गृह शांति मंत्र

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गृह शांति मंत्र: अर्थ, महत्व और लाभ

शांति हमारे भीतर होती है। हमारे आस-पास होने वाली घटनाओं की अप्रत्याशितता से उत्पन्न होने वाली चिंताओं को दूर करके शांति को प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन शांति आप तभी प्राप्त कर सकते हैं जब आप परेशान करने वाली बातों से विचलित नहीं होते। इसके बजाय उसके सकारात्मकता को देखने का निर्णय लेते हैं। यदि आप ऐसी चीजों से घिरे रहते हैं, जो वास्तव में आपके जीवन में मायने नहीं रखती हैं, तो यकीन मानिए आपके लिए शांत रहना बहुत मुश्किल हो सकता है। आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए आप शांति मंत्र की मदद ले सकते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है कि शांति मंत्र उस व्यक्ति के मानस को शांत करता है, जो उसका उच्चारण करता है। साथ ही उसके वातावरण को अधिक आरामदायक और शांत भी बनाता है।

शांति मंत्र वास्तव में उपचार आह्वान या मंत्र है, जिसे अक्सर हिंदू धार्मिक प्रथाओं और आयोजनों के दौरान जप किया जाता है। शांति मंत्र में दो शब्दों का उपयोग किया गया है। इसमें शांति और मंत्र शामिल हैं। मंत्र शब्द का अर्थ है लयात्मक संगीत, जिसे पूजा करने के लिए गाया जाता है। इसका कुल अर्थ यह है कि शांति हेतु मंत्र का जप करना। हिंदू पवित्र ग्रंथ 'उपनिषद' में कई 'शांति मंत्र' सूचीबद्ध हैं। माना जाता है कि इन मंत्राें का जप करने से आसपास मंत्र जप करने वाले के विचार और उसके आस-पास का वातावरण भी शांत होता है। एक शांति मंत्र को "शांति:" शब्द के तीन बार उच्चारण के साथ समाप्त किया जाता है। यह बाधाओं को खत्म करता है और सांसारिक, स्वर्गीय और आध्यात्मिक वास्तविकता के तीन क्षेत्रों को शांत करने में मदद करता है।

शांति मंत्र, सद्भाव मंत्र है। हिंदू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन अलग-अलग भगवान को समर्पित है। बुधवार का दिन भगवान श्री कृष्ण और ग्रह बुध से जुड़ा है। हिंदू धर्म में, शांति मंत्र को अक्सर धार्मिक संस्कार या दिनचर्या के प्रारंभ और अंत में किया जाता है। घर और परिवार में शांति प्राप्त करने के लिए बुध गृह शांति प्रार्थना का पाठ करने का सुझाव दिया गया है।

गृह शांति मंत्र

गृह शांति मंत्र: वे कैसे मदद करते हैं?

शांति मंत्र के जाप से शारीरिक, बौद्धिक और भावनात्मक स्तर पर शांति मिलती है। यह ब्रह्मांड को सद्भाव प्रदान करता है और पाठक की इंद्रियों को शांत करता है। हिंदू संस्कार से पहले यह मंत्र पूरे ब्रह्मांड को ब्रह्मांडीय सद्भाव प्रदान करने के लिए गाया जाता है।

उपनिषदों जैसी प्रारंभिक वैदिक पुस्तकों में शांति मंत्रों की मौजूदगी का पता चलता है। उनके अनुसार, मानव जगत में प्रवेश करने वाली प्रत्येक आत्मा सद्भाव की तलाश करती है। शांति मंत्र उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है। इस मंत्र का उच्चारण शुद्ध मन और विचार से करना चाहिए जिससे आपके विचारों, हृदय और आत्मा को शांति मिलती है और आपको सुखद जीवन जीने में मदद करता है।

