वैदिक ज्योतिष (vedic astrology) के अनुसार गति में नौ ग्रह हैं, जिन्हें नवग्रह (navagraha) के रूप में जाना जाता है, ये जीवन को प्रभावित करते हैं। ज्योतिष चार्ट में इन ग्रहों की स्थिति और शक्ति का मनुष्यों पर सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह के प्रभाव पड़ते हैं।
नवग्रह एक संस्कृत शब्द है। "नव" का अर्थ है "नौ" और "ग्रह" का अर्थ है "लेना या पकड़ना।"
वैदिक ज्योतिष में हमारे ब्रह्मांडीय तंत्र में नौ तत्वों को ग्रह के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये विकासात्मक शक्तियां हैं, जो मनुष्यों को ब्रह्मांड के साथ सामंजस्य बैठाने में मदद करती हैं। नतीजतन, नौ ग्रहों को नवग्रह के रूप में संदर्भित किया जाता है। ग्रहों की स्थिति और गति का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है, जो हमारे मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक, आर्थिक और शारीरिक कल्याण को प्रभावित करता है।
प्रत्येक ग्रह हिंदु देवता द्वारा नियंत्रित है और यह व्यक्ति के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है। यदि किसी जातक की कुंडली में ग्रह की स्थिति अनुकूल है, तो महादशा और गोचर के दौरान जातक का समय बहुत अच्छा बीतेगा। समय उसके हित में होगा। इसके विपरीत यदि कुंडली में ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में है, तो जातक के जीवन में परेशािनयां ही परेशानियां बनी रहेंगी।
नवग्रह मंत्र (navagraha mantra) लाभकारी मंत्र हैं। ये हमारे जीवन में ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को संतुलित कर हमारे स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव छोड़ते हैं। ये व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं। आपको बताते चलें कि नवग्रह एक संस्कृत शब्द है। "नव" का अर्थ है "नौ" और "ग्रह" का अर्थ है "लेना या पकड़ना।"
वैदिक परंपराओं ने ज्योतिष चार्ट में नकारात्मक ग्रहों को खुश करने के लिए नवग्रह मंत्र दिए हैं। इनकी मदद से हम अपने जीवन में आए संकट से निपट सकते हैं। ये नवग्रह मंत्र वास्तव में बीज मंत्र हैं, जो ग्रहों के समानस्तर पर गूंजते हैं। ये मंत्र संस्कृत के पवित्र मंत्र हैं, जिनका जाप करने पर, ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जाओं को बाधित कर सकारात्मकता को बढ़ाया जा सकता है।
यदि आप इन मंत्रों का प्रतिदिन उच्चारण करते हैं तो ग्रहों का आपके जीवन के सभी तत्वों पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। कोई भी स्वास्थ्य समस्या, वित्तीय कठिनाइयाँ या किसी के विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा। व्यक्ति के जीवन में इसका परिणाम बेहद सुखद होता है। साथ ही वह अधिक मानसिक शांति और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करता है।
नवग्रह मंत्रों (navagraha mantra) में एक शक्ति है, जो विश्व शांति का निर्माण करती है। नौ ग्रहों की चाल का आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इनकी वजह से लोगों को समय-समय पर दुर्भाग्य, हानी, बीमारी और कई अन्य दुखद घटनाओं का अनुभव करना पड़ता है।
इससे पहले कि आप इन मंत्रों को दोहराना शुरू करें, कुछ बातों को जान लेना आवश्यक है।
सूर्य ज्ञान की रोशनी का विस्तार करता है और गलत सूचनाओं का नाश करता है। इस ग्रह प्रणाली में, सूर्य जीवन शक्ति का आधार है। इसके गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा सभी ग्रह अपनी कक्षाओं में मौजूद हैं। सूर्य आत्म-आश्वासन, ज्ञान, शक्ति और आत्म-पहचान की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। वह स्वर्गीय निकायों के दायरे का शासक है। वह एक ऐसे रथ पर सवार है जिसे सात घोड़े मिलकर खींचते हैं। ये सभी घोड़े सप्ताह के प्रत्येक दिन का, इंद्रधनुष के सात रंग का और जागरूकता के सात चरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके बीचों-बीच एक बिंदु है, जो कि सूर्य का प्रतीक है। बिंदु असल में सृजन यानी उत्पत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि वृत्त (सर्कल) इसकी वास्तविक उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करता है।
|| ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।|
अर्थ- मैं सूर्य देव को नमन करता हूं। हे प्रभु मुझे आशीर्वाद दो।
सूर्य मंत्र जाप का जाप करने के लिए सर्वोत्तम समय | सूर्योदय, रविवार से शुरू करके आगामी 41 दिनों तक |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 41 दिनों में 7000 बार |
सूर्य मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | सूर्य की ओर |
