देवी काली पृथ्वी की दिव्य रक्षक हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में कालिका के नाम से जाना जाता है। लेकिन देवी की विनाशकारी शक्ति के कारण उन्हें काली माता के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काली शब्द संस्कृत शब्द काल से आया है, जिसका अर्थ है समय। इसलिए देवी काली समय, परिवर्तन, शक्ति, सृजन, संरक्षण और विनाश का प्रतिनिधित्व करती हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि काली शब्द का अर्थ "काला" है। यह संस्कृत विशेषण काला की स्त्री संज्ञा है। आध्यात्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवी काली को दुर्गा/पार्वती का उग्र रूप और भगवान शिव की पत्नी माना जाता है। काली मां ब्रह्मांड की बुरी शक्तियों का नाश करने वाली होने के साथ-साथ, जो उनकी श्रद्धाभाव से पूजा करता है, उनके अच्छे कर्म के लिए अच्छे फल भी प्रदान करती हैं। अत: जो व्यक्ति मां काली की अत्यधिक भक्ति के साथ पूजा करते हैं, काली मां उनसे प्रसन्न होती हैं और उन पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखती हैं। साथ ही खूब आशीर्वाद भी देती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काली मां महान देवी की 10 महाविद्याओं या अभिव्यक्तियों में से पहली हैं। मां कली को आमतौर पर नृत्य करते हुए चित्रित किया जाता है या फिर वह अपने पति भगवान शिव के सीने पर एक पैर रखे खड़ी दिखाई जाती हैं। भगवान शिव अपनी पत्नी मां काली के पैर के नीचे शांत चित से लेटे नजर आते हैं। हमारे यहां काली मां की पूजा पूरे देश में की जाती है। नेपाल, श्रीलंका के साथ-साथ हमारे देश के कई हिस्सों में जैसे बंगाल, असम, कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, केरल और तमिलनाडु के कई भागों में यह पूजा की जाती है।
देवी काली ने सदियों से धर्म की रक्षा की और पाप करने वाले को नष्ट करने के लिए कई रूप धारण किए हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि मां कालिका हिंदू धर्म में सबसे अधिक जागृत हैं और उन्होंने चार रूपों में पृथ्वी पर विचरण किया है - दक्षिणा काली, श्मशान काली, मां काली और महाकाली। इन सभी रूपों ने विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति की है, रक्षा वध से लेकर पृथ्वी और उसके मूल निवासियों के रक्षा करने तक।
दारुक नाम का एक कुख्यात असुर था, जिसने अपनी तपस्या से ब्रह्मा को प्रसन्न किया था। मन चाहा वरदान प्राप्त करने के बाद वह देवताओं सहित ब्रह्मा को भी कष्ट देने लगा। इतना ही नहीं दारुक ने स्वर्ग में भी अपना राज्य स्थापित करना शुरू कर दिया। यह देख देवतागण ब्रह्मा और विष्णु के पास पहुंचे। तब देवतागणों को यह पता चला कि दारुक का वध कोई स्त्री ही कर सकती है।
यह सुनकर देवताओं ने एक योजना बनाई। वे महिला रूप धारण कर दारुक से युद्ध करने पहुंचे। लेकिन वास्तव में स्त्री न होने के कारण उनको हार का मुंह देखना पड़ा। देवगण अपने आधिपत्य को खतरे में पाकर अपनी समस्या का निवारण पाने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। देवताओं की याचना सुनने के बाद भगवान शिव ने मां पार्वती से बोले, “हे कल्याणी, मैं दुष्ट दारुक को नष्ट करने और दुनिया को बचाने के लिए आपसे निवेदन करता हूं। आप इस समस्या का समाधान निकालें।” भगवान शिव का अनुरोध सुन माता पार्वती का एक अंश भगवान शिव में प्रवेश कर गया।
भगवती माता का वह अंश भगवान शिव के शरीर में प्रवेश कर गया। विष पीने के कारण शिव का कंठ काला है। इसी कारण भगवती माता, देवी काली में परिवर्तित हो गईं। जब भगवान शिव ने खुद में मां काली को महसूस किया, तब उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोली। इसके बाद देवी काली प्रकट हुईं। वह अपने भयंकर रूप में थीं।