गृह शांति मंत्र का जाप कैसे करें

  • शांति मंत्र (सुबह 6 बजे से 8 बजे के बीच) का उच्चारण करने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है। मंत्र शुरू करने से पहले खुद को शारीरिक-मानसिक रूप से स्थिर करें। मन में बुरे विचार न आने दें। इसके बाद शांति मंत्र का उच्चारण करें।
  • शांति मंत्र के अंत में शांति शब्द का तीन बार उच्चारण किया जाता है। इसका उच्चारण महज औपचारिकतापूर्ण नहीं किया जाता है बल्कि इसके पीछे ठोस वजह होती है। असल में शांति: शब्द का तीन बार उच्चारण उन तीन प्रकार के व्यवधानों को शांत करने के लिए किया जाता है जो जीवन के सामान्य कामकाज में बाधा डालते हैं। ये तीन व्यवधान हैं-
    • पहला: सुनामी और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं को आदि-दैविकम कहा जाता है। ये व्यवधान हमारी समझ से बाहर हैं। ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बाधित करते हैं।
    • दूसरा: आदि-भौतिकम ऐसे स्थिति होती है, जो हमारे आस-पास मौजूद वातावरण से उत्पन्न होती है जैसे पारिवारिक कलह, दोस्तों के साथ मतभेद। इसी तरह की अन्य बातें जो हमें बहुत परेशान करती हैं। हमारे शांत जीवन को बाधित करने वाले ये छोटे-छोटे विषयों को नजरंदाज करके इन व्यवधानों को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
  • तीसरा: अध्यात्मिक सबसे तीव्र व्यवधान है, जो हमारे भीतर उत्पन्न होता है। यह पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में होते हैं। हम इन समस्याओं को दूर कर सुखी और शांत जीवन जी सकते हैं।
  • भगवान द्वारा फैलाने वाली आपदा, चित्त में अशांति और आसपास मौजूद अशांत वातावरण में शांति व्याप्त करने के लिए ही मंत्र का उच्चारण करने के अंत में 'शांति:' शब्द का प्रयोग तीन बार किया जाता है। पूरे आत्मविश्वास और समपर्ण भाव से मंत्र जाप करने की वजह से उक्त व्यवधान से आप मुक्त हो सकते हैं और शांतिप्रिय जीवन जी सकते हैं।

महत्वपूर्ण गृह शांति मंत्र

1. ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं

यह मंत्र विश्व शांति प्राप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है। इसे शांति मंत्र के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसका उपयोग ध्यान करने के लिए किया जाता है। इस मंत्र में समाहित अर्थ के अनुसार यह प्रार्थना की जाती है कि आध्यात्मिक ब्रह्मांडीय शक्तियां ब्रह्मांड में सभी को शांति प्रदान करें, जिसमें आकाश, भूमि, पौधे और पशु शामिल हैं। यह मंत्र वास्तव में मन की शुद्धि के लिए लाभकारी है। जो इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक उच्चारण करता है, उसके जीवन में सुखद घटनाएं घटित होती हैं।

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं मंत्र है:

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अर्थ- ओम्! यह (ब्रह्मांड) अनंत और असीम है। असीम से अनंत आता है। अथाह अनंत ब्रह्मांड को लेकर अकेला असीम रहता है। ओम्! शांति! शांति, शांति, शांति

ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं का जाप करने के लाभ

  • ग्रहों की गति में परिवर्तन के नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। इन दुष्परिणामों को कम किया जा सकता है। इस गृह शांति मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से इस तरह के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
  • मंत्र ज्ञान, समझ से जुड़ा है। नतीजतन, रोजाना इस मंत्र का जाप करने से लोगों को अधिक जागरूक और जानकार बनने में मदद मिल सकती है।
  • जो लोग नियमित और बिना किसी व्यवधान के इस मंत्र का जाप रोजाना करते हैं, उन्हें अपने बातचीत के लहजे में फर्क नजर आने लगता है।
  • इसके अलावा, यह बातचीत के स्तर में वृद्धि करने में सहायक साबित होता है।
  • इस मंत्र का उच्चारण करने से मन और शरीर दोनों को आराम मिलता है।
इस मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सुबह 6 बजे से 8 बजे तक
इस मंत्र का जाप करने की संख्या 108 बार
इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें बुद्ध देव की मूर्ति या चित्र के सामने

2. ॐ सह नाववतु

संपूर्ण मानवता में शांति लाने के लिए इस गृह शांति मंत्र का जाप करके सर्वोच्च शक्ति का आह्वान किया जाता है। यह एकता को प्रोत्साहित करता है क्योंकि हम न केवल अपने लिए बल्कि ब्रह्मांड को बनाने वाली सभी संस्थाओं के लिए शांति चाहते हैं, जो हमें अपने साथी मनुष्यों के साथ-साथ हमारे आस-पास की विशाल प्राकृतिक दुनिया के करीब लाते हैं। यह मंत्र विपत्ति के समय मजबूत रहने और स्वर्गीय लाभ प्राप्त करने में हमारी सहायता करता है।

ओम सहाना वावतु मंत्र है:

ॐ सह नाववतु ।

सह नौ भुनक्तु ।

सह वीर्यं करवावहै ।

तेजस्वि नावधीतमस्तु

मा विद्विषावहै ।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

अर्थ- ओम्! वह हमें सुरक्षित और स्वस्थ रखे; वह हमारा पालन-पोषण करे। हम जबरदस्त जोश के साथ मिलकर काम करें और हमारा अध्ययन ऊर्जावान और फलदायी हो; हम एक-दूसरे से असहमत न हों। ओम्! हमें आराम महसूस करने दो! हमारे परिवेश में शांति की अनुमति दो। हमारे इर्द-गिर्द रहने वाली ऊर्जाओं को शांति से रहने दो!

