माता पार्वती हिंदू देवी हैं। उनका नाम विशेष रूप से "पार्वती" इसिलए है क्योंकि वह पहाड़ों के शासक और महारानी मेना की बेटी हैं। वह बल, सौंदर्य, करुणा और रचनात्मकता का उत्तम प्रतिनिधित्व करती हैं। हिंदू धर्म में पार्वती को सर्वोच्च देवी के रूप में जाना जाता है। उनके कई अन्य नाम भी हैं जैसे उमा, आदिशक्ति, काली, देवी लक्ष्मी, आदि पराशक्ति, शक्ति, देवी, दुर्गा, त्रिपुरा सुंदरी, सती, सरस्वती, त्रिदेवी, छिन्नमस्ता आदि। देवी पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं और उनके 2 संतानें हैं। वह ब्रह्मांड और पूरी मानव जाति की रक्षक हैं।
वह महाशक्ति का एक तत्व हैं, जो ब्रह्मांड की मां हैं, जो आगे उसे निर्माण की सार्वभौमिक और व्यक्तिगत ऊर्जाओं से जोड़ती है। हर देवी या मंत्र की तरह पार्वती मंत्र भी विभिन्न रूपों में आता है, जिनमें से प्रत्येक के अपने फायदे हैं। वास्तव में वे एक ही देवता के अलग-अलग तत्वों का आह्वान करते हैं। आमतौर पर शक्ति और पार्वती मंत्रों का बारी-बारी से उपयोग किया जाता है। शक्ति ने शिव, 'विनाशक और रक्षक' को उनकी ध्यान अवस्था से जगाने के लिए पार्वती का रूप धारण किया। शिव अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद गुफा में रहने लगे और दुनिया से मुंह मोड़ लिया। जब शिव चले गए, तो दुनिया को रक्षक की कमी महसूस होने लगी। दुनिया पर राक्षसों ने हाहाकार मचा दिया था।
जब राक्षसों को नियंत्रित करना मुश्किल होने लगा, तब बाकी सभी देवगण मिलकर मां शक्ति के पास पहुंचे और उनसे अपनी समस्या का निदान करने को कहा। उस जरूरत को ध्यान में रखते हुए मां शक्ति ने शिव को प्रभावित करने के लिए मां पार्वती की सृष्टि की। देवी पार्वती ने भगवान शिव का मन मोहने के लिए हर संभ प्रयास किए। कई प्रयासों में वह निष्फल रहीं। लेकिन अंतत: अपनी बहादुरी, तप, दृढ़ संकल्प के बाद अपनी बुद्धि से वह भगवान शिव को आकर्षित करने में सफल रहीं। ऐसा मां पार्वती ने इसी उद्देश्य किया ताकि भगवान शिव लीन अवसस्था से बाहर निकलें और उनका ध्यान मां पार्वती के साथ-साथ ब्रह्मांड पर भी केंद्रित हो। आपको बता दें कि मां पार्वती के कई रूपों का वर्णन किया गया है।
मन की सकारात्मकता और खुशी के लिए देवी पार्वती की पूजा की जाती है। समर्पण भाव से मां पार्वती के मंत्र का जाप करने से जातक को चमत्कारिक फल प्राप्त होते हैं। वह वाकई शक्तिशाली हैं। कुछ लोगों में यह मान्यता है कि मां पार्वती की आराधना किए बिना भगवान शिव की पूजा करना व्यर्थ है। मां पार्वती में भगवान शिव जितनी शक्ति है। यह मां पार्वती को भगवान शिव के प्रति उनके प्रेम से प्राप्त हुई है। वह अत्यंत खूबसूरत हैं। उनकी दैवीय शक्ति की कोई तुलना नहीं है। मां पार्वती सुखदायक भी हैं, क्योंकि हम अपने आसपास जितनी भी घटनाओं को घटित होते देखते हैं, वे सब मां पार्वती ही करवाती हैं। असल में वे सब घटनाएं, ब्रह्मांड को बचाने की उनकी योजना का ही हिस्सा है। वह सबको प्रिय हैं, वह पवित्र हैं। वह भगवान द्वारा की जाने वाली सृष्टि के भाग्य की प्रभारी हैं। जब भी वैवाहिक जीवन, पितृत्व या परिवार में कोई समस्या आती है, तो मां पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे वैवाहिक और गृहस्थ जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
देवी पार्वती सृष्टिकर्ता की शक्ति और ब्रह्मांड की शुरुआत हैं। वह धृष्टता, शक्ति और साहस की प्रतिमूर्ति हैं। मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा भाव से पार्वती मंत्रों का जाप करने का सुझाव दिया जाता है। किसी भी मंत्रों का उच्चारण करने के लिए नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। नीचे दिए गए निर्देश सभी पार्वती मंत्रों पर लागू होते हैं-