शिव की तरह ही मां काली की भी माथे पर एक तीसरी आंख और एक चंद्र रेखा थी, कंठ पर विष का चिन्ह था और अपने हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए थीं। मां काली के प्रचंड रूप को देखकर देवता तक घबराकर भागने लगे। मां काली की केवल गुंजन से ही दारुक सहित समस्त असुर सेना जलकर राख हो गई। फिर भी काली की उग्रता समाप्त नहीं हुई। मां काली का क्रोध बढ़ता गया और उन्होंने समूची दुनिया को जलाना शुरू कर दिया। संसार को क्रोध से बचाने के लिए शिव बालक का रूप धारण कर काली के सामने प्रकट हो गए।
जब मां काली ने उस बालक शिरूपी को देखा तो वह उस रूप पर मोहित हो गईं। उन्होंने शिव के बाल रूप को अपने गले से लगाया और उसे अपना स्तनपान कराने लगीं। जल्द ही मां काली का क्रोध शांत हो गया। शिवजी द्वारा स्तनपान करने की वजह से कुछ ही क्षण में मां काली बेहोश हो गईं। मां काली को होश में लाने के लिए शिवजी तांडव करने लगे। जब मां काली होश में आईं, तो उन्होंने शिव को तांडव करते हुए देखा। शिव के साथ-साथ वह भी तांडव करने लगीं। उनके इसी रूप की वजह से उन्हें योगिनी भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में, देवी काली को मुख्य तौर पर दो रूपों में चित्रित किया गया है और उसी रूप को पूजा जाता है। पहला चार भुजाओं वाला रूप है। दूसरा, दस भुजाओं वाला रूप है, जिसे महा काली के नाम से भी जाना जाता है। इन दोनों रूपों में अलग-अलग अर्थ निहीत हैं। आइए इस संदर्भ में हम विस्तार से जानते हैं।
भारतीय कला चार भुजाओं वाली काली को काले या नीले रंग में चित्रित करती है। काली की आंखें लाल रंग की हैं, जो क्रोध को दर्शाती हैं। उनके बाल बिखरे हुए दिखाई देते हैं, छोटे-छोटे नुकीले दांत कभी-कभी उनके मुंह से बाहर निकल आते हैं और उनकी जीभ लटकी हुई होती है। मां काली के इंसान के कटे हाथों से बनी वस्त्र धारण करती हैं और गले में खोपड़ी की एक माला पहने होती हैं। मां काली का चतुर्भुज रूप शांत था, उसके चारों हाथों में अलग-अलग वस्तुएं हैं, क्रमश: एक में तलवार, एक में त्रिशूल (त्रिदंत), एक में कटा हुआ सिर और एक में एक में खून से भरी प्याली।
जैसा कि अभी-अभी आपने पढ़ा कि मां के एक हाथ में तलवार और एक हाथ में मानव खोपड़ी है। यहां तलवार दिव्य ज्ञान का प्रतीक है और खोपड़ी मानव अहंकार का प्रतीक है, जिसे मोक्ष प्राप्त करने के लिए दिव्य ज्ञान द्वारा मारा जाना चाहिए।
मां काली के दाहिने हाथ में अभय (निडरता) और वरदान (आशीर्वाद) मुद्राएं हैं, जिसका अर्थ है कि वह हमेशा अपने भक्तों को सही मार्गदर्शन करेंगी जिससे उनके भक्त भय, अहंकार आदि से बचे रहेंगे।
मां काली अपने गले में खोपड़ी की माला धारण करती हैं, जिसकी गणना 108 या 51 में की जाती है, यही वजह है कि उन्हें ज्योतिष में सभी मंत्रों की मां के रूप में जाना जाता है।
मां काली का दस भुजाओं वाला महाकाली का रूप है। अपने महाकाली रूप में उन्हें नीले पत्थर की तरह चमकते हुए दिखाया गया है। महाकाली दस भुजाओं वाले रूप में दस मुख, दस पैर और उनके प्रत्येक मुख पर तीन आंखें हैं। उनके प्रत्येक हाथ में विभिन्न वस्तु है, जो देवताओं की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इस शक्ति को महा काली के हथियारों के रूप में दर्शाया गया है। निहितार्थ यह है कि महाकाली उन शक्तियों के लिए जिम्मेदार हैं, जो इन देवताओं के पास हैं। इसका अर्थ यह है कि महाकाली ब्रह्म के समान हैं।
कभी-कभी लोग "एक मुखी" या दस भुजाओं वाली महाकाली की एक सिर वाली मूर्ति की पूजा करते हैं, जो उसी अवधारणा को दर्शाती है।
काली के शक्ति उपकरण कुंडलिनी शक्ति (आध्यात्मिक शक्ति) है। इसमें क्रिया शक्ति मौजूद है, जो ब्रह्मांड को रचनात्मक रूप से प्रभावित करने की शक्ति है। इसके अलावा इच्छा शक्ति, जो व्यक्तिगत रूप से हमारे शारीरिक गति और कार्यों को करने के लिए बाध्य करती है। जबकि ब्रह्मांड में यह आकाशगंगाओं को एक दूसरे से ब्रह्मांडीय रात में ले जाने का कारण बनती है। विभिन्न मंत्रों के जाप से जातक को इन ऊर्जाओं को अपने लिए प्राप्त करने में मदद मिलती है।