ॐ सह नाववतु मंत्र के जाप के लाभ

  • यह मंत्र सभी वास्तविक संकायों को एकीकृत और विकसित करता है, जिसकी मदद से विभिन्न आंतरिक अंग अपनी पूरी क्षमता से कार्य करने में सक्षम होते हैं।
  • जब इस मंत्र को जाप किया जाता है, तो इसका मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे मन शांत होता है।
  • इसके अलावा, ओम सह नाववतु मंत्र अत्यंत शक्तिशाली है और इसमें जादुई गुण होते हैं।
  • यह मंत्र न केवल आपके घर और दिल में शांति लाता है, बल्कि बाधाओं को भी खत्म करता है और समस्याओं को शांत करता है।
  • पारिवारिक विवादों से गुजर रहे किसी भी व्यक्ति के लिए यह मंत्र फायदेमंद है।
इस मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय सुबह 6 बजे से 8 बजे तक
इस मंत्र का जाप करने की संख्या 108 बार
इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें उत्तर दिशा की ओर

3. ॐ असतो मा सद्गमय मंत्र

ॐ असतो मा, जिसे ओम असतो मा सद्गमय भी कहा जाता है, बृहदारण्यक उपनिषद के पावन मंत्र में पाई जाने वाली एक पुरानी विश्वव्यापी प्रार्थना का पहला छंद है। यह सबसे महत्वपूर्ण पुराने संस्कृत शांति मंत्रों में से एक है। यह प्रार्थना देवताओं की कृपा पाने के लिए की गई थी। मंत्र अक्सर शैक्षिक प्रार्थना सत्रों, आध्यात्मिक बैठकों और वर्तमान युग में महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में गाया जाता है ताकि किसी के परिवार, घर और खुद के भीतर सद्भाव को बढ़ाया जा सके।

असतो मा सद्गमय मंत्र है:

ॐ असतो मा सद्गमय ।

तमसो मा ज्योतिर्गमय ।

मृत्योर्मा अमृतं गमय ।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

अर्थ- हमें काल्पनिक से वास्तविकता की ओर ले चलो। हमें अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाओ। हमें मृत्यु से अनंत जीवन की ओर ले जाओ। ओम्, शांति, शांति, शांति!

ॐ असतो मा सद्गमय के जाप के लाभ

  • इस मंत्र के उच्चारण से अपनी सोच को पुन: व्यवस्थित किया जा सकता है, यह इसका पहला लाभ है। मन को नकारात्मक और हानिकारक विचारों या भावनाओं से दूर करने के लिए यह एक अच्छा मंत्र है।
  • यह आपको बेहतर महसूस कराता है, यह आपकी चेतना को बढ़ाता है और जीवन के प्रति आपके दृष्टिकोण को विस्तृत करता है।
  • यह गृह शांति मंत्र आप में शांति की भावना पैदा करता है, जो न केवल आपकी बल्कि आपके आस-पास के लोगों की भी मदद करता है।
  • यह बेचैनी, उदासी, निराशा को दूर कर मन को शांत करने में सहयोग करता है।
  • ॐ असतो मा सद्गमय मंत्र लालच और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं को दूर करके हमें अनुशासन और करुणामय बनने में मदद करता है।
इस मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय किसी भी समय
इस मंत्र का जाप करने की संख्या दिन में दो बार
इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है? कोई भी
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें उत्तर दिशा

गृह शांति मंत्र के जाप के समग्र लाभ

  • आप इन शांति मंत्रों का जप करके अपनी आभा को शुद्ध कर सकते हैं और अपने अस्तित्व में आशावाद का संचार कर सकते हैं, जो आपके सिर, हृदय और नकारात्मकता की भावना को साफ करने में आपकी मदद करेगा।
  • यह आपके सफलता के रास्ते में आने वाली बाधाओं को मिटाने की क्षमता रखता है।
  • यह आपको अन्य जीवित प्राणियों के प्रति अधिक सहानुभूतिपूर्ण बनाकर मानवीय मानसिकता को बढ़ाने में मदद करता है।
  • यह गृह शांति मंत्र जीवन में कई समस्याओं का कारण बनने वाले तनाव को दूर करने में आपकी मदद करता है। साथ ही यह आपके आध्यात्मिक स्तर को भी बढ़ाता है।
  • नियमित रूप से इन मंत्रों का जाप करने से मन को शांत करने, शरीर को फिर से जीवंत करने और आत्मा को शांत करने में मदद मिल सकती है।
  • गृह शांति मंत्र एक सुखी, संतुष्ट और शांतिपूर्ण अस्तित्व जीने में सक्षम बनाता है।

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