यह मंत्र पार्वती के सभी रूपों की आराधना करता है। यह मंत्र उन्हें एक दृढ़, लाभकारी देवी के रूप में भी दर्शाता है। इस मंत्र का निरतंरत जाप कर उपासक अपनी निजी जीवन और करियर में सकारात्मक परिवर्तन कर सकता है। उसकी आंतरिक शक्ति और दृढ़ता विकसित हो सकती है। मां पार्वती रक्षक हैं। वह मानव जाति और ब्रह्मांड की उत्पत्ति हैं। वह एक स्त्री रूप में शिव की आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति हैं। वह उस कड़ी का स्रोत हैं, जो सभी प्राणियों को एक साथ बांधती है। साथ ही वह आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग भी है। जब वह आपके कर्मों को स्वीकार करती है, तो वह सदाचार का फल प्रदान करती है। धर्म के मार्ग से भटकते ही वह आपके सामने कठिन परिस्थितियां रख देती है और अनिश्चितता को बढ़ावा देती है।
माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वर:
बान्धवा: शिवभक्ताश्च, स्वदेशो भुवनत्रयम ॥
अर्थ -ब्रह्मांड की दिव्य माता पार्वती और पिता शिव हैं। संतान उनके प्रति समर्पित हैं। इस पृथ्वी की सृष्टि इन्हीं दैव्य शक्तियों ने की है और हम इस ग्रह में निवास करने वाले प्राणी हैं।
पार्वती मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 9, 54, 108 या 1008 बार |
पार्वती मंत्र का जाप कौन कर सकता है | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | उत्तर दिशा |
कहा जाता है कि भगवान शिव से विवाह करने के लिए देवी पार्वती को कठोर तपस्या से गुजरना पड़ा था। क्योंकि उस समय भगवान शिव में गृहस्थ जीवन के प्रति कोई मोह नहीं था। इसलिए मां पार्वती ने भगवान शिव को रिझाने के लिए जो कुछ किया था यानी तप और अन्य सभी क्रियाओं मे वह विफल रहीं। तब ऋषि दुर्वासा ने उन्हें एक मंत्र दिया। यह मंत्र बेहद शक्तिशाली था, जिसकी मदद से मां पार्वती भगवान शिव को आकर्षित करने में सफल हो पाई थीं। इस मंत्र का नाम है, स्वयंवर पार्वती मंत्र। यह मंत्र प्रेम करने वाले युगल की मदद करता है। इसके साथ यह मंत्र प्रेम विवाह करने वालों के सारे संकटों का निवारण करता है। दरअसल, नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से उस व्यक्ति विशेष से जुड़ने में मदद मिलती है, जिसे आप प्रेम करते हैं। सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं और स्थिति सामान्य हो जाती है। इस मंत्र का मूल लक्ष्य विवाह में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करना है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रेमियों की शादी के रास्ते में कई बाधाएं आती हैं। इसमें वित्तीय परेशानियां, पारिवारिक विवाद आदि शामिल हैं। पार्वती स्वयंवर मंत्र इन सभी बाधाओं को दूर करने में आपकी सहायता करता है, ताकि आप अपने प्रेमी/प्रेमिका से विवाह कर मधुर दांपत्य जीवन जी सकें।
ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरी सकल
स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वशं आकर्षय आकर्षय नमः॥
अर्थ -हे मां पार्वती, जो पवित्र है और जो निरंतर भगवान शिव के प्रेम में है, आप मुझे दूसरों को आकर्षित करने और प्रेम संबंध में बंधने की शक्ति दो।
पार्वती स्वयंवर मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | हर सुबह 108 दिनों के लिए |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 1008 बार |
पार्वती मंत्र का जाप कौन कर सकता है | कोई भी |
किस दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | उत्तर दिशा की ओर |
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