देवी काली, काले रंग का प्रतिनिधित्व करती हैं और इसलिए अंधेरा उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है। काली मंत्र का जाप करने से पहले कुछ नियमों का आवश्यक रूप से पालन करना चाहिए। जानिए कौन से हैं वे नियम-
काली बीज मंत्र देवी काली से संबंधित है। जैसे बीज मंत्र का कोई विशिष्ट अर्थ नहीं है। लेकिन यह उन स्पंदनों का प्रतिनिधित्व करता है जो मन की आध्यात्मिक और मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने में सहायता करते हैं। काली बीज मंत्र का जाप जातक को देवी काली की ऊर्जा से जोड़ता है। ये परिवर्तनकारी ऊर्जाएं जातक को उसके आसपास और अंदरूनी बुरी ताकतों से लड़ने में मदद करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि काली बीज मंत्र को भक्तिभाव से जप करने से जातक को मनपसंद चीजें प्राप्त होती हैं। वे चीजें भौतिक भी हो सकती हैं।
|| ॐ क्रीं काली ||
अर्थ- यहां ‘क’ का अर्थ पूर्ण ज्ञान है, ‘र’ का अर्थ शुभ है और ‘बिंदु’ का अर्थ वह स्वंत्रता देती है। वह अपने भक्त को पूर्ण ज्ञान देती है और उसके जीवन को शुभ घटनाओं से भर देती है। उस सर्वोपरि देवी को मेरा नमन।
काली बीज मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सूर्यास्त पश्चात |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 40 दिनों के लिए हर रोज 108 बार |
काली बीज मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व या उत्तर दिशा की ओर |
भले ही देवी काली भयावह दिखती हैं, लेकिन वह हमेशा अपने भक्तों की प्रार्थनाएं सुनती हैं। वह अपने भक्तों से बहुत प्यार करती हैं। यदि भक्त देवी काली से प्रार्थना करते समय काली मंत्र का जाप करते हैं, तो उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। कहा जाता है कि नीचे वर्णित काली मंत्र जातक की चिंताओं को दूर करता है और भगवान के करीब लाने में मदद करता है। काली मंत्र सरल है और भक्त को जीवन में बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है। इससे जातक की चेतना शुद्ध होती है।
|| ॐ क्रीं कालिकायै नमः ||
अर्थ - काली मां के इस मंत्र का उपयोग काली माता के प्रतिनिधित्व के लिए किया जाता है। यह मंत्र काफी सरल है और इसके उच्चारण से चेतना शुद्ध होती है।
काली मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सूर्यास्त पश्चात |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 40 दिनों के लिए हर रोज 108 बार |
काली मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व या उत्तर दिशा की ओर |
महा काली का रूप डरावना है लेकिन वह अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। जो इस मंत्र का सही तरीके से और पूरे श्रद्धाभाव से उच्चारण करता है, उसमें साहस का संचार होता है। इससे भक्त को इस मंत्र के जाप की प्रेरणा भी मिलती है। महा काली महान दिव्य रूप हैं। इनके आशीर्वाद से जातक अपने आसपास की नकारात्म्क चीजों को बदलने की शक्ति प्राप्त करता है। यदि आप नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करते हैं, तो आप अपने चारों ओर सकारात्मक कंपन को महसूस करेंगे, जो आपको अपनी बेहतरी के लिए प्रेरित करेंगे।
|| ॐ श्री महा कलिकायै नमः ||
अर्थ - मैं दिव्य मां काली के समक्ष अपना सिर झुकाता हूं। देवी मां काली को मैं नमन करता हूं।
महा काली मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सूर्यास्त पश्चात |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 40 दिनों के लिए हर रोज 108 बार |
महा काली मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व या उत्तर दिशा की ओर |
हमारे जीवन में कुछ समस्याएं बहुत जटिल होती हैं। जटिल समस्याएं हमें बेहद परेशान करती हैं। ये परेशानियां हमें जीवन का आनंद लेने नहीं देतीं और न ही खुलकर जीने देती हैं। ऐसी परेशािनयों से निपटने के लिए कालिका-यी मंत्र है। यह मंत्र उन छात्रों और कामकाजी पेशेवरों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिनकी जिंदगी संघर्षों से भरी हुई है, हर क्षण तनाव में रहते हैं, निजी या व्यवसायिक जीवन में खुद को असफल पाते हैं। यही नहीं अपने लिए बेहतर योजना बनाने में भी खुद को विफल पाते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए कालिका-यी मंत्र आपकी मदद कर सकता है। यह मंत्र बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान खोजने में मदद करता है।
