाप उन लोगों के लिए बेहद शुभ रहेगा जिनकी कुंडली में शनि कमजोर या अशुभ है।
॥ ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं शनि देव को नमन करता हूं। उनके ध्वज में काक बना है और हाथ में तलवार है। हे प्रभु मुझे बुद्धि दो और मेरे मन को प्रकाशित करो।
शनिश्वर गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | प्रात: काल |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | दिन में 108 बार |
शनिश्वर गायत्री मंत्र का पाठ कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | उत्तर पूर्व या पूर्व |
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु ग्रह को प्रसन्न के लिए राहु गायत्री मंत्र का जप किया जाता है। जिन लोगों की कुंडली में काल सर्प दोष है, वे शुभ फल और आने वाले समय में बेहतरी के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके साथ ही, यदि आप नियमित रूप से इस मंत्र का पाठ करते हैं, तो आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। राहु गायत्री मंत्र की मदद से शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही यह मंत्र उन लोगों के लिए सहायक है, जिन्हें जीवन में यकायक अवसर प्राप्त होते हैं। इसके अलावा जीवन से नकारत्मक ऊर्जा को निकाल बाहर करने के लिए यह मंत्र लाभदायक है। यदि आप इस राहु गायत्री मंत्र का नियमित जाप करते हैं, तो आपको अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और धन की प्राप्ति हो सकती है। यह आपके भाग्य को उज्जवल करने में भी सहायक है।
॥ ॐ नाकध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं राहु देव को नमन करता हूं। उनके हाथ में कमल और ध्वज में सांप बना है। हे प्रभु मुझे अच्छी बुद्धि दो और मेरे जीवन से अंधकार दूर कर रोशनी भरो।
राहु गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | रात के दौरान |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 40 दिनों में 18,000 बार |
राहु गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | उत्तर दिशा |
वैदिक ज्योतिष में केतु गायत्री मंत्र उन लोगों के लिए है जिनके जीवन में केतु महादशा के कारण कठिनाईयां बढ़ गई हैं। केतु गायत्री मंत्र मानसिक स्थिति को बेहतर करने में मदद करता है। इस मंत्र की सहायता से कुंडली में केतु के सभी नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही इस केतु गायत्री मंत्र की बदौलत आपमें साहस बढ़ता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। इससे समाज में आपको प्रसिद्धि भी मिलती है। यही नहीं, इस मंत्र की मदद से आप असामयिक दुर्घटनाओं और बीमारियों से दूर रहते हैं। आपके आध्यात्मिक ज्ञान में भी अत्यधिक वृद्धि होती है। इसके अलावा केतु गायत्री मंत्र की वजह से आश्रमों और तंत्रों में भी आपकी गहरी रुचि विकसित होती है। वैदिक ज्योतिष में यह गायत्री मंत्र आपको प्रतिष्ठा और पद में हानि नहीं होने देता। आपको भौतिक धन प्राप्त करने में भी यह मंत्र मदद करता है।
॥ ॐ अश्वध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ॥
अर्थ- मैं भगवन केतु को नमन करता हूं। उनके ध्वज में घोड़ा बना है और उनके हाथ में त्रिशूल है। हे प्रभु आप मुझे उच्च बुद्धि दो और मेरे मन को प्रकाशित करो।
केतु गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सूर्योदय के समय |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 108 बार |
केतु गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | केतु यंत्र |
गायत्री मंत्र के बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारे ज्योतिषियों से बात कर सकते हैं।
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