चंद्र को सोम नाम दिया गया है, जिसे समर्पण की रोशनी के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि चंद्र अपने शांत शीतल किरणों से जीवन का पोषण करता है। जैसा कि आप यह जानते ही हैं कि चांद सूर्य की किरणों को बिखेरता है, साथ ही यह पृथ्वी को चंद्रमा के विभिन्न चरणों की भी याद दिलाता है। ये मूल रूप से आत्मा और स्वास्थ्य की ओर इशारा करता है। पूर्णिमा के दिन चांद अपनी पूरी छंटा बिखेरता है। इसका मतलब है कि पूर्णिमा पर बुद्धि पूर्ण रूप से आत्मा का प्रकाश उत्सर्जित करती है। अमावस्या के दिन स्थिति बिल्कुल उलट होती है जब चांद तक किसी तरह की रोशनी नहीं पहुंचती। चंद्र की अवस्था उसके साथ हमारे रिश्ते को भी व्यक्त करती है। चंद्र की अवस्था का हमारी रचनात्मकता पर भी असर पडता है।
|| ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः ||
अर्थ- मैं चंद्र को प्रणाम करता हूं, जिसका दुग्ध सागर मंथन करते हुए जन्म हुआ था।
चंद्र मंत्र का जाप करने के लिए सर्वोत्तम समय | शाम, सूर्यास्त के बाद |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 41 दिनों में 11000 बार, दिन में 108 बार |
चंद्र मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान शिव की तस्वीर के सामने |
मंगल (mangal) जातक के जीवन में सौभाग्य लाता है। समर्पण और लगन इसके दो गुण हैं। यह सूर्य के बाद खगोलीय पिंडों का प्रशासनिक अधिकारी है। वह एक भगवान के सेनापति की तरह है। यह उन्हें युद्ध में मदद करता है, यात्राओं पर ले जाता है और आक्रमणकारियों से सभी की रक्षा करता है। यह अंतरिक्ष अन्वेषण और सैन्य कार्रवाई को दर्शाता है। यह व्यक्तिगत संदर्भ में रक्त प्रवाह, प्रतिरक्षा प्रणाली और अन्य मानवीय कार्यों को भी दर्शाता है। मंगल शक्ति, साहस और युद्ध करने की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है। जातक की प्रतिस्पर्धी शक्तियों पर भी इसका नियंत्रण है। यह शरीर के कामकाज का प्रभारी है। जिस व्यक्ति के भाग्य में मंगल सुखद स्थिति में है, उसको भगवान मंगल कल्याण का आशीर्वाद देते हैं। वहीं दूसरी ओर कमजोर मंगल होने पर यह व्यक्ति को भयभीत कर सकता है।
|| ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नमः ||
अर्थ- मैं मंगल को प्रणाम करता हूँ, जो बेहद शुभ है।
मंगल मंत्र का जाप करने के लिए सर्वोत्तम समय | हर सुबह विशेष रूप से मंगलवार के दिन |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 41 दिनों में 10,000 बार |
मंगल मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने |
सूर्य के सबसे निकट ग्रहाें में से एक बुध या राहु है। यह एक दूत के रूप में उनकी स्थिति की व्याख्या करता है। वह हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेते हैं। इसके साथ ही ये बेहतरीन कहानीकार होते हैं और प्रश्न करने में माहिर होते हैं। इस ग्रह को कुंडली में राजकुमार के रूप में जाना जाता है। यह हमारी संवाद की क्षमता, बुद्धि और संवेदी कार्य पर प्रभाव डालता है।
|| ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नमः: ||
अर्थ- मैं बुद्धि के स्वामी बुध को नमन करता हूं।
बुध मंत्र का जाप करने के लिए सर्वोत्तम समय | कभी भी या सुबह-सुबह |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 40 दिनों में 9000 बार |
बुध मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | भगवान गणेश की मूर्ति के सामने |
बृहस्पति को "देवताओं के देवता" कहा जाता है। इसके विशाल आकार के कारण यह विशाल आत्मा के रूप में भी जाना जाता है। यह आध्यात्मिकता, शिक्षा, नैतिक संहिता, नश्वर और अमर लोगों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देता है। बृहस्पति देवताओं के सलाहकार के रूप में कार्य करता है और उन्हें समृद्धि प्रदान करता है। यह प्रेरणा, उत्साह और आशावाद पर प्रभाव डालता है। बृहस्पति सौरमंडल का सबसे दयालु ग्रह भी है। यह जिस भी ग्रह में मौजूद होता है, वहां सकारात्मक गुणों काे विस्तार देता है। नवग्रहों में गुरु ज्ञान प्रदान करने वाले प्रशिक्षक हैं। यह सौभाग्य, धन और ज्ञान को दर्शाता है। यह भी माना जाता है कि यदि यह ग्रह कुंडली में कमजोर है, तो व्यक्ति कभी भी व्यापक ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता।
|| ॐ बृं बृहस्पतये नम: ||
अर्थ- मैं गुरु बृहस्पति को नमन करता हूं, जो कि सभी देवताओं के गुरु हैं।
बृहस्पति मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | रोज सुबह |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 41 दिनों में 19000 बार |