|| ॐ कलिं कालिका-य़ेइ नमः ||
अर्थ -देवी काली की जय हो। आप हमें अधिक सचेत और व्यावहारिक होने का आशीर्वाद दो। आप हमें बुद्धिमान बनाओ।
कालिका-यी मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सूर्यास्त पश्चात |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 40 दिनों के लिए हर रोज 108 बार |
कालिका-यी मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व या उत्तर दिशा की ओर |
यदि आप जीवन में शीघ्र सफल होना चाहते हैं तो काली गायत्री मंत्र सबसे उपयोगी मंत्रों में से एक है। अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रहे जातकों को काली गायत्री मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए। इस मंत्र के कंपन से जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा जातक को सफलता, सुख और समृद्धि प्रदान करता है।
|| ॐ कालिकायै च विद्महे, श्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो काली प्रचोदयात् ||
अर्थ -ओ महान काली देवी, मां काली, जो जीवन के महासागर में और दुनिया को भंग करने वाले श्मशान घाट में निवास करने वाली, हम अपनी ऊर्जा आप पर केंद्रित करते हैं, आप हमें आशीर्वाद दो।’
काली गायत्री मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सूर्यास्त पश्चात |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 40 दिनों के लिए प्रतिदिन 9 बार |
काली गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व या उत्तर दिशा की ओर |
ध्यान मन की एक अवस्था है, जो आपको परमात्मा से जुड़ने में मदद करती है। इस मंत्र को कर्पुरदी स्तोत्र भी कहा जाता है। ध्यान मंत्र के नियमित जाप से जातक मां काली की विभिन्न ऊर्जाओं से जुड़ सकता है। हालांकि, इस मंत्र का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए नियमित तौर पर दक्षिणा काली ध्यान मंत्र का जाप करना चाहिए।
|| ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं ||
अर्थ - धरती को पालने वाली और ब्रह्मांड को हर तरह के संकटों से बचाने वाली देवी मां को नमन।
दक्षिणा काली ध्यान मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सूर्यास्त पश्चात |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 40 दिनों के लिए प्रतिदिन 9 बार |
दक्षिणा काली ध्यान मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | पूर्व या उत्तर दिशा |
उपरोक्त काली मंत्रों के अलावा कुछ अन्य काली मंत्र भी हैं, जिनका जाप देवी काली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं।
ॐ काली, काली! ॐ काली, काली!
नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमो!
नमोस्तुते, नमोस्तुते, नमो ||
आनंद मां आनंद मां काली
आनंद मां आनंद मां काली
आनंद मां आनंद मां काली
ॐ काली माँ ||
काली मंत्रों के बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारे ज्योतिषियों से चैट कर सकते हैं।
सफलता मंत्र
देवी चंद्रघंटा मंत्र
साबर मंत्र
साईं मंत्र
काली मंत्र
बटुक भैरव मंत्र
काल भैरव मंत्र
शक्ति मंत्र
पार्वती मंत्र
बीज मंत्र
ऊँ मंत्र
दुर्गा मंत्र
कात्यायनी मंत्र
तुलसी मंत्र
महा मृत्युंजय मंत्र
शिव मंत्र
कुबेर मंत्र
रुद्र मंत्र
राम मंत्र
संतान गोपाल मंत्र
गायत्री मंत्र
हनुमान मंत्र
लक्ष्मी मंत्र
बगलामुखी मंत्र
नवग्रह: मंत्र
सरस्वती मंत्र
सूर्य मंत्र
वास्तु मंत्र
मंगल मंत्र
चन्द्र मंत्र
बुद्ध मंत्र
बृहस्पति मंत्र
शुक्र मंत्र
शनि मंत्र
राहु मंत्र
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गर्भावस्था मंत्र
गृह शांति मंत्र
गणेश मंत्र
राशि मंत्र
कृष्ण मंत्र
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