बृहस्पति मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके जाप करें | कोई दिशा |
शुक्र को असुरों का गुरु माना जाता है। इसके बावजूद वह प्रेम और प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह सभी सुखों के कारक हैं। यह लोगों का वैवाहिक जीवन खुशहाल और समृद्ध बनाते हैं। साथ ही जातक के जीवन धन की वर्षा भी करते हैं। यह अखंडता, सुंदर शिल्प कौशल, माधुर्य, आनंददायक सांसारिक सुखों से जुड़े हुए हैं। इसका विश्व पर गहरा प्रभाव है। यह संबंध, उत्साह को भी प्रेरित करते हैं। यह हमें अपनी इंद्रियों के बारे में अधिक जागरूक बनना सिखाते हैं।
|| ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ||
अर्थ- बीज ध्वनि से बने शुक्रदेव को मैं नमन करता हूँ
शुक्र मंत्र का जाप करने के लिए सर्वोत्तम समय | रोजाना सुबह |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 41 दिनों में 16000 बार |
शुक्र मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सामने |
शनि, कार्यप्रणाली और दायित्व के देवता हैं। यह सत्यता और अखंडता के मार्ग को दर्शाते हैं। शनि ज्योतिष का सबसे भयावह ग्रह भी है। विभिन्न पारगमन के दौरान शनि जातक में आध्यात्मिक विकास करता है। साथ ही यह जातक को मानसिक-शारीरिक रूप से आध्यात्मिक बनने में मदद करता है। जब जातक के जीवन में करियर, व्यवसाय या विवाह से संबंधित समस्याएं आती हैं, तब वे भगवान शनि को खुश करने की कोशिश करते हैं।
||ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ||
अर्थ- मैं शनि देव को नमन करता हूं। हे भगवन कृपया मेरे पक्ष में रहें और मेरी इंद्रियों को शांत रखें।
शनि मंत्र का जाप करने के लिए सर्वोत्तम समय | सूर्यास्त के बाद हर शाम |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 41 दिनों में 23000 बार |
शनि मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | किसी भी दिशा में |
राहु को चंद्रमा का उत्तरी बिंदु भी कहा जाता है। यह दिशाओं का अधिनायक है। यह खगोलीय पिंड की छाया इकाई है, जो ग्रहण उत्पन्न करती है। यह सांसारिक महत्वाकांक्षाओं और भौतिक सुखों कीअभिव्यक्त करता है। राहु व्यक्ति को अपनी शक्ति बढ़ाने में मदद कर सकता है। यहां तक कि राहु किसी के प्रतिद्वंदि को उसका दोस्त भी बनवा सकता है। यह मनुष्य को भौतिकतावाद से जोड़ता है। यह सांसारिक इच्छा, लोभ, प्रसिद्धी, बुद्धि, छल, बाध्यकारी व्यवहार आदि का प्रतीक है। यही नहीं, यह सब कुछ पर पूर्ण नियंत्रण करने की चाह को भी दर्शाता है। साथ ही राहु उचित मार्ग में अपार शक्ति भी प्रदान करता है।
|| ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः ||
अर्थ- मैं राहु भगवान को नमन करता हूं। हे भगवान मुझे आशीर्वाद दो।
राहु मंत्र का जाप करने के लिए सर्वोत्तम समय | सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 41 दिनों में 18000 बार |
राहु मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | किसी भी दिशा की ओर |
केतु चंद्रमा का 'दक्षिण बिंदु' है। यह बाधा-निर्माता है। जब परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, तो यह ग्रह आध्यात्मिक प्रवृत्ति, तप और आत्म-ज्ञान प्रदान करता है। हालाँकि, इसका एक रूप उग्र व्यक्तित्व का भी है। केतु और राहु दोनों आध्यात्मिक प्राप्ति में सहायता करते हैं। हालांकि केतु अंदरूनी तौर पर काम करता है जबकि राहु बाह्य रूप में काम करता है। ये ब्रह्मांडीय विकास के लिए सहयोग करते हैं। इसके अलावा यह एक पापी शरीर है, जो जातक के लिए कई संकट उत्पन्न करता है। केतु का मुख्य व्यक्तित्व है, चतुराई, अस्थिरता और कल्पना।
|| ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः ||
अर्थ- मैं भगवान शिव की शक्ति से संपन्न केतु को नमन करता हूं।
केतु मंत्र का जाप करने के लिए सर्वोत्तम समय | रात में, शुक्रवार से शुरू करें |
इस मंत्र का जाप कितनी बार करें | 41 दिनों में 23000 बार |
केतु मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | किसी भी दिशा की ओर |
सफलता मंत्र
देवी चंद्रघंटा मंत्र
साबर मंत्र
साईं मंत्र
काली मंत्र
बटुक भैरव मंत्र
काल भैरव मंत्र
शक्ति मंत्र
पार्वती मंत्र
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सरस्वती मंत्र
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मंगल मंत्र
चन्द्र मंत्र
बुद्ध मंत्र
बृहस्पति मंत्र
शुक्र मंत्र
शनि मंत्र
राहु मंत्र
केतु मंत्र
गर्भावस्था मंत्र
गृह शांति मंत्र
गणेश मंत्र
राशि मंत्र
कृष्ण मंत्र
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